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रुष्टयहृह्रङ्ख : दुर्गेश हत्याकांड की जांच कर रही पुलिस को कई फर्जी दस्तावेज मिले थे। मामले में पुलिस ने दुर्गेश के चार साथियों को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है

तलाशी में मिले फर्जी दस्तावेज व मोहर

इंस्पेक्टर पीजीआई केके मिश्रा के मुताबिक समीक्षा अधिकारी अजय यादव के मकान में चार लोग किराये पर रहते थे। वहीं मकान अजय ने मानवेंद्र सिंह को किराए पर दिया था। हत्याकांड के बाद जब मकान की तलाशी ली गई तो नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। कमरे से कई फर्जी नियुक्ति पत्र, पहचान पत्र बरामद हुए। इसके अलावा कई फर्जी दस्तावेज और मोहरें भी मिली, जो सरकारी विभागों के अधिकारियों के पद नाम से थी।

केस दर्ज, चार आरोपी अरेस्ट

पुलिस ने मामले में देर रात केस दर्ज किया और चार आरोपियों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपी मानवेंद्र एटा निजोर फंफदू का रहने वाला है। उसका साथी सोवेंद्र यादव और संजीत कुमार गोरखपुर, गोला किशनपुर निवासी संजीत कुमार और सहजनवा के तिलौरा का अभय कुमार है। पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

सचिवालय व स्कूल से संबंधित मिले दस्तावेज

डीसीपी चारू निगम के मुताबिक समीक्षा अधिकारी के मकान से सचिवालय, स्कूल, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई व रेलवे जैसे महत्वपूर्ण विभागों में नौकरी दिलाने के अहम दस्तावेज मिले हैं। इसमें सर्विस बुक, आवेदन पत्र, नियुक्ति पत्र, पहचान पत्र सहित कई दस्तावेज मिले हैं। इसके अलावा 10 विभागों की मोहर बरामद हुई। कुल करीब 112 दस्तावेज नौकरी से संबंधित मिले हैं। पुलिस की पड़ताल में सामने आया कि पलक ने सचिवालय में कंप्यूटर आपरेटर व शिक्षा विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर 27 लाख रुपये कैश व 5 लाख रुपये एकाउंट में लिये थे।

तीन साल से चला रहा था फर्जीवाड़े का गिरोह

पुलिस के मुताबिक दुर्गेश यादव व अन्य साथी मिलकर पिछले तीन साल से नौकरी के नाम पर फर्जीवाड़ा कर रहे थे। आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि 2017 से 2019 के बीच एक करोड़ रुपये से अधिक की रकम दुर्गेश को दी गई थी। वह जिस कार से आया था उसका मालिक राजेंद्र प्रसाद गोला का रहने वाला है और वह भी जालसाज है। उसके खिलाफ विकासनगर थाने में जालसाजी का केस दर्ज है। मानवेंद्र ने सचिवालय के समीक्षा अधिकारी का मकान छह महीने पहले किराये पर लिया था।

जुलाई में जेल से जमानत पर आया था हिस्ट्रीशीटर

पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचे दुर्गेश के पिता उमाकांत के मुताबिक वह एक सप्ताह पहले लखनऊ आया था। रुपये लेकर नौकरी लगवाने का आरोप गलत है। दुर्गेश इकलौता बेटा था। उसकी पत्‍‌नी अनीता, पांच साल की बेटी आर्या और 3 साल का बेटा आरुष है। उन्होंने बताया कि मंगलवार को बेटे से मोबाइल पर बात हुई थी। उसने चार पांच दिन में वापस आने की बात कही थी। बेटे की पुलिस ने फर्जी हिस्ट्रीशीट खोली। उन्होंने कहा कि हत्यारोपितों के बारे में उन्हे कोई जानकारी नहीं है। बेटे का काम के सिलसिले में सचिवालय में आना जाना था। पिता ने बताया कि 11 अगस्त को पोती आर्या का घर पर जन्मदिन था। दुर्गेश व सभी परिजन ने घर पर पार्टी की थी। पिता ने बताया कि दुर्गेश जुलाई में जेल से छूट कर आया था।

Posted By: Inextlive