स्कॉलरशिप के लिए अटेंडेंस के नियम में मिलेगी ढील

- एनबीए व नैक की अनिवार्यता भी होगी स्थगित

LUCKNOW:

प्रदेश सरकार छात्रवृत्ति के लिए कक्षाओं में अटेंडेंस के नियम शिथिल करने जा रही है। कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल, कॉलेज व विश्वविद्यालय बंद चल रहे हैं। ऐसे में छात्रवृत्ति के लिए कक्षाओं में अटेंडेंस बाधा बन रही है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए छात्रवृत्ति के लिए 75 फीसद उपस्थिति की अनिवार्यता में ढील देने की तैयारी है। पाठ्यक्रम के लिए एनबीए (नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडिटेशन) व नैक (नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल) की अनिवार्यता भी इस साल स्थगित की जाएगी।

कोरोना ने बिगाड़ी स्थिति

सरकार ने छात्रवृत्ति में होने वाली गड़बड़ी को देखते हुए इसके नियम सख्त किए हैं। ऐसा इसलिए किया गया था, ताकि इसका लाभ जरूरतमंद छात्र-छात्राओं को ही मिल सके। इस साल कोरोना संक्रमण ने सभी चीजें पटरी से उतार दी हैं। इसका असर छात्रवृत्ति योजना पर भी पड़ा है। इस हालात में समाज कल्याण विभाग छात्रवृत्ति के नियमों में कुछ छूट देने की योजना बना रहा है। विभाग ने पिछले दिनों विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों से भी इस संबंध में विस्तृत बातचीत की थी। ज्यादातर विश्वविद्यालयों ने छात्रवृत्ति के लिए 75 फीसद अटेंडेंस की अनिवार्यता को कम करने की मांग की।

चल रहा है मंथन

विभाग अब अटेंडेंस को अनिवार्यता कम करने जा रहा है। अब उतनी अटेंडेंस की अनिवार्यता रखी जाएगी, जितनी स्कूल-कॉलेज व विश्वविद्यालय अपने छात्र-छात्राओं को परीक्षा में शामिल होने के लिए तय करेंगे। ऑनलाइन कक्षाएं सभी पाठ्यक्रमों की नहीं चल पा रही हैं। साथ ही दूर-दराज व गांव में रहने वाले छात्र-छात्राओं को नेट कनेक्टिविटी की दिक्कत आ रही है। इन छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति के लिए क्या व्यवस्था की जाए इस पर मंथन चल रहा है। समाज कल्याण विभाग वर्तमान शैक्षिक सत्र में एनबीए व नैक की ग्रेडिग की अनिवार्यता भी स्थगित करने जा रहा है। इससे पहले सरकार ने तय किया था कि इसकी ग्रेडिग वाले पाठ्यक्रमों के छात्र-छात्राओं को ही छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति प्रदान की जाएगी।

विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों से बातचीत हो चुकी है। उनके सुझाव आ गए हैं। जल्द ही छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के नियमों में छूट प्रदान की जाएगी। अटेंडेंस कम करने के साथ ही एनबीए व नैक की ग्रेडिंग की अनिवार्यता इस साल स्थगित करने पर विचार चल रहा है।

-सिद्धार्थ मिश्र, सहायक निदेशक, समाज कल्याण

Posted By: Inextlive