5 से 10 मिनट में हो जाएगा इलाज

70 फीसद ऑक्सीजन का किया जाएगा यूज

30 फीसद नाइट्रस ऑक्साइड का होगा यूज

- मार्च से केजीएमयू के पीडियाट्रिक डेंटस्ट्री में लॉफिंग गैस से होगा इलाज

LUCKNOW@inxet.co.in

LUCKNOW: बच्चों के दांतों का इलाज बेहद मुश्किल होता है। इलाज के दौरान होने वाले दर्द के कारण बच्चे रोते और चिल्लाते तो हैं ही साथ ही कई बार तोड़फोड़ तक गुस्से में करने लगते हैं। अब बच्चों के दांतों के इलाज के दौरान डॉक्टर्स और पेरेंट्स को अब इस तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना होगा। इसका कारण यह है कि अब केजीएमयू में कांशियस सिडेशन मशीन यूनिट शुरू होने वाली है, इससे इलाज के दौरान बच्चों को जरा भी तकलीफ नहीं होगी और वे मुस्कुराते हुए दांतों का इलाज कराएंगे।

लॉफिंग गैस की तरह होगा काम

विभाग के एचओडी डॉ। राकेश कुमार चक ने बताया कि बच्चों के दांतों का इलाज करना बेहद मुश्किल होता है। उन्हें तकलीफ होती है तो वे हाथ-पैर झटकने लगते हैं, चिल्लाते हैं और कई बार तो उनके गुस्से के कारण उन्हें संभालना तक मुश्किल हो जाता है। इसे देखते हुए ही डिपार्टमेंट में कांशियस सिडेशन मशीन यूनिट आ चुकी है। इसका यूज सेडिशन देने के लिए किया जाएगा। जिसमें 70 फीसद ऑक्सीजन और 30 फीसद नाइट्रस ऑक्साइड, जिसे लॉफिंग गैस भी कहा जाता है का यूज किया जाएगा।

जर्मन से आई है मशीन

डॉ। राकेश ने बताया कि लाखों रुपए की यह मशीन जर्मनी से मंगाई गई है। इससे बच्चों के दांतों का इलाज करना आसान हो जाएगा। यह मशीन आरसीटी, फीलिंग, सर्जरी आदि कई प्रोसीजर को काफी आसान कर देगी और इसमें समय भी सिर्फ 5 से 10 मिनट का लगेगा। यह एनेस्थीसिया की तरह काम करेगी, जिससे बच्चा एकदम शांत हो जाएगा और मुस्कुराता रहेगा। दांतों के इलाज के दौरान उसे किसी तरह का दर्द नहीं पता चलेगा। खास बात यह है कि इस मशीन से इलाज को कोई अतिरिक्त चार्ज भी लोगों से नहीं लिया जाएगा।

कोरोना के कारण हो गई देर

डॉ। चक ने बताया कि मशीन तो पहले ही आ गई थी और इसे चलाने के लिए स्टाफ को ट्रेनिंग भी दे दी गई थी लेकिन कोरोना के चलते यूनिट नहीं शुरू की जा सकी थी। पूरी उम्मीद है कि मार्च से इस मशीन को शुरू कर दिया जाएगा। इस तरह की मशीन किसी दूसरे सरकारी अस्पताल में नहीं है। केजीएमयू पहली बार इस मशीन का यूज शुरू करने जा रही है। इसका शुभारंभ वीसी ले.जन। डॉ। बिपिन पुरी करेंगे।

कोट

विभाग में कांशियस सिडेशन मशीन यूनिट आ चुकी है, जो शरारती और गुस्सैल बच्चों के व्यवहार को कंट्रोल करने में मदद करेगी। इससे डेंटल प्रोसीजर आसानी कसे हो सकेगा।

डॉ। राकेश कुमार चक, एचओडी, पीडियाट्रिक एंड प्रीवेंटिव डेंटेस्ट्री, केजीएमयू

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अभी इस तरह की आती हैं दिक्कतें

- बच्चे यूज होने वाले उपकरणों को देखकर डर जाते हैं

- इलाज के दौरान होने वाले दर्द के कारण रोने लगते हैं

- बच्चे जोर-जोर से चिल्लाते हैं और हाथ-पैर झटकते हैं

- कई बार तो बच्चे मारपीट और तोड़फोड़ भी करने लगते हैं

Posted By: Inextlive