- केजीएमयू में भर्ती मरीज की रीढ़ की हड्डी के द्रव्य में मिला कोरोना वायरस

- ब्रेन को भी खतरा, हाईपर एक्टिव इम्यून सेल मांसपेशियों को कर रहे खराब

LUCKNOW : थ्रोट स्वैब-नेजल स्वैब (गले-नाक का द्रव्य) में पाया जाने वाला कोरोना वायरस धीरे-धीरे अपना विस्तार करता जा रहा है। अब इसकी मौजूदगी की पुष्टि कुछ मरीजों की रीढ़ की हड्डी के द्रव्य में भी हुई है। इस बदलाव से डॉक्टर भी हैरान हैं। उनका कहना है कि यह साफ संकेत है कि कोरोना वायरस भारत में तेजी से अपने रूप में बदलाव कर रहा है।

केजीएमयू में भर्ती है मरीज

कोरोना के इस बदले स्वरूप की पुष्टि केजीएमयू में भर्ती एक मरीज में हुई है। बेहोशी की हालत में लाए गए मरीज में कोरोना का यह नया रूप मिला है। शनिवार को केजीएमयू में एक वेबिनार के दौरान संक्रामक रोग यूनिट प्रभारी डॉ। डी हिमांशु ने इस गंभीर मरीज की स्टडी प्रदर्शित की। उनके मुताबिक, अब तक यहां जितने भी कोरोना के मरीज भर्ती किए गए हैं, उनमें से सिर्फ 17 में ही हीमोफैगोसिटिक लिंफो हिस्टोसाइटोसिस (एचएलएच) पाया गया है।

मसल्स कर देता है कमजोर

डॉ। डी हिमांशु ने बताया कि हीमोफैगोसिटिक लिंफो हिस्टोसाइटोसिस से मनुष्य का इम्युन सिस्टम हाईपर हो जाता है और सफेद रक्त कोशिकाओं के कुछ सेल अन्य रक्त कोशिकाओं पर हमला करना शुरू कर देते हैं। ऐसे में ये कोशिकाएं नष्ट होना शुरू हो जाती हैं। यही नहीं पांच मरीजों में गुलियन बैरे ¨सड्रोम (जीबीएस) की भी मौजूदगी पाई गई है। इसमें वायरस व कीटाणु से लड़ने वाले सेल्स तंत्रिका तंत्र पर हमला करते हैं और मुख्य रूप से फेफड़े की मसल्स को काफी कमजोर कर देते हैं।

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केजीएमयू में ऐसा पहला मामला

डॉ। हिमांशु के मुताबिक, बेहोशी की हालत में भर्ती किए गए इस मरीज में ब्रेन के इंफेक्शन की जांच के लिए सेरिब्रो स्पाइनल फ्लूड (सीएसएफ) भेजा गया था। लैब में रीढ़ की हड्डी के द्रव्य (सीएसएफ) की जांच हुई तो वहां भी कोरोना वायरस की मौजूदगी का पता चला। वैसे कई देशों में पहले ही सीएसएफ में कोरोना वायरस के पहुंचने की पुष्टि हो चुकी है लेकिन केजीएमयू में यह इस तरह का पहला मामला है।

कोट

लैब में रीढ़ की हड्डी के द्रव्य (सीएसएफ) की जांच हुई तो वहां भी कोरोना वायरस की मौजूदगी का पता चला। केजीएमयू में यह इस तरह का पहला मामला है।

- डॉ। डी हिमांशु, यूनिट इंचार्ज, संक्रामक रोग

Posted By: Inextlive