- शहर में बढ़े सिलेंडर भरने वाले प्लांट, अस्पतालों में लगे टैंक

रुष्टयहृह्रङ्ख : कोरोना की सेकंड वेव का खतरा मंडरा रहा है। इसलिए ट्रे¨सग-टेस्टिंग के साथ-साथ इलाज की व्यवस्था भी पुख्ता की जा रही है। खासकर गंभीर मरीजों के लिए ऑक्सीजन क्षमता डबल कर दी गई है। अस्पतालों को ऑक्सीजन के संकट से नहीं जूझना होगा।

ऑक्सीजन की भरपूर व्यवस्था

ड्रग इंस्पेक्टर माधुरी सिंह के मुताबिक पहले शहर में दो ऑक्सीजन प्लांट थे। इनमें 1600-1600 जंबो ऑक्सीजन सिलिंडर भरने की क्षमता थी। वहीं अब तीन और ऑक्सीजन प्लांट लग गए हैं। इनमें तीन हजार और जंबो सिलिंडर भरने की क्षमता हो गई है। अस्पतालों को ऑक्सीजन की किल्लत नहीं होगी। शहर में सात सौ के करीब रजिस्टर्ड निजी अस्पताल हैं। वहीं सरकारी कोविड अस्पतालों में आईसीयू के बेड बढ़ने से ऑक्सीजन की खपत अधिक हो गई है।

लोहिया में लग रहा 4 हजार लीटर का टैंक

लोहिया संस्थान का शहीद पथ पर कोविड अस्पताल है। इसमें 200 बेड की क्षमता है। 133 बेड पर कोरोना मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। जल्द ही सभी बेड पर मरीज भर्ती की योजना है। इसके लिए ऑक्सीजन पाइप लाइन बिछ गई है। दिसंबर के पहले हफ्ते में यहां चार हजार लीटर का लिक्विड ऑक्सीजन टैंक लग जाएगा। पहले एचडीयू-आईसीयू भी 60 बेड से बढ़कर 150 आईसीयू के बेड हो जाएंगे।

संस्थान के प्रवक्ता डॉ। श्रीकेश सिंह के मुताबिक एक टैंक से ऑक्सीजन करीब 10 से 15 दिन चलेगी। अभी रोजाना 150 ऑक्सीजन सिलिंडर की खपत हो रही है। साथ ही 200 ऑक्सीजन सिलेंडर का बैकअप रखा जा रहा है।

¨लब सेंटर में 20 हजार लीटर का टैंक

केजीएमयू के ¨लब सेंटर में बने कोविड अस्पताल में भी ऑक्सीजन व्यवस्था दुरुस्त हो गई है। यहां 20 हजार लीटर का लिक्विड ऑक्सीजन टैंक लग गया है। 320 बेड वाले कोविड अस्पताल में मरीजों को ऑक्सीजन की दिक्कत नहीं होगी।

कोरोना के साइलेंट अटैक से टेक्नीशियन की मौत

- कई बार आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट आ रही थी निगेटिव

- सीटी स्कैन और एक्स रे में दिखा फेफड़ों में गंभीर संक्रमण

LUCKNOW :: सिविल हॉस्पिटल के सीनियर टेक्नीशियन की रविवार को साइलेंट कोरोना से मौत हो गई। कई बार जांच में उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ रही थी। जबकि सीटी स्कैन व एक्स-रे में फेफड़े में गंभीर संक्रमण देखा गया था। यह संक्रमण कोरोना पॉजिटिव मरीजों के फेफड़ों जैसा ही था। इसलिए डॉक्टर मौत का कारण साइलेंट कोरोना मान रहे हैं। सिविल अस्पताल के वरिष्ठ टेक्नीशियन विकासनगर निवासी अशोक गुप्ता में 15 दिनों पहले कोरोना के लक्षण विकसित हुए थे। इसके बाद उनकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आ रही थी। जबकि फेफड़े में संक्रमण बना हुआ था। उन्हें ऑक्सीजन लेने में भी दिक्कत थी।

पीजीआई में कराया गया भर्ती

जब स्थिति गंभीर होने लगी तो उन्हें एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया। कई बार आरटी पीसीआर जांच हुई थी, लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आई थी। जबकि डॉक्टरों ने सीटी स्कैन और एक्स-रे करके देखा तो फेफड़े में ठीक वैसा संक्रमण पाया गया जैसा कोरोना होने पर मरीजों को होता है। मगर कोरोना रिपोर्ट हर बार निगेटिव होने से डॉक्टर भी हैरान थे। रविवार सुबह उनकी मौत हो गई। डॉक्टरों के अनुसार टेक्नीशियन में सारे लक्षण कोरोना जैसे ही थे। इसलिए इसे साइलेंट कोरोना से मौत माना जा रहा है। पीजीआई कोविड हॉस्पिटल के आईसीयू प्रभारी डॉ। जिया हाशिम ने बताया कि एक बार ट्रूनेट से लैब टेक्नीशियन की कोविड जांच पॉजिटिव आई थी, लेकिन बाद में आरटीपीसीआरजांच रिपोर्ट निगेटिव आ गई थी। हालत गंभीर होने से उनको वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया था।

Posted By: Inextlive