बिना लक्षण के भी लोगों में ब्रेन ट्यूमर की समस्या देखने को मिलती है। हालांकि इसका पर्सेंटेज बेहद कम है। वैसे भी ट्यूमर ब्रेन के जिस हिस्से में होता है उसका वैसा असर बॉडी पर देखने को मिलता है।


लखनऊ (ब्यूरो)। ब्रेन ट्यूमर की समस्या लोगों में लगातार बढ़ती जा रही है। करीब 25 फीसदी मरीजों में ब्रेन ट्यूमर फोर्थ स्टेज में पकड़ में आता है, जिसके बाद मरीज की लाइफ डेढ़ वर्ष से अधिक नहीं रह जाती। वहीं, कई मामलों में कोई लक्षण न होने पर भी लोगों में ब्रेन ट्यूमर निकल रहा है, जो एक चिंता का विषय है। ऐसे में लोगों को सिरदर्द को खासतौर पर हल्के में नहीं लेना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।ट्यूमर की जगह मायने रखती है


लोहिया संस्थान के न्यूरो सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ। दीपक सिंह ने बताया कि बिना लक्षण के भी लोगों में ब्रेन ट्यूमर की समस्या देखने को मिलती है। हालांकि, इसका पर्सेंटेज बेहद कम है। वैसे भी ट्यूमर ब्रेन के जिस हिस्से में होता है, उसका वैसा असर बॉडी पर देखने को मिलता है। अगर ट्यूमर ब्रेन के पिछले हिस्से में है तो आंखों की रोशनी जाने या उल्टी के लक्षण देखने को मिलते है। वहीं, ट्यूमर अगर ब्रेन के ऊपरी हिस्से में है तो दौरे के साथ एक तरफ कमजोरी देखने को मिलती है। वहीं, पिट्यूटरी ट्यूमर में सिरदर्द के साथ आंखों की रोशनी की शिकायत होती है, लेकिन ऐसे मामलों में मरीज इलाज के लिए लेट आता है। ऐसे में ट्यूमर के कारण मरीज की आंखों की रोशनी तक चली जाती है। सर्जरी से जान तो बच जाती है, लेकिन आंखों की रोशनी वापस नहीं आती। यह जागरूकता की कमी के कारण होता है। ऐसे में लक्षणों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।सिरदर्द को हल्के में न लेंडॉ। दीपक सिंह के मुताबिक, ट्यूमर के मामले अब पहले के मुकाबले ज्यादा सामने आ रहे हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि अब सीटी और एमआरआई स्कैन की वजह से यह पकड़ में आने लगा है। पहले जांच आसानी से उपलब्ध नहीं थी। यह कम उम्र में भी देखने को मिल रहा है। 40-50 उम्र वाले मरीज ज्यादा आ रहे हैं। अगर किसी को सिरदर्द लंबे समय से बना हुआ है या अचानक से शुरू हुआ है या सिरदर्द के असर में कोई बदलाव है तो उसे नजरअंदाज न करें। डॉक्टर से परामर्श लेकर सीटी स्कैन या एमआरआई जांच करवाएं। यह जानना बेहद जरूरी है कि 50 फीसदी ट्यूमर ग्लाइमा वाले होते है। जो सबसे खतरनाक होता है। जेनेटिक लेवल पर बदलाव करने की जरूरत है। सर्जरी के बाद दोबारा हो जाता है।जांच कोई और लेकिन बीमारी दूसरी

केजीएमयू के रेडियोडायग्नोसिस विभाग के प्रो। मनोज कुमार के मुताबिक, कई बार मरीज किसी और जांच के लिए आता है, लेकिन मर्ज कुछ और ही निकलता है। जैसे कई बार मरीज गैस की समस्या लेकर जांच को आते हैं, लेकिन जांच में पथरी की समस्या मिलती है। उसी तरह डॉक्टर सिर की कोई जांच लिखता है, लेकिन जब एमआरआई होती है तो उसमें ब्रेन ट्यूमर निकल आता है, जबकि मरीज में इसके कोई लक्षण नहीं होते, क्योंकि ब्रेन ट्यूमर छोटा होने पर लक्षण नजर नहीं आते है। इसका साइज बड़ा होने पर ही लक्षण दिखता है, जिसके चलते कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।गामा नाइफ के लिए लंबा इंतजारलोहिया संस्थान में ब्रेन ट्यूमर के एडवांस इलाज के लिए गामा नाइफ का प्रपोजल तैयार किया गया था। करीब 40 करोड़ रुपये की इस मशीन के लिए शासन स्तर से अभी तक मंजूरी नहीं मिल पाई है। प्रदेश में कहीं भी गामा नाइफ की सुविधा नहीं है। ऐसे में संस्थान में आने वाले कई मरीजों को दिल्ली या चंडीगढ़ रेफर किया जाता है, जिसकी वजह से उनको काफी परेशानी उठानी पड़ती है।कुछ ऐसे होते हैं लक्षण- नया सिरदर्द होना- क्रोनिक सिरदर्द, लेकिन उसका असर बदलना- सिरदर्द के साथ उल्टी, आंख की रोशनी जाना

- शरीर में कमजोरी- दौरे आना

Posted By: Inextlive