डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने हाल के दिनों में प्रदेश के कई सरकारी अस्पतालों का निरीक्षण किया और जब उन्होंने मरीजों से बात की तो उन्हें पता चला था कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को सभी दवाएं नहीं मिल रही हैं।


लखनऊ (ब्यूरो)। अगर हम पूरे प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की बात करें तो सभी जगह दवाओं की कमी देखने को मिल जाती है। मरीजों को कभी-कभी ही सारी दवाएं अस्पतालों से मिलती हैं। कारण यही बताया जाता है कि मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन से दवाएं पूरी नहीं भेजी जा रही हैं। अब डिप्टी सीएम के छापे के बाद यह बात सही भी साबित हो गई है। प्रदेश में करोड़ों की दवाएं रखे-रखे ही बेकार हो जाती हैं, जबकि मरीज इन दवाओं को बाहर मेडिकल स्टोर से खरीदने को मजबूर होते हैं।लगातार मिल रही थी शिकायत


गौरतलब है कि डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने हाल के दिनों में प्रदेश के कई सरकारी अस्पतालों का निरीक्षण किया और जब उन्होंने मरीजों से बात की तो उन्हें पता चला था कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को सभी दवाएं नहीं मिल रही हैं। इस पर उन्होंने सख्त रुख अपनाते हुए आदेश दिए थे कि सभी सरकारी अस्पतालों में मरीजों को सारी दवाएं तत्काल रूप से उपलब्ध कराई जाएं।लोहिया में मिली थी एक्सपायर्ड दवा

इससे पहले ब्रजेश पाठक ने लोहिया संस्थान का भी औचक निरीक्षण किया था, जहां उन्हें करीब 50 लाख से अधिक की एक्सपायर्ड दवाओं की जानकारी मिली थी। इस पर उन्होंने रिपोर्ट तलब की थी। इसके बाद भी अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया।टेंडर में होता है खेलविभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कारपोरेशन द्वारा कई ऐसी दवाएं मंगवा ली जाती हैं, जिनकी अधिक डिमांड नहीं होती है। टेंडर के माध्यम से मंगाई गई ये दवाएं या तो खराब होने वाली होती हैं, या फिर यहां गोदाम में रखे-रखे खराब हो जाती हैं। यह पूरा खेल मोटे कमीशन का है। दवा कंपनियां अधिकारियों से सांठगांठ करके मनमाना टेंडर पास करा लेती हैं। अगर इस मामले की सही तरीके से जांच कराई जाए तो एक बड़ा घोटाला सामने आ जाएगा।

Posted By: Inextlive