- कंटेनमेंट जोन घोषित होने के बावजूद बैरिकेडिंग और निगरानी की व्यवस्था भगवान भरोसे

- कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी सिर्फ कागजों पर सिमटी, इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम भी साबित हो रहा नाकाम

LUCKNOW : राजधानी में कोरोना संक्रमण के मामले दिनोदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। मंगलवार को भी रिकॉर्ड 600 से ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आए। इसके बावजूद सरकारी मशीनरी की लापरवाही बदस्तूर जारी है। पहले कोरोना संक्रमित मरीजों को हॉस्पिटल में एडमिट कराने में लापरवाही अब उससे भी आगे निकल गयी है। आलम यह है कि संक्रमित मरीजों के घर के आसपास घोषित कंटेनमेंट जोन में जमकर बरती जा रही लापरवाही हो या फिर संक्रमित मरीजों के संपर्क में आए लोगों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, हर स्तर पर लापरवाही जारी है। हालत यह हो गयी है कि कोविड इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल रूम में भी अब शिकायत का कोई नतीजा नहीं निकल रहा। यही वजह है कि राजधानी में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा हर रोज खुद के रिकॉर्ड तोड़ने पर आमादा है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने संक्रमण के बढ़ते मामलों की पड़ताल की तो जो हकीकत निकलकर सामने आयी वह चौंकाने वाली है। पेश है विशेष रिपोर्ट-

नहीं हो रही सुनवाई

बालागंज निवासी महिला टीचर पेट की समस्या पर प्राइवेट हॉस्पिटल पहुंची। जांच में कोरोना की पुष्टि हुई, जिसके बाद उन्हें वहीं एक कमरे में बंद कर दिया गया। महिला टीचर के पति भी वहीं पर हैं। वहां न तो खाना दिया जा रहा और न ही दवा। पति ने इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम को कॉल भी किया लेकिन, कुछ नहीं हुआ। वहीं, हॉस्पिटल ने सीएमओ को जानकारी देकर पल्ला झाड़ लिया। परिवार परेशान है कि कोई सुनवाई नहीं हो रही।

पति-पत्‍‌नी पॉजिटिव, एडमिट सिर्फ एक

मकबूलगंज निवासी महिला के पति की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर पत्‍‌नी ने भी जांच करायी। वह भी पॉजिटिव निकली। पति को तो हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया लेकिन, पत्नी को स्वास्थ्य विभाग भूल गया। विभाग की ओर से दवा या कोई मदद के लिये फोन भी नहीं आया। पांच दिनों बाद पीडि़ता ने खुद ही प्राइवेट लैब से टेस्ट कराया तो रिपोर्ट नेगेटिव आयी। हालांकि, इस दौरान विभाग ने उसका हाल जानने की भी जरूरत नहीं समझी।

पांच दिन बाद बैरिकेडिंग, पुलिस नदारद

लालकुआं के छितवापुर रोड पर महिला कोरोना संक्रमित मिलने पर इलाके को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया गया। पर, बैरिकेडिंग नहीं की गयी। इलाके में रहने वाले कुछ लोगों ने खुद जिला प्रशासन व 112 पर शिकायत कर इसकी जानकारी दी। आखिरकार पांच दिन बाद एरिया में बैरिकेडिंग की गयी। शुरुआत में एक कॉन्सटेबल को निगरानी में लगाया गया, लेकिन दो दिन बाद वह भी गायब हो गया। बिना निगरानी बैरिकेडिंग को स्थानीय लोगों ने खोल दिया और कंटेनमेंट जोन में आवाजाही जारी है।

बैरिकेडिंग तक नहीं हुई

इंदिरानगर बी ब्लॉक में कम्युनिटी टेस्टिंग के दौरान एक मकान में दो मरीज कोरोना संक्रमित मिले। पांच दिन बीतने के बावजूद न तो इलाके में बैरिकेडिंग की गयी और न ही कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के लिये ही कोई टीम पहुंची। इसी तरह खुर्रमनगर स्थित मैकाले स्कूल के करीब एक युवक कोरोना संक्रमित निकला। पर, उसके घर के आसपास भी बैरिकेडिंग नहीं की गयी। करीब 12 दिन बाद प्राइवेट लैब से करायी गयी जांच में उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आयी। पर, इस दौरान न तो उसके पास कोई फोन आया और न ही उससे किसी अधिकारी या कर्मचारी ने संपर्क किया।

बॉक्स।

क्या है प्रक्रिया

जहां कहीं कोरोना संक्रमित मरीज मिलता है तो उस जगह को कंटेनमेंट जोन घोषित किया जाता है। इसके लिये लिस्ट बनाकर डीएम को भेजी जाती है। उस जगह पर नगर निगम बल्लियां लगाकर उस इलाके को सील करता है और संबंधित थाना से वहां निगरानी के लिये पुलिसकर्मी तैनात किया जाता है।

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सीएमओ का दावा ऑनलाइन है सब

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की पड़ताल में जो मामले सामने आए उस पर जब सीएमओ डॉ। आरपी सिंह से जानकारी मांगी गयी तो उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि अब सबकुछ ऑनलाइन हो गया है। कॉन्टैक्ट और सर्विलांस ट्रेसिंग के लिये टीम बनी हुयी है। जैसे ही किसी पॉजिटिव मरीज की जानकारी अपलोड होती है, तुरंत ही टीम उस दिये गए फोन नंबर पर कॉल कर जानकारी करती है। इसके 1-2 दिनों के भीतर ही मरीज के संपर्क में आये लोगों की जांच करायी जाती है। उन्होंने बताया कि कई बार फोन नंबर या पता गलत होता है जिसमें ट्रेसिंग में दिक्कत होती है। इसके अलावा कई बार लोग खुद फोन कर जानकारी देते हैं तो अपने स्तर से भी टीम भेजकर जांच करायी जाती है।

वर्जन।

कोरोना संक्रमित मरीजों का सारा काम ऑनलाइन हो गया है। जब मरीज की जानकारी पोर्टल पर अपलोड होती है तो कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के आधार पर 1-2 दिनों में जांच करायी जाती है। अगर कहीं दिक्कत हो रही है तो उसे दुरुस्त किया जायेगा।

डॉ। आरपी सिंह

सीएमओ

नगर आयुक्त का वर्जन अभी दिया जायेगा

Posted By: Inextlive