कोरोना काल में दो साल फीस वृद्धि न करने के बाद इस साल सभी निजी स्कूलों ने फीस बढ़ा दी है। कहीं 10 तो कहीं 12 फीसद तक फीस में इजाफा हुआ है। बीते साल भी कुछ स्कूलों ने फीस बढ़ाई थी।


लखनऊ (ब्यूरो)। केस- 1- नाम- राजेश सिंह, गोमती नगरमासिक आय- 35 हजार रुपएएक बच्चे को पढ़ाने में खर्च (क्लास 5)दो माह की फीस- 6400 रुपएकिताब, स्टेशनरी और यूनिफॉर्म- 8000 रुपएदूसरे बच्चे को पढ़ाने में खर्च (क्लास 9)अप्रैल माह में पढ़ाई का कुल खर्च: 31600 रुपएपढ़ाई का सालाना खर्च: 81600 रुपएमिसलेनियस खर्च: 5000 रुपएनोट- अप्रैल माह के खर्च में फीस, ड्रेस, स्टेशनरी आदि सब शामिल है।कैसे कर रहे मैनेजअप्रैल माह के लिए पहले से ही सेविंग करके रखते हैं ताकि बच्चों की फीस और किताबें कॉपी खरीदने में कोई समस्या न आएं। हर माह मासिक वेतन से 25 प्रतिशत से अधिक बच्चों की पढ़ाई पर खर्च हो रहा है।केस- 2नाम- अतुल कुमार, ऐशबागमासिक आय- 42 हजार रुपएएक बच्चे को पढ़ाने में खर्च (क्लास 8)एक माह की फीस- 6000 रुपए


किताब, स्टेशनरी और यूनिफॉर्म- 5500 रुपए

दूसरे बच्चे को पढ़ाने का खर्च (क्लास 12)अप्रैल माह का खर्च- 16600 रुपएअन्य खर्च अप्रैल माह के- 28100 रुपएसाल में पढ़ाई पर कुल खर्च- 81 हजार रुपएमिसलेनियस खर्च- 5 से 6 हजार के बीचकैसे कर रहे मैनेज

पूरे साल की गई सेविंग से किसी तरह चलता है काम। मासिक वेतन का करीब 28 फीसद तक बच्चों की पढ़ाई पर खर्च हो रहा है।ऊपर दिए गए ये दो उदाहरण यह बताने के लिए काफी हैं कि किस तरह प्राइवेट और कान्वेंट स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे पेरेंट्स का बजट नए सत्र में बिगड़ गया है। पेरेंट्स अपनी पुरानी बचत से ही किसी तरह मैनेज करके बच्चों को पढ़ा रहे हैंस्कूलों ने बढ़ाई फीसकोरोना काल में दो साल फीस वृद्धि न करने के बाद इस साल सभी निजी स्कूलों ने फीस बढ़ा दी है। कहीं 10 तो कहीं 12 फीसद तक फीस में इजाफा हुआ है। बीते साल भी कुछ स्कूलों ने फीस बढ़ाई थी। यूपी फीस नियामक अधिनियम 2018 के मुताबिक फीस में सालाना वृद्धि औसत उपभोक्ता सूचकांक की दर को देखकर की गई है। सत्र 2022-23 में मंत्रालय की ओर से सीपीआई 6.69 प्रतिशत घोषित की गई है। सीपीआई में पांच फीसदी जोड़ते हुए फीस में 11.69 फीसदी की वृद्धि की गई है। वहीं पेरेंट्स का कहना है कि कुछ स्कूलों में तो 15 फीसद तक फीस में इजाफा किया गया है।कुछ इस तरह बढ़ी फीस- सेंट फ्रांसिस कॉलेज- 2019 में तिमाही फीस 9420 रुपए थी, जो 2023-24 में 11310 हो गई।
- लामार्टिनियर ब्वॉयज कॉलेज- 2018-19 में नर्सरी की कंपोजिट एनुअल फीस 75530 रुपए थी। इस साल फीस 90600 हो गई। एनुअल कंपोजिट फीस स्कूल तिमाही लेता है।- जीडी गोयंका पब्लिक स्कूल- 2018-19 में नर्सरी की फीस 8633 रुपए थी। यह 2019 20 में 9333 रुपए माह कर दी। स्कूल की वेबसाइट पर दी जानकारी के मुताबिक साल 2023 की कंपोजिट क्वार्टर फीस 30900 रुपए है।- सेठ एमआर जयपुरिया- 2019-20 में 4904 रुपए थी। इस साल प्ले ग्रुप, एलकेजी 18688 रुपए कंपोजिट ट्यूशन फीस स्कूल ले रहा है।- सीएमएस- 2019-20 में फीस 3050 रुपए फीस थी, जो अब 3700 रुपए हो गई है।- सेंट जोसेफ स्कूल- 2019 में नर्सरी की फीस 2000 रुपए थी, जो अब 2600 रुपए है।- डीपीएस इंदिरानगर- 2018 में 14440 रुपए तिमाही फीस थी, जो 19580 हो गई है।एडमिशन फीस के खेल में उलझे पेरेंट्स
प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि उनके दो बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे हैं और तीसरे का अभी एडमिशन कराया है। स्कूलों ने ट्यूशन फीस के नाम पर प्रति माह 500 से 700 रुपए बढ़ा दिए हैं। एडमिशन के नाम पर एक साथ 30 हजार रुपए लिए गए हैं। यूपी स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनिमय) अधिनियम 2018 के अनुसार स्कूल एक ही बार एडमिशन फीस ले सकते हैं। इसकी सीमा नहीं तय की गई है। कुछ प्राइवेट स्कूल एडमिशन फीस के नाम पर 50 हजार रुपए तक वसूल रहे हैं।बोले पेरेंट्सकोरोना काल में तो स्कूलों ने फीस नहीं बढ़ाई लेकिन अब स्कूलों में 5 से 12 प्रतिशत तक का इजाफा कर दिया गया है। पेरेंट्स के लिए बच्चों को पढ़ाना बड़ी समस्य बनता जा रहा है। इस पर गंभीरता से ध्यान देकर सरकार पेरेंट्स को राहत दिलाए।-राकेश कुमार सिंह, अध्यक्ष, अभिभावक विचार परिषदस्कूलों में फीस बढ़ती जा रही है और कॉपी-किताबों का खर्च भी बढ़ता जा रहा है। मेरी तीन बेटियां हैं, जिनकी पढ़ाई में ही हर साल 80 हजार से अधिक रुपए खर्च हो जाते हैं। बच्चों को पढ़ाना भी अब मुश्किल होता जा रहा है।-रितु, ऐशबागतीन साल बाद फीस बढ़ाने का फैसलानिजी स्कूलों ने पेरेंट्स का ध्यान रखते हुए कोविड के समय फीस में छूट दी और फीस माफ भी की। स्कूलों में अब तीन साल बाद फीस बढ़ाई गई है। नियमों के अनुसार ही फीस में इजाफा किया गया है।-अनिल अग्रवाल, अध्यक्ष, यूपी अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन

Posted By: Inextlive