उत्तर प्रदेश में बेटियों ने आईटीआई कोर्सेज से दूरी बना रखी है। सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी यहां आईटीआई में संचालित कोर्सेज में बेटियों का रुझान कम देखने को मिल रहा है। यह तस्वीर ग्रामीण क्षेत्रों से सामने आ रही है। यहां आईटीआई कॉलेजों में गल्र्स के लिए रिजर्व की गईं सीटें भी नहीं भर पा रही हैं। अब इन खाली सीटों को भरने की जिम्मेदारी आईटीआई के प्रिंसिपल्स को दी गई है। उनसे कहा गया है कि यदि चौथे चरण की काउंसिलिंग के बाद भी गल्र्स की शत प्रतिशत सीटों पर एडमिशन न हुए तो अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रिंसिपल्स पर की जाएगी।

लखनऊ (ब्यूरो)। राजकीय आईटीआई में कम फीस के बावजूद गल्र्स एडमिशन नहीं ले रही हैं। एडमिशन के लिए 3 चरणों में हुई काउंसिलिंग के बाद यह नतीजे सामने आए हैं। प्रदेशभर के राजकीय आईटीआई में अबकी 37 फीसद सीटों पर ही गल्र्स के दाखिले हुए हैं। इन हालात को देखते हुए शासन ने सभी आईटीआई के प्रिंसिपल्स को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे चौथे चरण की काउंसिलिंग में गल्र्स से संपर्क कर शत प्रतिशत एडमिशन कराने के लक्ष्य को पूरा करें।

सिर्फ 78 हजार एडमिशन
यूपी में आईटीआई संस्थानों की संख्या करीब 304 है। इनमें करीब एक लाख 19 हजार 577 सीटें हैं। इन सीटों पर एडमिशन के लिए स्टेट लेवल पर तीन चरणों की काउंसिलिंग हो चुकी है। सिर्फ 78 हजार 108 सीट पर एडमिशन हुए हैं। करीब 35 प्रतिशत सीटें अभी सरकारी आईटीआई संस्थानों में खाली हैं। प्रदेश के राजकीय आईटीआई में 24 हजार 915 सीटें गल्र्स के लिए रिजर्व हैं, लेकिन सिर्फ 9 हजार 178 गल्र्स ने ही एडमिशन लिया है।बाक्स
प्रदेश में कई राजकीय आईटीआई में गल्र्स के एडमिशन को लेकर हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई है। सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा बलिया से आया है। यहां गवर्नमेंट आईटीआई में गल्र्स के लिए 40 सीटें रिजर्व की गई थीं, लेकिन यहां एक भी सीट पर किसी महिला ने एडमिशन नहीं लिया है। यही स्थिति खलीलाबाद और अतरौली गवर्नमेंट आईटीआई की है। वहीं मंडल मुख्यालयों की आईटीआई में गल्र्स की सभी सीटें भर चुकी हैं।


कहां कितने हुए एडमिशन
आईटीआई एडमिशन गल्र्स के
बलिया गवर्नमेंट आईटीआई 0
खलीलाबाद गवर्नमेंट आईटीआई 0
अतरौली गवर्नमेंट आईटीआई 0
बुलंदशहर आईटीआई 5
बड़हलगंज आईटीआई 7

सीट न भरने का कारण
विशेषज्ञों की मानें तो यह समस्या इसलिए सामने आ रही है कि बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों एवं ग्रामीण एरिया में आईटीआई के कोर्सों का प्रचार-प्रसार ही नहीं है। अधिकतर लोगों को यहां चलाए जाने वाले कोर्सों की जानकारी नहीं है। ऐसे में इन एरिया की गल्र्स ने आईटीआई से दूरी बना रखी है।

Posted By: Inextlive