- गैर कोरोना मरीज आखिर कहां जाएं

- प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए मरीज और उनके परिजन परेशान

- गर्भवती महिलाओं तक का कोविड टेस्ट बिना दाखिला नहीं लेते

LUCKNOW: बंगाल के दुर्भिक्ष, हैजा, प्लेग के बाद मानवता को लील जाने को बेताब कोरोना हमारी स्वास्थ्य सेवाओं के सामने चुनौती बनकर खड़ा है। स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर मौजूदा दौर बेहद चुनौतियों से गुजर रहा है। प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं इम्तिहान की कसौटी पर हैं। रोजाना लखनऊ में जहां औसतन 5000 से ऊपर कोरोना संक्रमित आ रहे हैं, वहीं प्रदेश में यह आंकड़ा और भी बड़ा है। इस समय पूरा राज्य तंत्र ही स्वास्थ्य तंत्र बन गया है, जिसमें महामारी के संक्रमितों पर संसाधन लगा हुआ है। ऐसे में राजधानी लखनऊ और आसपास के जिलों के गैर कोरोना मरीजों को देखने पूछने वाला कोई नहीं है।

पहले कोरोना निगेटिव रिपोर्ट लाओ

गंभीर मरीजों को भी कोरोना टेस्ट और उसके निगेटिव रिपोर्ट आने तक भर्ती होने के लिए इंतजार करना पड़ता है। रिपोर्ट आने तक मरीज की हालत चाहे कितनी खराब हो और वह तड़प रहा हो, लेकिन इलाज नहीं मिल रहा है। अमेठी से आए गिरिजेश और उनके परिजन बेहद परेशान रहे। अपना गुस्सा किस पर निकालें, किसको अपना दर्द बताएं। उनके स्वजन स्ट्रेचर पर हैं सीने में दर्द से कराह रहे, लेकिन जब तक टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव नहीं आती तब तक कोई सुनवाई नहीं है।

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मेरी मां की मानसिक हालत ठीक नहीं

राम मनोहर लोहिया अस्पताल में चिलचिलाती धूप में खड़े रायबरेली के रोहित यादव परेशान हैं। वह कहते हैं कि क्या बताऊं मेरी मां सख्त बीमार है उसे कोरोना नहीं है। बीपी अधिक होने से लगभग विक्षिप्त अवस्था में है, लेकिन जब तक रिपोर्ट निगेटिव नहीं आती तब तक इलाज नही होगा। डबडबाई आंख से कहते हैं कि ऐसा संयोग है पिछले लॉकडाउन में मेरी बहन को बच्चा होना था, रायबरेली से यहां रेफर किया गया। बेड मिलना तो दूर, पहले कोरोना टेस्ट के लिए सैंपल लिया गया। दो दिन बाद जब तक रिपोर्ट आती मेरी बहन की मौत हो गई। हम दो दिन तक अस्पताल के गेट पर ही अपनी बहन को मरते देखने को विवश रहे। इस बार भाग्य ने फिर से संकट के समय ही मां को लाने के लिए मजबूर किया है।

Posted By: Inextlive