- बिजनौर विधायक शुचि चौधरी के पति मौसम चौधरी का मामला

- पेंदा कांड में हुए थे गिरफ्तार, डेढ़ साल से हैं जेल में बंद

LUCKNOW: पूर्ववर्ती सपा सरकार में बिजनौर में हुए बहुचर्चित पेंदा कांड में जेल गये भाजपा विधायक के पति ऐश्वर्य चौधरी उर्फ मौसम ने डीजीपी मुख्यालय से अपने खिलाफ लगी चार्जशीट वापस लेने की गुहार लगाई है। ध्यान रहे कि मौसम चौधरी की पत्नी शुचि चौधरी बिजनौर सदर सीट से भाजपा विधायक हैं। ऐश्वर्य चौधरी ने अपने पत्र में दावा किया है कि इस मामले में हुई एफआईआर में उनका नाम नहीं था, विवेचक ने झूठे गवाह तैयार कर उनके खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। उन्होंने डीजीपी से चार्जशीट वापस लेने के लिए विवेचक को निर्देशित करने का अनुरोध किया है।

साजिश के तहत फंसाया गया

ऐश्वर्य चौधरी का आरोप है कि राजनैतिक साजिश के तहत केस में उनका नाम शामिल किया गया और झूठे गवाह तैयार किए गये। जिनकी गवाही के आधार पर उन्हें दोषी मानते हुए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गयी है उनके नाम एफआईआर में नहीं थे और ना ही वह इस घटना में चोटिल हुए थे। बाद में मामले की अग्रिम जांच में गवाहों ने बयान दिया कि उन्होंने पुलिस के सामने मेरा नाम नहीं लिया था। इसके बावजूद पुलिस ने चार्जशीट वापस लेने की पहल नहीं की जिससे निर्दोष होने के बावजूद वह डेढ़ साल से जेल में बंद हैं। उल्लेखनीय है कि सपा सरकार ने चुनाव से पहले उन्हें बिजनौर से महराजगंज जेल भेज दिया था। सूबे में भाजपा सरकार बनने के बाद उन्हें वापस बिजनौर जेल स्थानांतरित किया गया।

क्या था पूरा मामला

- 16 सितंबर 2016 को बिजनौर के थाना शहर कोतवाली इलाके के पेंदा गांव का ममला

- छेड़छाड़ की एक घटना के बाद भड़की थी सांप्रदायिक हिंसा

- हिसा में तीन युवकों अनीसुद्दीन, सरफराज व अहसान की मौत हो गयी थी, 12 घायल हुए थे

- अनीसुद्दीन के भाई फुरकान की तहरीर पर 29 के खिलाफ केस दर्ज किया गया।

- ऐश्वर्य चौधरी समेत चार आरोपितों का नाम बाद में जोड़ा गया

- जांच के बाद पुलिस ने ऐश्वर्य चौधरी के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी

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दम तोड़ देते हैं माननीयों के खिलाफ दर्ज मुकदमे

सत्ता परिवर्तन के बाद किस तरह माननीयों व उनके करीबियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस होते हैं, यह मामला उसकी एक बानगी है। यह सिलसिला सपा सरकार में खूब चला और मनोज पारस, अभय सिंह, पंडित सिंह, अंबिका चौधरी, राजा भैया, महबूब अली, रविदास मेहरोत्रा, राजपाल कश्यप, अजीमउल हक पहलवान जैसे नेताओं पर दर्ज मुकदमे वापस होने की कवायद चलती रही। सपा सरकार में कुछ भाजपा नेताओं के मुकदमे भी वापस लिए गये। हाल ही में राज्य सरकार ने भी माननीयों के खिलाफ दर्ज सैंकड़ों मुकदमे वापस लेने का फैसला लिया जिसका विपक्ष ने विरोध भी किया।

सता रहा कोर्ट का डर

दरअसल नेताओं को डर है कि अगर उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे खत्म नहीं हुए तो उनका राजनैतिक अस्तित्व खत्म हो सकता है। मुकदमे में सजा होने पर उनके चुनाव लड़ने पर पाबंदी लग जाएगी। ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने भी माननीयों के खिलाफ दर्ज मुकदमे जल्द निस्तारित करने के निर्देश भी दिए हैं। इसी वजह से सूबे में सरकार चाहे जिसकी हो, नेताओं पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की कवायद जारी रहती है।

Posted By: Inextlive