ऐसे तो 20 साल में भी नहीं पूरी होगी मनरेगा की जांच
-सालभर में महज 19 जिलों तक ही पहुंची सीबीआई की आंच
-75 जिलों के 52,000 से अधिक ग्राम पंचायतों में जांच -फाइल रखने के लिए रमाबाई मैदान का भवन एलॉट -महज 13 इंस्पेक्टर और 5 डिप्टी एसपी पर बड़ी जिम्मेदारी yasir.raza@inext.co.inLUCKNOW: 7भ् जिले, भ्ख् हजार ग्रामसभा और भ् लाख से अधिक फाइल, हम बात कर रहे हैं यूपी के महात्मा गांधी नेशनल रूरल इंप्लायमेंट गारंटी एक्ट (मनरेगा) के घोटाले की। देश की सबसे बड़ी जांच के इस समंदर से सीबीआई को अपने लिए सुबूत रूपी मोती खोजने हैं। लेकिन इस मोती के खोज से ही सीबीआई के चेहरे की चमक फीकी पड़ने लगी है। असल में जांच संभालने के एक साल बाद तक सीबीआई 7भ् जिलों में से महज क्9 जिलों के सीडीओ और डीएम दफ्तर तक ही पहुंच सकी है। अभी इन जिलों के ग्रामप्रधानों तक भी जांच की आंच पहुंचानी है। ऐसे में आने वाले क्भ् से ख्0 बरसों में भी घोटाले की सभी परतें खोल पाना सीबीआई के लिए कतई आसान नहीं दिखता है। सीबीआई इंवेस्टीगेशन और उसकी मुश्किलों पर आईनेक्स्ट की एक पड़ताल।
मैन पॉवर की कमीसीबीआई सोर्सेज की मानें तो उसके पास एक दो नहीं पचास से अधिक ऐसे केसेस हैं, जिनकी जांच चल रही है। इनमें मनरेगा घोटाले की जांच के लिए सीबीआई ने अभी भ् डिप्टी एसपी और क्फ् इंस्पेक्टर को मैदान में उतार रखा है। जबकि एरिया के हिसाब से सीबीआई के लिए यह सबसे बड़ी जांच साबित हो रही है।
बीते साल मार्च में संभाली थी जांच पिछले साल इसी मार्च की क्ब् तारीख को हाईकोर्ट ने मनरेगा घोटाले की जांच सीबीआई से कराने को कहा था। पहले तो सिर्फ सात जिलों में हुए घोटाले की जांच सीबीआई को करनी थी लेकिन कुछ ही दिन बाद यह दायरा पूरे प्रदेश तक में बढ़ गया और सीबीआई ने जांच शुरू कर दी। पहले जिन सात जिलों में मनरेगा के कामों में अनियमितता पायी गयी थी उनमें सोनभद्र, कुशीनगर, गोंडा, बलरामपुर, महोबा, कुशीनगर और मिर्जापुर का नाम शामिल था। पांच लाख फाइलों में छिपे हैं सुबूतसाल ख्0क्क् में तत्कालीन केंद्रीय ग्रामीण अभियंत्रण मंत्री जयराम रमेश ने यूपी के सोनभद्र जिले में मनरेगा के कामों में भारी अनियमितता पकड़ी थी। उन्होंने तत्कालीन सीएम मायावती से सीबीआई जांच को भी कहा था, लेकिन मायावती ने इनकार कर दिया था। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर पूरे सूबे में ख्007 से ख्0क्क् के बीच मनरेगा के तहत हुए कामकाज की जांच शुरू हुई। अब सीबीआई को भ्ख् हजार ग्राम पंचायतों की चार साल के घोटाले की फाइलों को निकाल कर इनमें से घोटालों की जांच करनी है। इन फाइलों की संख्या लाखों में है।
क्9 जिले तक ही पहुंच पायी सीबीआई सोर्सेज की मानें तो सीबीआई की जांच पूरे प्रदेश में होनी है। लेकिन साल भर बाद भी सीबीआई फिलहाल प्रदेश के सिर्फ क्9 जिलों तक ही पहुंच पायी है। इसमें नौ केस दर्ज कर जांच शुरू की गयी है जबकि क्0 मामलों की अभी प्रारंभिक जांच शुरू की गयी है। यह सभी जांच अभी जिले स्तर पर ही शुरू की गयी है। इसमें अभी ग्राम प्रधान तक पहुंचना है जिसमें काफी समय लगेगा। यहां के अफसर नहीं कर सकते इंवेस्टीगेशन बड़े पैमाने पर सीबीआई ने जब जांच शुरू की तो मैन पावर की कमी सबसे बड़ी दिक्कत थी। इसके लिए सीबीआई ने प्रदेश सरकार का सपोर्ट मांगा। प्रदेश सरकार ने तीन डिप्टी एसपी, दस इंस्पेक्टर और भ् सब इंस्पेक्टर दिये गये हैं। लेकिन सीबीआई के किसी मामले की इंवेस्टीगेशन नहीं कर सकते। यह बस सहयोगी के रोल में हैं। रमाबाई अंबेडकर मैदान में फाइलेंसीबीआई के पास दूसरे सबसे बड़ी चुनौती लाखों फाइलों को इकट्ठा करने की थी। इसके लिए प्रदेश सरकार ने रमाबाई अंबेडकर मैदान के प्रशासनिक भवन को सीबीआई के सुपुर्द कर दिया है। फिलहाल मनरेगा से जुड़े डाक्यूमेंट वहीं जमा हो रहे हैं। इससे पहले के घोटालों की जांच में भी सीबीआई ने प्रदेश बाबरी मस्जिद विध्वंस, आयुर्वेद घोटाला, खाद्यान्न घोटाला और एनआरएचएम घोटाले की जांच के लिए सीबीआई को पहले से स्टेट गेस्ट हाउस के कई कमरे दिए गए थे।
