- पीजीआई सर्वे में खुलासा, डॉक्टर को पेट की समस्या की वजह की कम जानकारी

- पीजीआई द्वारा 60 मरीजों और 60 डॉक्टर्स को लेकर किया गया सर्वे

LUCKNOW:

लोग अक्सर कब्ज, गैस, पेट में दर्द आदि समस्याओं को नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन जब समस्या बढ़ जाती है तो किसी फिजिशियन या गेस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट को दिखाने जाते हैं। कई बार वो भी इसे जनरल गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसआर्डर यानि पेट की सामान्य समस्या मान इलाज शुरू कर देते हैं, जबकि समस्या असल में स्पेसीफिक गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसआर्डर यानि गेस्ट्रोपेरोसिस की होती है। यह हैरान करने वाली जानकारी पीजीआई के गेस्ट्रोइंट्रोलॉजिसट विभाग के डॉ। यूसी घोषाल द्वारा डॉक्टरों और मरीजों को लेकर किए गए एक सर्वे में सामने आई है।

60 मरीजों पर किया गया रिसर्च

डॉ। यूसी घोषाल ने बताया कि उनकी ओपीडी में 30-40 मरीज क्रोनिक बीमारी की समस्या वाले आते हैं। जिन्हें लंबे समय से कब्ज, पतली लैट्रिन, पेट में दर्द, जी मिचलाना व भूख न लगना आदि की समस्या है। यह समस्या आंत के चलने के ढंग पर निर्भर करती है। आंत के स्लो काम करने पर कब्ज, पतली लैट्रिन आदि की समस्या होती है। डॉक्टर इसे आम समस्या मान दवा दे देते हैं लेकिन यह बेहद गंभीर समस्या होती है। कई बार तो इंटेस्टाइनल ट्रांसप्लांट तक की जरूरत पड़ जाती है। जब 60 मरीजों पर इसे लेकर रिसर्च किया गया तो पता चला कि आंत की मसल्स कमजोर या खराब है।

डॉक्टर्स में जागरूकता की कमी

डॉ। घोषाल ने बताया कि करीब 60 डॉक्टर्स के बीच इसको लेकर सर्वे कराया गया कि लक्षणों के आधार में उनका क्या कहना है। जिसमें पाया गया कि अधिकतर डॉक्टर्स को इसकी ज्यादा जानकारी नहीं है। खासतौर पर उन डॉक्टर्स में जो गांवों में मरीजों को देखते हैं। डॉ। घोषाल के मुताबिक स्पेसीफिक जीआई डिसआर्डर के कई कारण होते हैं, जिससे डॉक्टर इसे जल्द समझ नहीं पाते हैं।

इन लक्षणों पर रखें नजर

- डायरिया

- कब्ज

- पेट दर्द

- जी मिचलाना

- उल्टी महसूस होना

- भूख न लगना

ऐसे करें बचाव

- बैलेंस डायट लें

- स्ट्रेस लेवल लो रखें

- पीस ऑफ माइंड रखें

- पेट के इंफेक्शन से बचें

पेट की समस्या को लेकर कई बार डॉक्टर्स भी समझ नहीं पाते हैं। इसे लेकर सर्वे किया गया था। ऐसे में अवेयर करने की ज्यादा जरूरत है।

डॉ। यूसी घोषाल, पीजीआई

Posted By: Inextlive