- केजीएमयू के मनोरोग विभाग ने किया सर्वे

- देशभर के हेल्थ वर्कस हुये सर्वे में शामिल

- 303 हेल्थ वर्कस ने सर्वे में लिया हिस्सा

- 200 तक सवाल सर्वे में पूछे गए

LUCKNOW : कोरोना वायरस के फैलने की रफ्तार को कम करने में डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ फ्रंट लाइन पर लड़ रहे हैं, जो कोरोना पॉजिटिव के सबसे करीब काम कर रहे हैं। ऐसे में तमाम तरह की गाइडलाइन को फॉलो करने के साथ मरीजों का दबाव उनपर शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से पड़ रहा है। इसमें पीपीई किट पहनना, घंटों ड्यूटी करना और सबसे अधिक परिवार से दूर रहकर काम करना आदि शामिल हैं। इसी को देखते हुये केजीएमयू के मनोरोग विभाग ने कोविड में ड्यूटी कर रहे हेल्थकेयर वर्कस की मनोस्थिति को समझने को एक सर्वे किया गया, जिसमें चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई। सर्वे के अनुसार करीब पचास फीसदी हेल्थ वर्कस एंजाइटी व डिप्रेशन की समस्या से ग्रसित हैं। सबसे ज्यादा समस्या 30 की एज ग्रुप के लोगों में पाई गई। जल्द ही रिपोर्ट को जनरल में पब्लिश होगी।

देशभर में हुआ सर्वे

केजीएमयू के मनोरोग विभाग में एडिशनल प्रोफेसर डॉ। आदर्श त्रिपाठी के मुताबिक कोविड-19 की शुरुआत से ही हेल्थ वर्कर फ्रंट लाइन वारियर्स की तरह काम कर रहे हैं। कोरोना एकदम नई बीमारी है और इसके बारे में ज्यादा पता भी नहीं है। ऐसे में इंडियन साइकियाट्री सोसाइटी की एथिक्स कमेटी की मंजूरी के साथ पेन इंडिया सर्वे कराया गया था, जिसमें लखनऊ, मुंबई, कोलकाता व चंडीगढ़ सहित कई शहरों से कुल 303 हेल्थ वर्कस ने हिस्सा लिया। सर्वे हिंदी और इंग्लिश में किया गया, जिसमें 150 से 200 तक सवाल किये गये थे। लोगों द्वारा दिये गये जवाबों का एक्सपर्ट द्वारा एनालिसिस किया गया ताकि पता चल सके कि कितना असर हुआ है। इस सर्वे के दौरान लोगों में एंजाइटी, डिप्रेशन, स्ट्रेस और सुसाइडल प्रवृति तक देखने को मिली। सर्वे में ऑथेंटिक स्केल के आधार पर आंकड़े तैयार किए गए हैं।

46.2 परसेंट स्ट्रेस में हेल्थ वर्कस

डॉ। आदर्श ने बताया कि ऑनलाइन सर्वे 2 अप्रैल से लेकर 5 मई के बीच किया गया था। सर्वे के अनुसार इस दौरान तकरीबन 46.2 परसेंट लोगों को स्ट्रेस व डिप्रेशन की समस्या देखने को मिली। इसमें 69 परसेंट मेल और 31 परसेंट फीमेल शामिल हैं। सर्वे में 12.9 परसेंट लोगों में सुसाइडल प्रवृति तक देखने को मिली है। डिप्रेशन की सबसे ज्यादा समस्या महिलाओं में देखने को मिली। इतना ही नहीं डिप्रेशन की समस्या वालों में 30 साल औसत उम्र देखी गई। कोविड हॉस्पिटल में ड्यूटी करने वालों के 19.8 परसेंट परिजन खुश नहीं थे तो 45.5 परसेंट लोगों को बीमारी होने का डर था।

यह रही बड़ी वजहें

डॉ। आदर्श के मुताबिक लोगों में निगेटिविटी और स्ट्रेस की वजह कहीं न कहीं कोविड में ड्यूटी करना रहा है। इसमें पीपीई किट पहनना, परिवार से दूर रहना, क्वारंटीन होना, ड्यूटी आर्वस फिक्स न होना, वायरस के बारे में ज्यादा पता न होना और संक्रमण का खतरा सहित अन्य कई कारण शामिल थे।

कोट

सर्वे में करीब पचास फीसदी लोगों में स्ट्रेस व डिप्रेशन देखने को मिला है। नया वायरस होने के साथ संक्रमण का डर होना सहित कई कारण स्ट्रेस की वजह बना। इससे हमे हेल्थ वर्कस की मनोदशा को समझने का मौका मिलेगा।

- डॉ। आदर्श त्रिपाठी, एडिशनल प्रोफेसर, मनोरोग विभाग केजीएमयू

सर्वे एक नजर में

- 46.2 परसेंट लोगों को स्ट्रेस व डिप्रेशन डिस्ऑर्डर

- 69 परसेंट मेल और 31 परसेंट फीमेल

- 12.9 परसेंट लोगों में सुसाइडल प्रवृति

- 10.9 परसेंट लोग क्वारंटीन में रहे

- 69.3 परसेंट मैरिड और 31.1 परसेंट सिंगल हुये शामिल

- 30 वर्ष औसत आयु देखने को मिली डिप्रेशन में

- 16.5 परसेंट परिजनों को बीमार होने का डर

- 32.3 परसेंट परिजन ड्यूटी करने से खुश नहीं

सर्वे में यह हुये शामिल

- 29.6 परसेंट जूनियर रेजिडेंट

- 12.5 परसेंट सीनियर रेजिडेंट

- 33.5 परसेंट फैकल्टी

- 23 परसेंट पैरामेडिकल स्टाफ

- 19.1 परसेंट मेडिकल ऑफिसर

Posted By: Inextlive