पेरेंट्स का कहना है कि उनके पास ऐसा कोई सिस्टम नहीं है जहां वे स्कूलों की मनमानी के खिलाफ शिकायत कर सकें। शिकायत होने के बाद भी उनकी सुनवाई नहीं होती।


लखनऊ (ब्यूरो)। स्कूली बच्चों के पेरेंट्स सबसे ज्यादा दुखी स्कूलों की बढ़ती फीस से हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने ट्विटर पर एक सर्वे कराकर पेरेंट्स से उनकी सबसे बड़ी पीड़ा के बारे में पूछा था। इस सर्वे में लोगों की ओर से मिली राय में सबसे ज्यादा वोट आसमान छूती फीस को मिले। लोगों ने आसमान छूती फीस को 42 पर्सेंट वोट दिए हैं। वहीं लोगों का मानना है कि दूसरी सबसे बड़ी पीड़ा सिस्टम में सुनवाई का न होना है, जिसे 32 पर्सेंट वोट दिए गए। इसके बाद एक्टिविटी के नाम पर उगाही को 18 पर्सेंट और किताबों/ड्रेस में कमीशन को 7 पर्सेंट वोट मिले।आसमान छूती फीस: 42% सिस्टम में सुनवाई नहीं: 32%एक्टिविटी के नाम पर उगाही: 18%किताबों/ड्रेस में कमीशन : 7%आसमान छूती फीस


डीजे आईनेक्स्ट के ट्विटर सर्वे के मुताबिक, पेरेंंट्स ने अपनी सबसे बड़ी परेशानी बढ़ती हुई फीस को बताया है। पेरेंट्स का कहना है कि निजी स्कूलों में लगातार फीस बढ़ती जा रही है। सालाना इनकम का एक चौथाई हिस्सा बच्चों की पढ़ाई पर ही खर्च हो रहा है और उसमें भी सबसे बड़ा हिस्सा बढ़ी हुई फीस का है, जो हर साल पेरेंट्स पर बोझ डाल रहा है। नए सेशन में यह खर्च और बढ़ जाता है।

सिस्टम में सुनवाई नहींसर्वे में पेरेंट्स की दूसरी सबसे बड़ी समस्या सिस्टम में सुनवाई न होना निकल कर आई। पेरेंट्स का कहना है कि उनके पास ऐसा कोई सिस्टम नहीं है जहां वे स्कूलों की मनमानी के खिलाफ शिकायत कर सकें। शिकायत होने के बाद भी उनकी सुनवाई नहीं होती। यही नहीं, फीस को लेकर शासन ने जो अधिनियम बनाया है, उसे भी शिक्षा विभाग के अधिकारी ढंग से लागू नहीं करा पा रहे हैं। ऐसे में हर तरह से बोझ पेरेंट्स पर भी पड़ता है।एक्टिविटी के नाम पर उगाहीनिजी स्कूलों की ओर से हर स्पेशल डे, त्योहारों, एनुअल डे वगैरह के दौरान जो फीस वसूली जाती है वह पेरेंट्स की तीसरी सबसे बड़ी परेशानी बनकर उभरी है। उनका मानना है कि फीस के बाद हर महीने का अतिरिक्त खर्च उनकी जेब पर तो असर डाल ही रहा है, उनको मेंटली टॉर्चर भी करता है।किताबों-ड्रेस में कमीशन

यह पेरेंट्स की चौथी बड़ी परेशानी है। पेरेंट्स की माने तो स्कूल जो अपनी बुक लिस्ट देते हैं, उसमें प्राइवेट प्रकाशकों की किताबों को तरजीह दी जाती है। इसके अलावा ये किताबें कुछ चुनिंदा दुकानों पर ही मिलती हैं, ऐसे में पेरेंंट्स को इनके लिए अधिक रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इन सेटों में भी कई एक्सरसाइज बुक कॉपियां ऐसी होती हैं जो सालभर इस्तेमाल ही नहीं होतीं, फिर भी इनके लिए रुपये खर्च करने पड़ते हैं।ट्विटर पर ऐसी रही लोगों की रायसबसे बड़ी पीड़ा सिस्टम में सुनवाई न होना है।-ज्ञानेंद्र शुक्लाचारों बातें ही पीड़ा देती हैं। बढ़ी हुई फीस, किताबों यूनिफॉर्म में कमीशन के साथ एक्टिविटी के नाम पर उगाही और सिस्टम में सुनवाई न होना। -बृजेशबढ़ी हुई फीस के साथ किताबों यूनिफॉर्म में कमीशन तो है ही, पर स्कूल ढंग से पढ़ाते भी नहीं हैं, खास तौर पर भाषाओं के बारे में।-ऋषि कुमार सिंहउपरोक्त सभी बातें ही पीड़ा देती हैं।-सुमित सिंहकिसी भी बात की नहीं, सबने मुंह बंद कर लिया है।-संजोग वाल्टरये सभी विकल्प पीड़ा देते हैं।-जावेद हुसैन

Posted By: Inextlive