फिलहाल कॉलेजों में समर वेकेशंस चल रही हैं ऐसे में नए सत्र से स्टूडेंट्स की अटेंडेंस बढ़ाने के लिए कॉलेज कई जतन कर रहे हैं ताकि स्टूडेंट्स की दिलचस्पी पढ़ाई में बढ़े और वे कॉलेज आना शुरू करें।


लखनऊ (ब्यूरो)। शहर के कई कॉलेज बीते कुछ महीनों से स्टूडेंट्स की कम अटेंडेंस की समस्या से जूझ रहे हैं। एलयू से संबद्ध कॉलेजों की सबसे बड़ी समस्या स्टूडेंट्स की कम उपस्थिति है। खासकर गल्र्स कॉलेजों में छात्राओं की उपस्थिति बेहद कम है। वहीं, को-एजुकेशन देने वाले कॉलेजों में छात्रों की अटेंडेंस 60 फीसदी से अधिक रहती है। फिलहाल कॉलेजों में समर वेकेशंस चल रही हैं, ऐसे में नए सत्र से स्टूडेंट्स की अटेंडेंस बढ़ाने के लिए कॉलेज कई जतन कर रहे हैं, ताकि स्टूडेंट्स की दिलचस्पी पढ़ाई में बढ़े और वे कॉलेज आना शुरू करें।को-एड में 65 से 80 फीसदी रहती है अटेंडेंस


केकेसी कॉलेज की प्राचार्य मीता शाह ने बताया कि कॉलेज में चलने वाले कोर्स जैसे बीए, बीएससी, बीकॉम, बीबीए सबमें स्टूडेंट्स की अच्छी संख्या रहती है। अभी तक कॉलेज की ओवरऑल अटेंडेंस की बात करें तो यह ऑड व इवेन, दोनों ही सेमेस्टर में 65 फीसदी से ऊपर ही रहती है। वहीं, नेशनल पीजी कॉलेज में भी अटेंडेंस को लेकर कोई समस्या नहीं है। ओवरऑल कॉलेज में 80 फीसदी के करीब अटेंडेंस रहती है।लड़कों के मुकाबले लड़कियां आती हैं अधिक

कालीचरण पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रो। चंद्रमोहन उपाध्याय ने बताया कि कॉलेज में 50 फीसदी के करीब स्टूडेंट्स पढऩे आते हैं। उनका कहना है कि हमारे कॉलेज में जो स्टूडेंट्स पढ़ते हैं वे खासकर आर्थिक रूप से कमजोर हैं। ऐसे में अटेंडेंस कम होने के पीछे एक कारण उनका काम करना भी है। वहीं, कॉलेज में लड़कियों की उपस्थिति अधिक रहती है। 60 व 40 के रेशियो में उनकी उपस्थिति रहती है।बीए व बीकॉम की क्लासेस जाती हैं खालीमहिला डिग्री कॉलेज की प्राचार्य निशा सिंह ने बताया कि समर वेकेशंस से पहले कॉलेज में अटेंडेंस 40 फीसदी भी नहीं हो पा रही थी। टीचर्स पढ़ाने आ रही थीं, लेकिन छात्राएं ही क्लास में नहीं आती थीं। बीए और बीकॉम की क्लास में आपको महज 10 से 15 छात्राएं ही क्लास में नजर आएंगी। इसी तरह नवयुग कन्या महाविद्यालय में भी बीए में महज 25 फीसदी ही अटेंडेंस दिखती है। बीएससी में फिर भी 60 फीसदी तक अटेंडेंस मिल जाती है। गुरुनानक गल्र्स डिग्री कॉलेज की प्राचार्य सुरभि गर्ग ने बताया कि गल्र्स कॉलेजों में अटेंडेंस की दिक्कत अधिक है। छात्राएं कॉलेज आती ही नहीं है, खासकर बीए कोर्स में। हम लोग जितना मोटिवेट कर सकते हैं उतना कर रहे हैं, लेकिन बहुत ज्यादा असर स्टूडेंट्स पर दिख नहीं रहा।यह बताते हैं कारण

अवध गल्र्स डिग्री कॉलेज की प्राचार्य प्रो। बी राय ने बताया कि कॉलेज में अटेंडेंस कम रहती है। जब तक एलयू 75 फीसदी अटेंडेंस को अनिवार्य करने को लेकर ठोस कदम नहीं उठाता तब तक स्थिति यही रहेगी। अटेंडेंस कम होने पर किसी स्टूडेंट का कोई नुकसान नहीं होता है। वहीं दूसरी तरफ, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में इसको अच्छे से फॉलो किया जाता है।फिर एलयू व नेशनल में अटेंडेंस बेहतर क्यों?काउंसलर विवेक मिश्रा का कहना है कि को-एजुकेशन कॉलेजों में जहां छात्र -छात्राएं साथ में पढ़ते हैं वहां का माहौल अलग होता है। 12वीं के बाद निकले स्टूडेंट्स का अपोजिट जेंडर के प्रति आकर्षण होता है। एलयू या दूसरे कॉलेजों में अटेंडेंस अच्छी होती है। कॉलेजों में आपको लाइब्रेरी या कैंटीन में छात्र-छात्राएं एक साथ बैठे नजर आएंगे। गल्र्स कॉलेजों में इस तरह का माहौल नहीं मिलता। वहां मोनोटोनस वातावरण रहता है।को-एड के हैं कई फायदेएक्सपर्ट कहते हैं कि को-एड से कई फायदे मिलते हैं। जैसे लड़के व लड़कियों में एक कॉन्फिडेंस बिल्डअप होता है। एक-दूसरे की पर्सनैलिटी को लेकर जो डर होता है वह भी खत्म होता है। वे सेल्फ मैनेजमेंट, सेल्फ डिसिप्लिन भी सीखते हैं। साथ ही बाहर के माहौल को लेकर एडाब्टिबिलटी भी बेहतर होती है।ये किए जा रहे जतन
महिला कॉलेज चलाएगा हॉबी क्लासअटेंडेंस बढ़ाने के लिए महिला डिग्री कॉलेज में जुलाई से हॉबी कोर्स शुरू करने की तैयारी की जा रही है। प्राचार्य निशा सिंह ने बताया कि इन क्लासेज से छात्राओं को कुछ नया सीखने का मौका मिला साथ ही उनका इंटरेस्ट बढ़ेगा।कालीचरण ने बस चलाने के लिए लिखा पत्रकालीचरण के प्रिंसिपल ने बताया कि कॉलेज में लड़कियों ने कई बार शिकायत की थी कि बस न मिलने की वजह से वे कॉलेज नहीं आ पाती हैं। ऐसे में उन्होंने मई में परिवहन विभाग को पत्र लिखकर चौक से संडीला के बीच बसों की संख्या व उनके फेरों को बढ़ाने की अपील की थी। 31 मई को इस पत्र के जवाब में इस पर जल्द कार्यवाही का आश्वासन मिला है। ऐसे में स्टूडेंट्स के आवागमन की सुविधा के बाद उपस्थिति में इजाफा होगा।अभ्युदय कोचिंग की वजह से बढ़ती है अटेेंडेंसकई कॉलेजों में नि:शुल्क अभ्युदय कोचिंग के कारण भी स्टूडेंट्स की तादाद अधिक रहती है। ऐसे में शहर के कई कॉलेजों ने समाज कल्याण विभाग को प्रतियोगी परीक्षाओं की नि:शुल्क कोचिंग सेंटर कॉलेज में खोलने की सिफारिश की है।

Posted By: Inextlive