यूरोलॉजी विभाग में लिथोट्रॉप्सी मशीन करीब डेढ़ साल से खराब थी। जिसकी वजह से मरीजों को निजी अस्पताल में जाना पड़ता था। पर संस्थान में अब नई मशीन लग गई है। जिसकी मदद से गुर्दे की पथरी का इलाज बिना चीरा व टांका संभव हो गया है। लेजर तकनीक से गुर्दे की पथरी का इलाज होगा।


लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू में मरीजों को अब बेहतर इलाज मिल सकेगा। यहां बिना चीरा लगे पथरी के सफल ऑपरेशन के लिए लिथोट्रॉप्सी मशीन लग गई है। वहीं, हड्डियों की ताकत जांचने के लिए जरूरी बोन डेंसिटी टेस्ट भी शुरू हो गया है। मरीजों को अब इलाज के लिए निजी अस्पताल या डायग्नोस्टिक सेंटर नहीं जाना पड़ेगा। इसके अलावा, स्टोन एनालिसिस मशीन भी लगाई गई है।लेजर से होंगे ऑपरेशनयूरोलॉजी विभाग में लिथोट्रॉप्सी मशीन करीब डेढ़ साल से खराब थी। जिसकी वजह से मरीजों को निजी अस्पताल में जाना पड़ता था। पर संस्थान में अब नई मशीन लग गई है। जिसकी मदद से गुर्दे की पथरी का इलाज बिना चीरा व टांका संभव हो गया है। लेजर तकनीक से गुर्दे की पथरी का इलाज होगा।बीएमडी जांच शुरू
रेडियो डायग्नोसिस विभाग में बंद चल रही हड्डी की मजबूती की जांच दोबारा शुरू हो गई है। करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से मशीन विभाग में लगाई गई है। यह जांच भी करीब एक साल से बंद थी। इससे मरीजों को जांच के लिए निजी डायग्नोस्टिक सेंटर तक दौड़ लगानी पड़ रही थी। अब मरीजों को जांच के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।स्टोन एनालिसिस मशीन लगी


केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग में करीब 60 लाख रुपये की कीमत की स्टोन एनालिसिस मशीन भी लगाई गई है। इस मशीन की मदद से मरीज के अंदर बनी पथरी के प्रकार का पता लगाने में मदद मिलेगी। ऐसे में, मरीजों को उसी अनुसार खानपान में परहेज बरतने की सलाह दी जाएगी। जिससे मरीज में दोबारा पथरी बनने का खतरा कम होगा। अभी लखनऊ के किसी भी सरकारी अस्पताल में यह मशीन नहीं लगी है।दोबारा हो रही पथरी

लाइफस्टाइल में बदलाव के चलते लोगों में पथरी के मामलों में तेजी देखने को मिल रही है। इसके अलावा ऑपरेशन के बाद भी करीब 25-30 फीसदी मामलों में पथरी दोबारा होना देखा जा रहा है, जो चिंता का विषय है। पर अब इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकेगा। सीएमएस व विभागाध्यक्ष डॉ। एसएन शंखवार ने बताया कि शरीर में पथरी कई प्रकार के रसायन व अव्यय से बनती हैं। ऑपरेशन के बाद पथरी निकाल दी जाती है। पर बाद में कोई परहेज न करने से पथरी दोबारा बनने लगती है। इस मशीन की मदद से ऑपरेशन कर निकाली गई पथरी की जांच की जा सकेगी, जिससे पता चल सकेगा कि पथरी किस कम्पोजीशन से बनी है। ऐसे में, मरीजों को परहेज के बारे में बताना आसान होगा। इससे मरीज में पथरी के बनने का खतरा 60 से 70 फीसदी तक कम होगा।

Posted By: Inextlive