कई मामले पहले से ही पेंडिंग सीबीआई के पास घोटालों के साथ कई बड़े मामले अभी भी पेंडिंग हैं। सीबीआई सोर्सेज की मानें तो छोटे बड़े केस मिलाकर लगभग म्0 केस सीबीआई के पास हैं। इनमें सबसे अधिक क्रिमनल केसेस हैं। बैंकों से जुड़े घोटाले की भी जांच सीबीआई के पास पेंडिंग है। इनकी जांच के लिए सीबीआई के पास यूपी में कुल भ्0 अधिकारियों है। जिसमें लगभग क्0 डिप्टी एसपी और और ब्0 इंस्पेक्टर हैं। इनके हवाले पूरे प्रदेश में चल रही अलग अलग जांच की जिम्मेदारी है। अभी सिर्फ ब्0 लाख से ऊपर की जांचसीबीआई के सूत्रों की मानें तो मनरेगा में फिलहाल वहीं जांच चल रही है जिनमें ब्0 लाख रुपये से अधिक का घोटाला है। ऐसे जिलों की संख्या भी कम नहीं है। फिलहाल सीबाआई जिले स्तर पर डीएम आफिस और सीडीओ आफिस से ही पेपर कलेक्ट कर रही है और जांच को आगे बढ़ा रही है।
क्या है घोटाला सोनभद्र जिले में करीब ढाई सौ करोड़ रुपये मनरेगा के तहत खर्च किए गए। विभिन्न जांच एजंसियों के मुताबिक सिंचाई के लिए फर्जी और अनुपयोगी चेक डैम बनवाए गए। घोरावल में एक ही तालाब तीन बार खुदवाया गया। क्00 किलोमीटर अधिक दूरी पर स्थित फमरें से निर्माण सामग्री की खरीद की गई। इसी तरह गोंडा में मजदूरों के बच्चों के लिए एक करोड़ रुपये के खिलौने, दो करोड़ के फावड़े और भ्0 लाख की पानी की टंकिया खरीदी गई थीं। ज्यादातर खरीद बिना टेंडर के की गई। बलरामपुर में सात लाख रुपये की फ र्स्ट एड किट, डेढ़ लाख के कैलेंडर, छह लाख की पानी की टंकी और 80 लाख के टेंट खरीद लिये गये जो जांच में नहीं पाया गया था। इसी तरह प्रदेश के दर्जनों जिलों में बड़े पैमाने पर अनियमितता पायी गयी है। बड़े घोटालों की जांच नौ साल से चल रहा है फूड स्कैम यूपी में साल ख्00म् में फूड स्कैम हुआ था। इस स्कैम में कई एसडीएम और एडीएम आज भी जेल में हैं। जबकि कई कोटेदारों और अधिकारियों पर कार्रवाई की गयी है। इसकी जांच अभी पूरी नहीं हो पायी है। दर्जनों लोगों को जेल भेजने के बाद भी अभी काफी चेहरे ऐसे हैं जिनको बेनकाब होना बाकी है। चार साल से एनआरएचएम गोलमाल की जांच एक के बाद बाद दो सीएमओ और एक डिप्टी सीएमओ के मर्डर के बाद जब मामले का खुलासा हुआ तो उसमें एनआरएचएम का बड़ा घोटाला निकला। कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई जांच शुरू हुई तो विभाग के बड़े बड़े कारनामे सामने आने लगे। मामला तत्कालीन परिवार कल्याण मंत्री तक पहुंचा और उन्हें सलाखों को पीछे भी भेज दिया गया। अभी इस मामले में 7भ् में से सिर्फ ब्0 जिलों में ही जांच पहुंच पायी है। फ्भ् जिले अभी भी बाकी है। जबकि यहां सिर्फ चंद सरकारी अस्पतालों में जांच करनी है तब इतना वक्त लग रहा है। ऐसे में कल्पना करना आसान है कि मनरेगा घोटाला जिसकी जड़ें गांव- गांव तक में फैली हैं को पूरा करने में कितना समय लगेगा। जांच दर जांच -क्भ् साल से चल रही है आयुर्वेद घोटाला -एनआरएचएम के दो सीएमओ व डिप्टी सीएमओ की मौत की जांच -कानपुर मर्डर केस -आजमगढ़ में एक्स एमएलए मर्डर केस इन मामलों के लिए हो चुकी है सिफारिश ऐसा नहीं है कि सारे केस कोर्ट के ही कहने पर सीबीआई लेती है। कुछ सिफारिशें ऐसी भी हैं जिनको प्रदेश सरकार ने भेजी हैं। हालिया दिनों में यूपी से सीबीआई सिफारिश के लिए केंद्र सरकार को जो दो लेटर दिए गए हैं। उनमें इलाहाबाद का वकील हत्याकांड और लखनऊ में मोहनलालगंज में लड़की की हत्या का मामला पेंडिंग पड़ा है।