वाराणसी में तहरतारा स्थित एक प्राइवेट स्कूल में क्लास तीन की छात्रा के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया है। ऐसे मामले प्रदेश में पहले भी सामने आ चुके हैं। साल 2016 में 2016 में राजधानी में आशियाना के एक निजी स्कूल में छह साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया था। इसके बाद बाल संरक्षण आयोग ने प्रदेश के सभी स्कूलों में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए गाइडलाइन तैयार कर स्कूलों से उसे पूरा करने को कहा था। इसके बाद भी आलम यह है कि राजधानी के करीब 20 फीसद स्कूल इसे लेकर गंभीर नहीं हैं। कहीं सीसीटीवी नहीं है तो कहीं कर्मचारियों का वेरीफिकेशन भी नहीं कराया गया है।

लखनऊ (ब्यूरो) । शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार शुरुआत में तो स्कूलों ने स्टाफ का वेरीफिकेशन कराया लेकिन इसके बाद इस काम में सुस्ती आ गई। बीते चार साल में तो यह प्रक्रिया काफी सुस्त हो चुकी है। कुछ बड़े स्कूलों को छोड़ दिया जाए तो बाकी स्कूल इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं। सुरक्षा से जुड़े कई बिंदुओं पर स्कूलों को काम करना था लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। स्कूलों में अपने स्टाफ के अलावा बसों के ड्राइवरों और हेल्परों का भी वेरीफिकेशन कराना था।
इन बिंदुओं को करना था पूरा
- स्कूल में मौजूद समस्त स्टाफ का पुलिस वेरीफिकेशन
- स्कूल बस में महिला स्टाफ के साथ सीसीटीवी कैमरा
- पेरेंट्स, स्कूल प्रबंधन और छात्र समिति की कमेटी तैयार करना
- छात्राओं के लिए अलग से समिति का बनाना
- छात्राओं के लिए स्कूलों में शिकायत पेटी लगाना
- यौन उत्पीडऩ पर आंतरिक समिति और पोक्सो कानून के तहत समिति

अभी स्कूलों के क्या हैं हाल
- जिले के 30 फीसद स्कूलों ने स्टाफ का पुलिस वेरीफिकेशन नहीं कराया
- 25 फीसद स्कूलों के गेट और भीतर सुरक्षाकर्मी नहीं हैं
- 20 फीसद से ज्यादा स्कूलों में सीसीटीवी कैमरा नहीं है
- 5 फीसद स्कूलों में कैमरा खराब होने से फुटेज ही नहीं आ रही है
- 60 फीसद स्कूलों में पालक और शिक्षकों की कमेटी नहीं बनी
- 20 फीसद स्कूली वाहनों के पीछे पुलिस और स्कूल का नंबर नहीं है।


स्कूलों को क्या करना है
- स्कूल वर्कशॉप कराकर बच्चों को निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे मेें बताएं
- स्कूलों को स्पष्ट दिशा-निर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटनाओं से कैसे निपटें
- अपराध स्कूल में हो या बाहर, कर्मचारी लिप्त है तो उसे छिपाएं नहीं
- हर स्कूल में एक ऐसा व्यक्ति हो जो ऐसे मामलों को संवेदनशीलता से संभाल सके
- प्रिंसिपल पेरेंट्स को ऐसे अपराध की तुरंत जानकारी दें
- पेरेंट्स की मदद करें और चिकित्सा एवं अन्य सुविधाएं दिलाने का प्रयास करें
- स्कूल में बाल यौन हिंसा विशेषज्ञ न हो तो बच्चे से पूछताछ न करें
- बच्चे के वापस स्कूल में आने पर उसके साथ भेदभाव न किया जाए


स्कूलों में यौन उत्पीडऩ रोकने के लिए बनाए गए मानकों की दोबारा जांच शुरू की जाएगी। जिन स्कूलों में मानक पूरे नहीं होंगे, उन्हें तय समय में इन्हें पूरा करने को कहा जाएगा।
डॉ अमरकांत सिंह, डीआईओएस

कोविड के कारण स्कूलों ने इस प्रक्रिया को रोक रखा है। हालात में सुधार आ रहा है। स्कूल कर्मचारियों और स्टाफ के वेरीफिकेशन की गाइडलाइन को पूरा कर लें
रिचा खन्ना, पूर्व सदस्य, बाल कल्याण कमेटी लखनऊ

Posted By: Inextlive