सादगी के साथ घर पर ही मनाये ईद
- नमाज में कोरोना के खत्मे की दुआ मांगने की अपील
LUCKNOW:माहे रमजान के रोजे पूरे होने वाले हैं। चांदरात के साथ ईद आने को है। ऐसे में जकात और फितरा ईद की नमाज से पहले निकालकर जरूर दे दें, ताकि गरीब और जरूरतमंद जो कोरोना नामक वबा के कारण परेशान हैं वो भी खुशियों के साथ ईद मना सकें। इसे लेकर तमाम मुस्ललिम धर्मगुरुओं ने अपील की है कि ईद के दौरान लॉकडाउन के नियमों का पालन सख्ती के साथ करें। न लोगों के घर जाएं और न ही मिलें। नमाज के बाद अपनी दुआओं में मुल्क और लोगों की खुशहाली मांगें। बाक्स यह करें ईद के दिन - ईद के दिन गुस्ल करना, अच्छे पकड़े पहनना, खुशबू तेल व सुर्मा लगाना और खजूर खाना सुन्नत है। - ईद की नमाज से पहले सद्का, फित्र जरूर अदा करें।- जो 5 हजरात मस्जिद में पहले से नमाज अदा करते रहे हैं वही हजरात मस्जिद में ईद की नमजा अदा करें।
- जिस घर में 4 हजरात या इससे अधिक हों वह ईद की जमाअत अपने घर पर ही पढ़ें। - किसी घर में 4 हजरात से कम हों तो वे 4 रकआत नफल नमाज-ए-चाश्त अकेले अकेले पढें। - ईद की नमाज के बाद खुतबा पढ़ना सुन्नत है।- अगर किसी को खुतबा याद न हो तो वह पहले खुतबे में सूरह फातिहा और सूरह अखलास पढ़े और दूसरे खुतबे में दुरूद शरीफ के साथ कोई दुआ अरबी में पढ़ लें।
बाक्स इन बातों का रखें ख्याल - अपने घर में रहें, किसी से मिलने न जायें - न किसी से हाथ मिलायें और न गले मिलें - ईद की मुबारकबाद मोबाइल और सोशल मीडिया से दें - नमाज के बाद कोरोना के जल्द खात्मे, देश व कौम की तरक्की और खुशहाली की दुआ करें। बाक्स सुन्नी सवाल-जवाब सवाल- सहरी के वक्त रोजे की नियत जबान से करना भूल गए तो क्या रोजा पूरा हो जाएगा। जवाब- रोजा हो जाएगा। सवाल- बीमारी के कारण अबकी रोजा नहीं रख पाया तो क्या करूं। जवाब- हर रोज के बदले में उसका फितरा अदा करना जरूरी है। सवाल- सदके का पैसा मस्जिद में दिया जा सकता है। जवाब- मस्जिद में नहीं दिया जा सकता है। सवाल- अफवाह चल रही है कि ईद की नमाज घर पर अदा करें, क्या ईद की नमाज घर पर अदा हो सकती है।जवाब- जैसे जुमा की नमाज घर पर अदा नहीं की जा सकती, जोहर पढ़ी जाती है। वैसे ही ईद की नमाज घर पर नहीं पढ़ी जा सकती। चाश्त की नमाज पढ़ी जाती है घर पर।
सवाल- क्या छोटी मस्जिद में ईद की नमाज दोबारा पढ़ी जा सकती है। जवाब- किसी भी मस्जिद या ईदगाह में दोबारा जुमा की नमाज या ईद की नमाज नहीं हो सकती। बाक्स शिया सवाल-जवाब सवाल- विदाई से पहले मनकूहा का फितरा कौन भुगतान करेगा। जवाब- अगर अभी सिर्फ निकाह हुआ है और विदाई नहीं हुई है और लड़की अभी पिता की जिम्मेदारी में रहती है तो उसका फितरा पिता के जिम्मे होगा पति पर अनिवार्य नहीं है। सवाल- फितरा निकालने से इंसान को क्या लाभ होता है। जवाब- फितरा रमजान के रोजो को कुबूल करवाता है और अगले वर्ष तक इंसान की हिफाजत का जरिया बनता है। सवाल- क्या चांद रात में अगर कोई मेहमान आ जाए तो उसका फितरा हम को ही देना पड़ेगा। जवाब- अगर आप के बुलावे पर आया है और आपके साथ खाना खाता है तो आप को फितरा देना होगा।सवाल- फितरे में दो तीन तरह की चीजें दी जा सकती हैं उदाहरण के तौर पर एक फितरा चावल का दे दिया जाए। एक फितरे के बदले गेहूं और एक फितरे के बदले पैसे दे दिए जाएं तो क्या ऐसा मुमकिन है।
जवाब- फितरे की शक्ल में एक-एक फितरा देना है चाहें कुछ भी दिया जाए जैसे पिता ने फितरे में अपनी तरफ से पैसे दे दिए और पुत्र ने तीन किलो गेहूं और माता ने खजूर दे दिए तो ऐसा मुमकिन है कोई हरज नहीं है। सवाल- अगर घर की जिम्मेदारी पत्नी उठाती है तो क्या पति और बच्चों का फितरा निकालना पत्नी पर अनिवार्य है। जवाब- अगर घर की जिम्मेदारी पत्नी उठाती है तो पति और बच्चो का फितरा निकालना पत्नी पर अनिवार्य है। कोट ईद का दिन नजदीक आ चुका है लेकिन कोरोना नामक वबा के कारण पहले जैसी ईद नहीं मना सकते हैं। ऐसे में अल्लाह ताला से यही दुआ करते हैं कि जिन्होंने कोरोना के कारण अपनों को खोया है उनको हिम्मत दे और कोरोना को जल्द खत्म करे ताकि हम लोग पहले की तरह मिलजुल कर रह सकें। सैयद नवाब हैदर बाक्स सुन्नी हेल्पलाइन लोग अपने सवालात दोपहर 2 बजे से 4 बजे के बीच इन नंबरों 9415023970, 9335929670, 9415102947, 7007705774, 9140427677 पर सवाल पूछ सकते हैं। बाक्स शिया हेल्पलाइनमहिलाओं के लिए हेल्प लाइन नंबर 6386897124 है। जबकि शिया हेल्प लाइन के लिए सुबह 10 से 12 बजे तक 9415580936, 9839097407 नंबर पर संपर्क करें।