अलाया अपार्टमेंट के थर्ड फ्लोर पर फ्लैट नंबर 303 में मथुरा निवासी मीनाक्षी अक्षय गुप्ता और शादाब रहते थे। ये रामस्वरूप कॉलेज में प्रोफेसर हैं। तीन दिनों से तीनों मलबे में दबा सामान और अपनी डिग्री ढंूढ रहे हैैं।

लखनऊ (ब्यूरो)। मीनाक्षी ने बताया कि उस रात घर आने में उन्हें देर हो गई थी। अगर आधा घंटा पहले घर पहुंच जाते तो शायद हम लोगों की जान भी चली जाती। उनका कहना है कि सामान से कहीं ज्यादा कीमती उनकी डिग्री मलबे में दब गई है। शनिवार को मलबे से ज्वैलरी और कई सिलेंडर निकले। पुलिस ने ज्वैलरी की इंट्री करके सुरक्षित रखी है लेकिन वहां निकलने वाले सिलेंडर मुसीबत बने हुए हैं। अब तक चार से ज्यादा गैस सिलेंडर निकल चुके हैं, जिस पर फ्लैट में रहने वाले कई लोगों ने क्लेम किया लेकिन इनके पास गैस सिलेंडर का मालिक होने का प्रमाण नहीं है।

पानी का कनेक्शन भी टूटा
अलाया अपार्टमेंट के ठीक सामने रहने वाले सीआरपीएफ के कमांडटेंड देवेंद्र कुमार सिंह के पिता राम प्रसाद का कहना है कि मलबे में दबकर उनकी कार और एक बुलेट मोटरसाइकिल संग काफी सामान दबकर बर्बाद हो गया है। राहत कार्य के चलते उनकी बाउंड्रीवॉल को भी तोड़ दिया गया। वाटर लाइन भी टूट गई है। तीन दिन से पानी न आने के चलते उनकी दिनचर्या तक प्रभावित हो रही है।

बहुत दर्द दिया अलाया ने
अलाया अपार्टमेंट की चौथी मंजिल पर फ्लैट नंबर 402 में इंटीरियर डिजाइनर हनी पत्नी आफरीन के साथ रहते थे। दोनों की शादी करीब डेढ़ साल पहले हुई थी। हादसे में आफरीन भी घायल हो गई थी। वह अपनी मां के साथ अपार्टमेंट पहुंची। वहां पर पहले से पति हनी मलबे में अपना सामान खोज रहे थे। वह कहती रही और कितने दर्द दिल में रखकर बैठना पड़ेगा। एक माह पहले आफरीन मां बनी थी। उन्हें बेटी हुई थी, लेकिन 8 दिन बाद उसकी मौत हो गई। इसके बाद कुछ दिन पहले आफरीन की शादी की सालगिरह थी। आफरीन के पिता ने दामाद व बेटी को अलाया अपार्टमेंट के चौथे फ्लोर पर बना फ्लैट नंबर 403 उन्हें गिफ्ट किया था। शुक्रवार को ही फ्लैट की रजिस्ट्री होनी थी।

रिश्तेदारों से मांग रहे कपड़े
चौथे फ्लोर पर फ्लैट नंबर 401 में इवेंट का काम करने वाली रूबी फातिमा उर्फ रोहानी रहती थी। उन्होंने बताया कि दस दिन पहले ही उनके माता पिता अयोध्या चले गए थे। हादसे के समय वह घर पर अकेली थी। घटना के दौरान मलबे में दबकर उनके पैर में गंभीर चोट आ गई थी। अस्पताल से डिस्चार्ज होकर रोहानी अपने भाई के साथ मलबे में सामान ढंूढने पहुंची। रोहानी को सिर्फ एक बैग खोजना था, जिसमें उनके सारे सर्टिफिकेट और कुछ अन्य जरूरी कागजात थे। काफी देर की मशक्कत के बाद आखिर उन्हें वह बैग मिल गया जिसे देख वह फुट फुट कर रोने लगी। वे रिश्तेदार के घर रहकर उन्हीं के कपड़े व चप्पल पहनकर काम चला रही हैं।

Posted By: Inextlive