उपभोक्ता परिषद की ओर से एक बड़ा खुलासा किया गया है। यह खुलासा 36 लाख बिजली उपभोक्ताओं की बिलिंग व्यवस्था को स्टॉप किए जाने से जुड़ा हुआ है। हैरानी की बात तो यह है कि स्टॉप बिलिंग के चलते 30 हजार करोड़ से अधिक का बकाया हो गया है। परिषद ने पावर कारपोरेशन से मांग की है कि मामले की छानबीन करके निस्तारण किया जाए।

लखनऊ (ब्यूरो)। प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों ने पिछले दो वर्षों से लगातार डेटा क्लीनिंग के नाम पर 36 लाख बिजली उपभोक्ताओं के बिजली बिल स्टॉप बिलिंग में डाल दिए हैं। ऐसा करने से बिजली कंपनियों की दक्षता चाहे वह कलेक्शन एफिशिएंसी का मामला हो, थ्रो रेट का मामला हो, एटीएनसी हानियों का मामला हो, सभी में सुधार दिखने लगता है। ऐसे में साफ है कि बिजली कंपनियां कागज में सुधार दिखाने के लिए स्टॉप बिलिंग का भी सहारा ले रही हैं, जो पूर्णतया असंवैधानिक है।

यह होती है स्टॉप बिलिंग
स्टॉप बिलिंग का मतलब यह है कि जैसे ही कोई उपभोक्ता स्टॉप बिलिंग में सिस्टम पर डाल दिया जाता है, उसकी बिलिंग बंद हो जाती है। पूरे प्रदेश में सभी बिजली कंपनियों में स्टाफ बिलिंग के लगभग 36 लाख मामले सामने आये हैं। परिषद की मांग है कि बिजली कंपनियों को तत्काल इस दिशा में जांच की जानी चाहिए, जिनके बिल स्टॉप बिलिंग की श्रेणी में आ रहे हैं।

स्टॉप बिलिंग का प्राविधान नहीं
उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि विद्युत वितरण संहिता 2005 के प्रावधानों अनुसार स्टॉप बिलिंग का कोई भी प्राविधान कानून में नहीं है। यदि कोई उपभोक्ता डबल बिलिंग के चलते फर्जी तरीके से सिस्टम पर चल रहा है तो उसे खत्म होना चाहिए और जो उपभोक्ता परमानेंट डिस्कनेक्शन कराना चाहते हैं उनका केस पीडी के माध्यम से निस्तारित होना चाहिए लेकिन केवल कागजों में दक्षता सुधार करने के लिए उपभोक्ताओं को स्टॉप बिलिंग की कैटेगरी में डालने से बड़ी अनियमितता का खुलासा भी हो सकता है।

मध्यांचल में 11 लाख उपभोक्ता
मध्यांचल डिस्कॉम की बात करें तो शहरी क्षेत्र में करीब दो लाख उपभोक्ता ऐसे हैैं, जिनकी बिलिंग स्टॉप हुई है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या 9 लाख के आसपास है। मतलब कुल 11 लाख उपभोक्ता ऐसे हैैं, जिनकी बिलिंग स्टॉप मोड पर आ गई है।

उपभोक्ता होंगे परेशान
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष का कहना है कि स्टॉप बिलिंग श्रेणी में आने वाले ज्यादातर उपभोक्ताओं को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा होगा। अपने बिल के लिए उक्त उपभोक्ता बिजली उपकेंद्रों के चक्कर काट रहे होंगे। ऐसे में जल्द से जल्द स्टॉप बिलिंग की जांच होनी चाहिए, जिससे उपभोक्ताओं को बिल समय से मिलने लगे और उनकी समस्या का समाधान हो। परिषद ने यह भी मांग की है कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ भी जांच होनी चाहिए और जिनकी लापरवाही सामने आए, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

Posted By: Inextlive