विश्व हिंदू महासभा अध्यक्ष रणजीत बच्चन का हत्यारा हजरतगंज चौराहे से ही उनका पीछा कर रहा था। जांच में जुटी पुलिस टीमों ने पूरे रूट पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालने के बाद इसकी पुष्टि की है।


लखनऊ (ब्यूरो)। हालांकि, करोड़ों रुपये खर्च कर 72 चौराहों पर लगवाए गए एमसीआर के कैमरे एक बार फिर धोखा दे गए। उनसे एक भी फुटेज न मिलने से पुलिस की पूरी जांच प्राइवेट सीसीटीवी कैमरों पर ही टिक गई है। वहीं, वारदात के वक्त घटनास्थल के आसपास एक्टिव रहे 87 नंबरों को पुलिस ने राडार पर लिया है और उनकी मूवमेंट की जांच की जा रही है।सन्नाटे की तलाश में करता रहा पीछा


पुलिस सूत्रों ने बताया कि प्राइवेट सीसीटीवी कैमरों की ट्रेल जांचने के बाद पता चला है कि रणजीत बच्चन को मौत की नींद सुलाने वाला हमलावर हजरतगंज चौराहे से उनका पीछा कर रहा था। उसने 5.40 बजे के करीब चौराहे से रणजीत का पीछा शुरू किया। 5.47 बजे हत्यारा हजरतगंज स्थित रॉयल कैफे रेस्टोरेंट के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ। इस फुटेज में उसके ठीक बगल में एक अन्य युवक भी चलता दिखाई दे रहा है। हालांकि, वह हत्यारे का साथी है या नहीं, इसकी पुष्टि अभी पुलिस नहीं कर रही है। जांच कर रहे पुलिसकर्मियों का कहना है कि हत्यारा हजरतगंज चौराहे से सन्नाटे की जगह का इंतजार कर रहा था, जहां वह इत्मिनान से रणजीत को मौत के घाट उतारकर बेरोकटोक वहां से फरार हो सके। आखिरकार एक किलोमीटर चलने के बाद ग्लोब पार्क के पास उसे मुफीद जगह मिल ही गई और उसने रणजीत की हत्या कर दी और मौके से फरार हो गया।87 मोबाइल नंबर राडार परजांच में जुटी डीसीपी नॉर्थ व क्राइम ब्रांच की सर्विलांस टीमों ने वारदात के वक्त इलाके में एक्टिव रहे 87 मोबाइल फोन्स को राडार पर लिया है। यह वे नंबर हैं जो वारदात के वक्त हजरतगंज चौराहे से घटनास्थल ग्लोब पार्क के करीब मूवमेंट में थे। रविवार होने की वजह से सर्विलांस टीमों को प्राइवेट मोबाइल ऑपरेटर्स से इन नंबरों की डिटेल नहीं मिल सकी है। बताया जा रहा है कि सोमवार को डिटेल मिलने पर इन सभी नंबरों की आगे की मूवमेंट व उनके नाम-पतों की तस्दीक कर इस हत्याकांड से तार जोड़ने की कोशिश की जायेगी।कार को लेकर सवाल

सूत्रों ने बताया कि जिस वक्त हजरतगंज चौराहे से हमलावर ने रणजीत बच्चन का पीछा शुरू किया ठीक उससे पहले एक कार चौराहे पर आकर रुकी थी और उसमें से दो लोग नीचे उतरे थे। पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि उस कार का रणजीत के हत्यारों से कोई कनेक्शन है या नहीं। इसके अलावा एमसीआर के कैमरों से उस कार की मूवमेंट की भी तस्दीक कराई जा रही है।धोखा दे गए एमसीआर कैमरेराजधानी के 72 चौराहों पर लगाए गए सीसीटीवी कैमरे एक बार फिर घटना के बाद मदद में नाकाम साबित हुए। सूत्रों ने बताया कि रणजीत हत्याकांड की जांच में जुटी पुलिस टीमों ने हत्यारों की पहचान के लिये एमसीआर से मेफेयर तिराहा और परिवर्तन चौक चौराहा पर लगे एमसीआर सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखनी चाही लेकिन, पता चला इन दोनों लोकेशन पर लगे सीसीटीवी कैमरे आउट ऑफ सर्विस हैं।lucknow@inext.co.in

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