23 लाख से अधिक एचआईवी पॉजिटिव देश में

1.6 लाख एचआईवी पॉजिटिव प्रदेश में

नोट- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार

- केजीएमयू में ब्लड डोनर्स के जांच में सामने आया चौंकाने वाला सच

- ब्लड डोनेट करने वाले 90 फीसद लोगों को पता ही नहीं होता है कि वे एचआईवी के मरीज हैं

anuj.tandon@inext.co.in

LUCKNOW:

ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस यानि एचआईवी एक ऐसा वायरस है जो प्रतिरोधक क्षमता को धीरे-धीरे कम करता है। केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन डिपार्टमेंट में ब्लड डोनर्स की स्टडी में पिछले कुछ वर्षो में एचआईवी के बढ़ने की रफ्तार दिखाई दी है। स्टडी के अनुसार 2016 में 0.7 फीसद के मुकाबले 2020 में 0.17 फीसद की दर से लोग संक्रमित मिले, जिसमें युवाओं की संख्या अधिक है।

संक्रमण का पता ही नहीं

एड्स-एचआईवी की वह अवस्था है, जिसमें व्यक्ति के चलने, उठने और बैठने तक की समस्या होती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के 2019 के आंकड़ों के अनुसार देश में 23.49 लाख और प्रदेश में 1.61 लाख लोग एचआईवी-एड्स से संक्रमित हैं। केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की एचओडी डॉ। तूलिका चंद्रा ने बताया कि हमारे यहां बड़ी संख्या में लोग ब्लड डोनेट करने आते हैं, जिनकी जांच की जाती है। जनवरी से अक्टूबर तक 31 हजार ब्लड डोनर्स के सैंपल की जांच की गई। जिसमें बड़ी संख्या में एचआईवी पॉजिटिव मिले, इनमें से 90 फीसद को पता ही नहीं था कि वे संक्रमित हैं।

पेशेवर डोनर नहीं

डॉ। तूलिका चंद्रा ने बताया कि जांच के दौरान यह बात सामने आई कि जो लोग संक्रमित मिले वो पेशेवर डोनर नहीं थे, यानि किसी के बदले या किसी रिश्तेदार के कहने पर ब्लड डोनेट करने के लिए आये थे। हम लोग बॉयोमेट्रिक्स का यूज करते हैं, जिससे ऐसे लोग पकड़ में आ जाते हैं।

ब्लड टेस्ट से पहले कई चेक जरूरी

ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत लैब एलाइजा टेस्ट से ब्लड की जांच तकनीक पुरानी हो चुकी है। इसकी सेंसिविटी कम होती है और कई बार संक्रमण पकड़ में नहीं आता है। ऐसे में लैब को अपग्रेड करने की जरूरत है। इसके लिए नैट टेस्ट करना जरूरी है। राजधानी में यह सुविधा केवल केजीएमयू और पीजीआई में ही है।

रजिस्ट्रेशन कराकर इलाज

केजीएमयू के एआरटी यानि एंटी रिट्रो वायरल थेरेपी सेंटर के कंसल्टेंट डॉ। भास्कर पांडे ने बताया कि एचआईवी के लिए एलाइजा टेस्ट किया जाता है, जो सभी सरकारी सुविधा केंद्रों पर फ्री है। जांच में पॉजिटिव आने पर एआरटी सेंटर में उसका रजिस्ट्रेशन कराकर फ्री इलाज किया जाता है। वहीं विंडो पीरियड वह अवधि है जिसमें व्यक्ति संक्रमित होता है, लेकिन जांच में संक्रमण दिखाई नहीं देता है। इस अवधि में शरीर में इतनी मात्रा में एंटीबॉडी नहीं बनती हैं कि वह खून में दिखाई दें।

संक्रमण के कारण

- संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाना

- एचआईवी संक्रमित का खून चढ़ाए जाने से

- संक्रमित सुइयों एवं सीरिंजों के यूज से

- संक्रमित मां से बच्चे को भी संक्रमण हो सकता है

ये हैं लक्षण

- लगातार वजन का घटना

- दस्त आना

- खांसी आना

- बार-बार छाले पड़ना

ऐसे ब्लड डोनर्स की जांच में एचआईवी संक्रमण की पुष्टि हुई है जो पेशेवर ब्लड डोनर नहीं थे। एचआईवी से संक्रमित करीब 90 फीसद लोगों को इस संक्रमण का पता ही नहीं था।

डॉ। तूलिका चंद्रा, प्रोफेसर एंड हेड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन डिपार्टमेंट, केजीएमयू

Posted By: Inextlive