गर्मी बढ़ी तो बिजली की डिमांड पहुंची 28 हजार मेगावाट
लखनऊ (ब्यूरो)। बढ़ती उमस के कारण एक बार फिर से प्रदेश में बिजली की डिमांड 28 हजार मेगावाट पहुंच गई है। हालांकि राहत की बात यह है कि डिमांड के अनुरूप अभी बिजली सप्लाई की जा रही है। महानगरों को 24 घंटे और ग्रामीण एरिया में 18 घंटे तक सप्लाई हो रही है।पहली बार इतनी डिमांडप्रदेश के इतिहास में पहली बार बिजली डिमांड 28043 मेगावाट तक पहुंच गई है, जिसे कारपोरेशन ने पूरा किया है। उप्र पावर कारपोरेशन अध्यक्ष एम देवराज ने बताया है कि पूर्व में उपलब्धता के बेहतर मैनेजमेंट के कारण प्रदेश में प्रर्याप्त बिजली उपलब्धता विभिन्न स्रोतों से बनी हुई है। 22 जुलाई को विद्युत मांग 27622 मेगावाट तक पहुंच गई थी। जून में मांग 27611 मेगावाट रही थी। अध्यक्ष ने विद्युत निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि आपूर्ति व्यवस्था बाधित न हो।खराब ट्रांसफॉर्मर बदले जाएं
ट्रांसफॉर्मर क्षतिग्रस्त हों तो उन्हें अति शीघ्र बदला जाए। ट्रॉली ट्रांसफार्मर रिजर्व में उपलब्ध रहें। अधिकारी अपना फोन उठाएं साथ ही 1912 पर आ रही सूचना या शिकायतों का निस्तारण सुनिश्चित करें। उन्होंने बिजली उपभोक्ताओं से भी अपील की है कि वे अपना बिजली बिल समय से जमा करें।सुरक्षा के पुख्ता कदम उठाए जाएं
विद्युत कार्मिक दुर्घटना का शिकार न हों, इसको लेकर विशेष सावधानी बरती जाए। किसी भी फाल्ट को ठीक करने या मेंटीनेंस कार्यों में निर्धारित मानकों का पूरी तरह पालन किया जाए। जिससे आउटसोर्स कर्मियों के साथ होने वाली दुर्घटनायें रोकी जा सकें। उप्र पावर कारपोरेशन अध्यक्ष एम देवराज नेे यह भी चेतावनी दी है कि किसी भी विद्युत दुर्घटना में यदि लापरवाही पायी गयी तो नियमानुसार कड़ी कार्यवाही की जाएगी। अध्यक्ष ने कहा कि वितरण क्षेत्र के मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता एवं अवर अभियंता का दायित्व होगा कि वो बिजली घरों पर सुरक्षा उपकरणों की जांच कर सुरक्षा उपकरण होने की सूचना रजिस्टर पर अंकित करवाएंगे ताकि यह ज्ञात हो सके कि आउटसोर्स एजेंसी द्वारा सभी उपकरण अपने कर्मियों को उपलब्ध कराये गये हैं।रिपोर्ट भेजेंगेआउटसोर्स कर्मी सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करें यह संबन्धित अधिकारी सुनिश्चित करेंगे। अध्यक्ष ने यह भी निर्देशित किया है कि जहां भी ऐसी दुर्घटनाएं हों, वहां संबन्धित अधीक्षण अभियंता मौके पर जाकर रिपोर्ट भेजेंगे। दुर्घटनाग्रस्त कार्मिक की पूरी देखभाल एवं इलाज केलिये आवश्यक व्यवस्था कराई जाये तथा नियमानुसार अनुमन्य देय का भुगतान भी समयबद्ध रूप से सुनिश्चित किया जाए। यह भी निर्देश दिए गए हैैं कि प्रयास किया जाए कि कहीं भी ट्रिपिंग की समस्या न आए।