बिना परमीशन नहीं संचालित हो सकेंगी डेयरी
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जारी की डेयरी और गौशालाओं के लिए नई गाइडलाइन
द्यह्वष्द्मठ्ठश्र2@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ रुष्टयहृह्रङ्ख: शहरों में घनी आबादी के बीच संचालित डेयरी व गौशालाओं में गोबर व मूत्र के निस्तारण के पर्याप्त इंतजाम करने होंगे। दरअसल, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने नई गाइडलाइन जारी की है, जिसके तहत शहरी निकायों से अनुमति लेने के बाद ही डेयरी व गौशाला संचालित की जा सकती है। नालों में बहाया जा रहा गोबर और मूत्र शिकायतें आ रही थीं कि डेयरी व गौशालाओं में मवेशियों के गोबर और मूत्र का निस्तारण नालियों में कर दिया जाता है। ऐसे में नालियां अथवा सीवर लाइनें जाम हो जाती हैं। यही गंदगी सीवर के माध्यम से नदियों के जल को प्रदूषित कर रही है। बॉक्स ये है गाइडलाइन- डेयरी और गौशाला का संचालन शहरी निकाय तथा ग्रामीण क्षेत्रों में संबंधित विभागों से अनुमति प्राप्त कर नियत स्थान पर ही किया जा सकेगा।
- निस्तारण के लिए गोबर गैस या कंपोस्ट खाद बनाने के प्रबंध करने होंगे। - पशुओं से जनित मूत्र को एकत्र कर औषधि व खाद निर्माण में प्रयोग किया जा सकेगा। - ग्रामीण क्षेत्रों में डेयरी या गौशालाओं में पशुओं से जनित गोबर व मूत्र का प्रयोग कर हरित एवं कार्बनिक खेती की जा सकेगी।- शहरी क्षेत्रों के पशुओं से जनित अपशिष्ट का प्रयोग बगीचों एवं पौधशाला आदि में खाद के तौर पर किया जा सकता है।
वर्जन। हाईकोर्ट का आदेश है कि डेयरी को शहर से बाहर शिफ्ट कराया जाए। इस परिप्रेक्ष्य में सभी डेयरियों को शहर से बाहर किया गया है। हालांकि कुछ डेरियां फिर से शहर में लौट आई हैं, जिन्हें शीघ्र बाहर किया जाएगा। नगर निगम द्वारा शहर की लगभग एक हजार डेयरी को बाहर स्थानांतरित किया गया है। - डॉ। अरविंद राव, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग वर्जन। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी गाइडलाइंस के परिप्रेक्ष्य में नगर निगम को कार्रवाई करने के लिए कहा जाएगा। - डॉ। रामकरन, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी