संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रुचि बढ़ाने के लिए अब संस्कृत स्कूलों में रोजगारपरक कोर्स चलाए जाएंगे। संस्कृत बोर्ड ने इस दिशा में अपने कदम आगे बढ़ा दिए हैं। अगले साल से संस्कृत स्कूलों में चार नए डिप्लोमा कोर्स शुरू होंगे। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है।

लखनऊ (ब्यूरो)। संस्कृत भाषा और उनके स्कूलों की हालत अच्छी नहीं है। स्कूलों की संख्या काफी कम है और जो स्कूल हैं, उनमें स्टूडेंट्स की संख्या में नाममात्र की है। जानकारों का कहना है कि इन स्कूलों में स्टूडेंट्स की संख्या कम होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि संस्कृत भाषा में रोजगार की काफी कमी है। स्कूलों में पढ़ाई के लिए आधुनिक सुविधाएं नहीं हैं और वहां शिक्षक भी पर्याप्त संख्या में मौजूद नहीं हैं। इन कमियों को पूरा करने के लिए परिषद के पास पर्याप्त धन भी उपलब्ध नहीं है।
चार डिप्लोमा कोर्स शुरू होंगे
इन्हीं हालातों को देखते हुए संस्कृत बोर्ड ने अपने स्कूलों में चार रोजगारपरक कोर्स चलाने का निर्णय लिया है। ये चारों कोर्स डिप्लोमा कोर्स होंगे। इसमें संस्कृत स्कूलों में पुरोहित, ज्योतिष, योगा और कर्मकांड कोर्स शामिल हैं। ये सभी डिप्लोमा कोर्स संस्कृत महास्कूलों में चलाए जाएंगे।
एक साल का कोर्स
संस्कृत बोर्ड के सचिव राधा कृष्ण तिवारी का कहना है कि संस्कृत भाषा को रोजगार से जोड़ा जाएगा, तभी यह भाषा उन्नत होगी। इसको ध्यान में रखते हुए ही ये डिप्लोमा कोर्स शुरू किए जाएंगे। सरकार से अनुमति मिलते ही अगले वर्ष जनवरी माह से एक साल के इन कोर्सों को शुरू कर दिया जाएगा।
1048 स्कूल जुड़े हैं परिषद से
इस समय उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद से प्रदेश के दो राजकीय संस्कृत स्कूलों संग कुल 1048 स्कूल जुड़े हैं। इनमें प्रथमा, मध्यमा और उत्तर मध्यमा की पढ़ाई होती है। करीब एक लाख छात्र इन स्कूलों में पढ़ाई करते हैं। इन स्कूलों में बोर्ड फीस के नाम पर हाईस्कूल में 250 रुपए और इंटर में 350 रुपए फीस ली जाती है। वहीं कॉलेज स्तर पर डेवलपमेंट फीस ली जाती है।


लोग जानकार तलाशते हैं
पूजा-पाठ, योग और कर्मकांड के लिए लोग योग्य व्यक्ति की तलाश करते हैं। ये काम कराने वाले लोग तो बहुत हैं लेकिन इनमें से बहुतों को इसकी अच्छी जानकारी नहीं है। इसी को देखते हुए माना जा रहा है कि ये चारों नए कोर्स रोजगार दिलाने वाले साबित होंगे।


संस्कृत के प्रति छात्रों का रुझान बढ़ाने व उन्हें रोजगारपरक बनाने के लिए अगले सत्र से कई डिप्लोमा कोर्स शुरू करने का निर्णय लिया गया है। जिससे छात्र आत्मनिर्भर बन सकें।
राधा कृष्ण तिवारी, सचिव, उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद

Posted By: Inextlive