बेसिक शिक्षा के स्कूलों में 2017 से ही बायोमेट्रिक हाजिरी शुरू करने की योजना थी जो लागू नहीं हो सकी। सेल्फी से हाजिरी की योजना भी लागू की गई लेकिन शिक्षकों के विरोध के कारण सरकार को पीछे हटना पड़ा।


लखनऊ (ब्यूरो)। प्रदेश के प्राइमरी स्कूल भले अभी तक बायोमेट्रिक हाजिरी लागू न कर पाए हों, लेकिन माध्यमिक स्कूलों में इसको लेकर काम शुरू हो गया है। सभी स्कूलों को 100 दिनों के अंदर इसे लागू करना है। वहीं, हर सरकारी स्कूल में वाई-फाई की व्यवस्था भी की जाएगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने प्रदेश भर के स्कूलों की वस्तुस्थिति के बारे में रिपोर्ट तलब की है, जिसके बाद इसे लागू करने की कार्ययोजना बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री के सामने रखी गई 100 दिनों की कार्ययोजना के तहत स्कूलों को अपनी वेबसाइट और ई-मेल आईडी भी बनानी होगी।शिक्षकों की हाजिरी प्रदेश में बड़ा मुद्दा


माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों में अभी तक बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य नहीं है। कई बार विभाग ने कवायद शुरू की, लेकिन कभी शिक्षक संगठनों के विरोध तो कभी बजट के अभाव में काम नहीं हो पाया। हालांकि, प्रदेश के कुछ स्कूलों में उत्साही प्रधानायापकों या डीआईओएस के चलते बायोमेट्रिक हाजिरी शुरू हो गई है। शिक्षकों की हाजिरी प्रदेश में बड़ा मुद्दा रही है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पिछले कार्यकाल में इस मुद्दे को उठाते रहे हैं।बेसिक के स्कूलों में अभी तक लागू नहीं

बेसिक शिक्षा के स्कूलों में 2017 से ही बायोमेट्रिक हाजिरी शुरू करने की योजना थी, जो लागू नहीं हो सकी। सेल्फी से हाजिरी की योजना भी लागू की गई, लेकिन शिक्षकों के विरोध के कारण सरकार को पीछे हटना पड़ा। 2019 में टैबलेट के माध्यम से बायोमेट्रिक हाजिरी पर सहमति बनी, लेकिन अभी तक टैबलेट खरीदे नहीं जा सके हैं।गांवों का अध्ययन करेगी एलयू की टीमलखनऊ यूनिवर्सिटी का समाज कार्य विभाग जल्द उत्तर प्रदेश के 16 जिलों में सतत गांव बनाने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा अदा की गई भूमिकाओं एवं कार्यों का अध्ययन करने जा रहा है। महात्मा गांधी राष्ट्र्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद, हैदराबाद द्वारा चयनित देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में उत्तर प्रदेश से एकमात्र लखनऊ यूनिवर्सिटी को इस अध्ययन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। लखनऊ यूनिवर्सिटी के समाज कार्य विभाग के प्रो। राकेश द्विवेदी ने बतौर परियोजना निदेशक यह बताया कि अध्ययन के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के पूर्वी और केंद्रीय क्षेत्रों से 8-8 जिलों का चयन किया जाएगा, जिनसे कुल 64 उच्च शिक्षण संस्थानों का चयन करके उनके द्वारा गांवों को सतत बनाने की भूमिका का अध्ययन करते हुए समुदाय की आवश्यकता एवं समस्याओं की पहचान, गांव में सतत विकास हेतु नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता एवं गांवों में अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था का आकलन किया जाएगा।

ऑनलाइन आवेदन आज सेलखनऊ यूनिवर्सिटी में शैक्षिक सत्र 2022-23 में डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा, एडवांस डिप्लोमा, सर्टिफिकेट और प्रोफिशिएंसी पाठ्यक्रमों में ऑनलाइन आवेदन आज दोपहर बाद से शुरू हो जाएंगे। आवेदन करने के लिए 28 जून तक का मौका दिया गया है। यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के एडमिशन पेज पर जाकर निर्देश पढ़कर आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन फार्म का शुल्क सामान्य, अन्य पिछड़ा वर्ग व आर्थिक रूप से कमजोर ईडब्ल्यूएस के लिए एक हजार रुपये होगा। अनुसूचित जाति, जनजाति व दिव्यांगों के लिए 500 रुपये फीस है।

Posted By: Inextlive