2006 में शुरू हुआ था कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट

60 सीटें निर्धारित की गई थीं बीसीए कोर्स में

30 सीटें एमसीए के पहले बैच में निर्धारित की गई

- 14 साल से दूसरे विभाग की बिल्डिंग में चल रहा कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट

LUCKNOW:

लखनऊ यूनिवर्सिटी को हर साल लाखों कमा कर देने वाले कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट के पास 14 साल से अपनी बिल्डिंग तक नहीं है। यह विभाग कंप्यूटर सेंटर से मिले उधार के कमरों में चल रहा है। अब तो हालात यह है विभाग के दो कोर्सो को भी यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दूसरे डिपार्टमेंट को दे दिया है।

तीन कमरों में शुरू किया गया था

एलयू में 2006 में कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट की स्थापना हुई और इसे कंप्यूटर सेंटर के तीन कमरों में शुरू किया गया। बीसीए कोर्स में 60 सीटें निर्धारित की गई। इसके बाद एमसीए की 30 सीटों पर एडमिशन लिए गए। इस महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट के पास न तो लैब थी और ना ही अपनी बिल्डिंग। प्रैक्टिकल के लिए स्टूडेंट्स को साइंस डिपार्टमेंट की लैब में जाना पड़ता था। विभाग के टीचर्स के काफी संघर्ष के बाद किसी तरह विभाग में दो लैब बन सकी हैं।

प्रॉफिट वाला डिपार्टमेंट

अपने दो कोर्सो की बदौलत यह डिपार्टमेंट एलयू को हर साल 1.20 करोड़ रुपए कमाकर देने लगा लेकिन इस राशि में से कुछ भी इस डिपार्टमेंट पर खर्च नहीं किया गया। देखते-देखते करीब डेढ़ दशक का समय बीत गया लेकिन इस डिपार्टमेंट को अपनी एक बिल्डिंग तक नहीं मिली।

भवन बना लेकिन मिला नहीं

यूनिवर्सिटी के सूत्रों ने बताया कि विभागाध्यक्ष बृजेंद्र सिंह के प्रयासों के बाद न्यू कैंपस में नौ करोड़ की लागत से एक बिल्डिंग का निर्माण 2008 में किया गया। उस समय यूनिवर्सिटी प्रशासन ने तय किया था कि इस बिल्डिंग में कंप्यूटर साइंस के साथ एनवायरमेंटल साइंस, बायो टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट चलाए जाएंगे। बाद में इसमें कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट को जगह नहीं दी गई। बिल्डिंग बनने के करीब 10 वर्ष बाद यूनिवर्सिटी ने इसमें इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट खोल दिया। यही नहीं यूनिवर्सिटी ने विभाग में चलने वाले बीसीए और एमसीए कोर्स को भी इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट को दे दिया।

इंजीनियरिंग संकाय जिस बिल्डिंग में चल रहा है, वह कंप्यूटर साइंस विभाग की है। यह उसे ही मिलनी चाहिए। हमने काफी प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली।

प्रो। बृजेंद्र सिंह, एचओडी, कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट

Posted By: Inextlive