150 फ्रेंचाइजी वाले प्ले ग्रुप के स्कूल राजधानी में

500 के करीब छोटे और गैर फ्रेंचाइजी वाली स्कूल

1.5 लाख एडमिशन होते थे पहले हर साल

25 हजार ही एडमिशन हुए हैं इस साल

- कोरोना के डर के कारण लोग बच्चों का प्ले ग्रुप में एडमिशन कराने से डर रहे

LUCKNOW: कोरोना ने एजुकेशन सेक्टर को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसका सर्वाधिक असर प्री स्कूलों पर देखने को मिल रहा है। इन स्कूलों में बच्चों के एडमिशन न के बराबर हो रहे हैं और इनके सामने छोटे बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाना भी एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है। आलम यह है कि इन स्कूलों के संचालकों के पास स्टाफ को वेतन देना भी बड़ी चुनौती बन गया है।

लोग नहीं करा रहे एडमिशन

कोरोना की पहली लहर आने के साथ ही प्री स्कूलों में बच्चों के एडमिशन एक तरह से बंद हो गए थे। वहीं आज भी लोगों के मन में कोरोना को लेकर डर बरकरार है। तीसरी लहर की आशंका के चलते बड़ी संख्या में लोग बच्चों को प्री स्कूल में भेजने को तैयार नहीं हैं।

ऑनलाइन पढ़ाई में भी दिक्कत

प्री स्कूलों के सामने दूसरी बड़ी समस्या ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर आ रही है। तीन-चार साल के बच्चे घर पर ठीक से पढ़ नहीं रहे हैं। स्कूलों में इन्हें विभिन्न एक्टिविटीज के माध्यम से पढ़ाया जाता है जो ऑनलाइन क्लास में संभव नहीं हो पा रही हैं। यह भी एक कारण है कि लोग बच्चों को एडमिशन नहीं करा रहे हैं।

आधे स्कूल हो गए बंद

राजधानी में प्ले ग्रुप स्कूल दो तरह के हैं। एक वे हैं जिन्हें ब्रांडेड कहा जाता है, जिनकी राजधानी में कई फ्रेंचाइजी हैं। वहीं बड़ी संख्या में यहां ऑटोनोमस स्कूल भी हैं। कोरोना की पहली लहर के दौरान लिए गए लॉकडाउन में ही प्ले ग्रुप के करीब 70 प्रतिशत स्कूल यहां बंद हो चुके हैं। वहीं जो स्कूल अब चल रहे हैं, उनमें भी अधिकतर बुरी तरह फाइनेंशियल क्राइसेज से जूझ रहे हैं। वहीं दूसरी आर प्री स्कूल एसोसिएशन का कहना है कि करीब 15 माह से बच्चों के घर में रहने के कारण उनकी सीखने की क्षमता प्रभावित हो रही है। ऐसे में स्कूलों का खुलना जरूरी है।

बाक्स

ये समस्याएं आ रही हैं

- नए एडमिशन कम होना

- फी जमा नहीं हो पाना

- ऑनलाइन पढ़ाई में दिक्कतें

- स्कूल रेंट दे पाना मुश्किल

कोट

प्ले ग्रुप के स्कूलों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अधिकतर स्कूल बंद होने की कगार पर हैं। मार्च 2020 से करीब 70 प्रतिशत स्कूल बंद हो चुके हैं जो स्कूल खुले हैं उनमें से भी कई बंद होने की कगार पर हैं।

अनूप अग्रवाल, पदाधिकारी, प्ले स्कूल एसोसिएशन

मैंने बेटी का एडमिशन प्री स्कूल में कराया। लॉकडाउन लगा और ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई। तीन साल की बच्ची ऑनलाइन क्लास में कुछ सीख नहीं पा रही है। अब हम उसे खुद घर पर ही पढ़ा रहे हैं।

ब्रजेश यादव

मुझे अपने बच्चे का एडमिशन कराना था। लॉकडाउन में कमाई काफी कम हो गई है। मैं साल भर से बच्चे को घर पर ही पढ़ा रहा हूं। आगे क्या होगा, यह कहना मुश्किल है।

योगेंद्र सिंह

Posted By: Inextlive