ऐशबाग में रामलीला की शुरुआत तुलसीदास की प्रेरणा के साथ हुई थी। इसका इतिहास करीब 400 वर्ष से भी पुराना है। इसे राजधानी की पहली रामलीला होने का गौरव भी प्राप्त है।


लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी के ऐशबाग स्थित श्री रामलीला समिति अपने आप में एक इतिहास समेटे हुए है। जो श्रीराम के जीवन दर्शन के साथ संस्कारों को भरने का भी काम करता है। कुछ समय पूर्व तक यहां कोलकाता से आया विशेष दल रामलीला का मंचन करता था। पर कोरोना के बाद से इसमें बदलाव देखने को मिला है। इसमें अब राजधानी और आसपास के युवा अधिक शामिल होकर मंचन कर रहे हैं। हालांकि, निर्देशन का जिम्मा कोलकाता के भास्कर बोस ही संभाल रहे हैं। उनके मार्गदर्शन में 400 से अधिक युवा रामलीला की तैयारियों में जुटे हैं। रामलीला में युवाओं का जोश देखते ही बन रहा है।युवा निभा रहे बड़ी जिम्मेदारी


ऐशबाग रामलीला समिति के सचिव पं। आदित्य द्विवेदी के अनुसार, ऐशबाग में रामलीला की शुरुआत तुलसीदास की प्रेरणा के साथ हुई थी। इसका इतिहास करीब 400 वर्ष से भी पुराना है। जबकि समिति की स्थापना करीब 1860 के आसपास हुई थी। इसे राजधानी की पहली रामलीला होने का गौरव भी प्राप्त है। इसमें शामिल होने वाले कलाकार न केवल मंचन में हिस्सा लेते हैं बल्कि श्रीराम के संस्कार और आदर्श को भी अपने जीवन में आत्मसात करते हैं। साथ ही, सभी कलाकार एक नहीं बल्कि कई किरदारों की तैयारी एकसाथ करते हैं। ये कलाकार अपनी तमाम व्यस्तताओं के बीच समय निकालकर प्रैक्टिस करते हैं। इसबार करीब 400 से अधिक युवा मंचन में हिस्सा ले रहे है। वहीं, समय के साथ रामलीला ने डिजीटल स्वरूप ले लिया है, जहां स्क्रीन के साथ ऑनलाइन टेलीकास्ट भी किया जाता है।श्रीराम का किरदार निभाने का मिला अवसरपेशे से कलाकार प्रशांत बताते हैं, 'मैं रामलीला में प्रभु श्रीराम का किरदार निभा रहा हूं, जो मेरे लिए एक बड़ी बात है। पूरी कोशिश रहेगी कि श्रीराम के किरदार को पूरे आदर्शों के साथ निभा सकूं।' वहीं, भरत का चरित्र निभा रहे निजी कंपनी में काम करने वाले प्रिंस ने बताया, 'मैं 2007 से रामलीला से जुड़ा हंू। जब मैं रामलीला से जुड़ा था तब शुरुआत में सैनिक और दरबारी के किरदार निभाता था। अपने काम से समय निकालकर मैं अभ्यास करने का पूरा प्रयास करता हूं। मेरे लिए यह बड़ी बात है कि रामलीला में अपना भी एक छोटा सा सहयोग दे पा रहा हूं।'देखते-देखते हो गया जुड़ाव

शत्रुघन की भूमिका कर रहे सुमित बताते हैं, 'मैं बीते आठ सालों से मंच पर अभिनय कर रहा हूं। मेरी शुरुआत दरबारी बनने से लेकर अब शत्रुघन तक आ पहुंची है। यह किरदार करके मैं खुद को बेहद भाग्यशाली मान रहा हूं। वहीं, रामलीला में कैकेयी की भूमिका निभाने जा रही नम्रता यादव बताती हैं कि मेरा किरदार रामलीला में सबसे अहम है। मैं रामलीला मंचन से करीब पांच वर्षों से जुड़ी हूं। जब मैं बचपन में यहां रामलीला देखने आती तो बड़ा अच्छा लगता था। समय के साथ इससे जुड़ाव महसूस होने लगा, जिसके बाद मैंने भी इसका हिस्सा बनने के बारे में सोच लिया और प्रयास करके जुड़ गई। वैसे मैं एक प्राइवेट कंपनी में काम करती हूं। ऐसे में समय निकालकर यहां आकर प्रैक्टिस करने आती हूं।' वहीं, मंथरा का किरदार निभा रहीं शिवानी बताती हैं, 'मैं एक निजी दवा कंपनी में काम करती हंू। रामलीला से जुडऩा मेरे लिए बड़ी बात है। मुझे अभिनय करना बहुत अच्छा लगता है। मेरे परिवार के लोग भी मेरे इस रामलीला मंचन से जुडऩे को लेकर बेहद खुश है।'

Posted By: Inextlive