- डीजी हेल्थ बोले, किट जांच पर नहीं करें भरोसा

- मलेरिया व कई अन्य बीमारियों में भी किट देती है डेंगू की रिपोर्ट

LUCKNOW: अगर आप को बुखार है और लक्षण डेंगू के हैं तो किट से जांच की जगह आप किसी सरकारी अस्पताल या फिर किसी फेमस पैथॉलोजी से प्रॉपर टेस्ट करायें। यह कहना है डीजी हेल्थ डॉ सुनील कुमार का। डॉ। सुनील ने कहा कि किट की जांच में डेंगू पॉजिटिव आने का मतलब यह नहीं है कि उसे वास्तव में डेंगू ही हो। कई बार डेंगू न होने पर भी किट से रिपोर्ट पॉजिटिव आती है। इसलिए किट की जांच पर भरोसा कर डेंगू से डरें नहीं। उन्होंने कहा कि एनएस1 एंटीजन टेस्ट (रैपिड डायग्नोस्टिक किट टेस्ट) की सेंसिटिविटी काफी लो है। जिसके कारण कई बार बीमारी न होने पर भी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है। हेल्थ मिनिस्ट्री के नियमों के मुताबिक किट टेस्ट को सिर्फ संभावित मरीज कहा जा सकता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है मरीजों को डेंगू हो ही। डीजी हेल्थ ने कहा कि विभाग सिर्फ कंफर्म केसेज को ही रिपोर्ट करता है। अगर मरीज की एलाइजा टेस्ट में पॉजिटिव आएगा तभी वह डेंगू मरीज मना जाता है।

दिल्ली सरकार ने किया था बैन

उन्होंने बताया कि 2015 में दिल्ली सरकार ने किट के माध्यम से होने वाली जांच को बैन कर दिया था। क्योंकि कई बार सामान्य बुखार में भी यह पॉजिटिव दिखाता है। जिससे भय फैलता है। किट टेस्ट से मलेरिया, लेप्टोस्पाइरोसिस, मीजल्स, इंफ्लूएंजा, जापानीज इंसेफ्लाइटिस, वेस्ट नील रीवर और यलो फीवर में भी डेंगू पॉजिटिव बताता है।

5 से 6 दिन में ही आती है रिपोर्ट

अगर मरीज रैपिड टेस्ट से पॉजिटिव आता है और उसकी मौत हो जाती है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसे डेंगू रहा हो। वह मलेरिया या किसी अन्य बीमारी के कारण भी बीमार रहा हो सकता है। डॉ। सुनील कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि इलाइजा टेस्ट से डेंगू 5 से 6 दिन में ही पॉजिटिव आता है। अगर एलाइज टेस्ट बुखार के दूसरे या तीसरे दिन किया जाता है तो यह रिपोर्ट निगेटिव आएगी क्योंकि डेंगू की एंटीबॉडी पांचवें दिन बाद ही पहचान में आ पाती हैं। इसलिए रैपिड टेस्ट कराया सकता और रैपिड से पॉजिटिव आने पर ही एलाइजा टेस्ट कराएं। एलाइजा टेस्ट में कम से कम 6 घंटे लगते हैं और सभी सैंपल की रिपोर्ट सात घंटे में रिपोर्ट से भेजी जा रही है।

अब तक सिर्फ 74 मामले

प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार 26 अगस्त तक राज्य में डेंगू बुखार के सिर्फ 74 मामले ही सामने आए हैं। इस घातक ज्वर से अभी तक केवल दो की मौत हो हुई है। इसके अलावा जापानी इंसेफ्लाईटिस बुखार के ग्रसित 53 रोगियों की पुष्टि हुई है। इस बुखार से चार लोगों की मृत्यु होने की सूचना है। इसके अलावा प्रदेश में कालाजार से 66 और चिकुनगुनिया बुखार से 1 मरीज ग्रसित मिला है। लेकिन इस बीमारी से किसी भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं हुई है।

रोग के लक्षण

1. तेज बुखार, तेज बदन दर्द, सिरदर्द तथा शरीर पर चकत्ते हो सकते हैं।

2. दांत से, मुंह से, नाक से, खून आने की शिकायत हो सकती है।

3. डेंगू रोग पूर्व से ग्रसित रोग जैसे डायबिटीज, रीनल फेलियर, श्वसन रोगी और इम्यूनो कम्प्रेस्ड व्यक्तियों में अधिक गंभीर हो सकता है।

यहां कराएं जांच

डेंगू की जांच एलाइजा विधि द्वारा ही प्रमाणिक मानी जाती है। जो रीजनल लैब संचारी रोग शाखा, स्वास्थ्य भवन, लखनऊ, ओर केजीएमयू, एसजीपीजीआई व डॉ। राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में नि:शुल्क उपलब्ध है। इन सभी के लिए बलरामपुर, सिविल, और डॉ। राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय में सैंपल दिए जा सकते हैं। डेंगू की प्रारम्भिक जांच निजी पैथालॉजी सेन्टर्स पर भी उपलब्ध है।

ऐसे करें बचाव-

1. फॉगिंग के समय खिड़की दरवाजे यथा संभव खुले रखें।

2. घर में कूलर, बाल्टी, घड़े तथा ड्रम का पानी साप्ताहिक अन्तराल पर बदलते रहें।

2. कूलर का पानी निकालने के बाद उसकी टंकी दीवारों को स्क्रब से साफ करके 04-05 घंटे सूखने दें जिससे दीवारों से चिपके लार्वा भी मर जायें।

3. घर के आस-पास पानी एकत्रित न होने दें।

4. सोते समय मच्छरदानी उका प्रयोग करें। शरीर पर मच्छर निरोधक औषधियों को खुले भागों पर लगाये।

5. नीम की पत्ती का धुआं करें।

6. फुल बांह के कपड़े और पैरों में जूता मोहा पहने, स्कूल ड्रेस भी फुल आस्तीन वाली हो।

7. बुखार आने पर नजदीक के अस्पताल में जांच कराएं।

क्या न करें:

1. घर के आस-पास कूड़ा एकत्रित होने न दें।

2. घर में यदि बुखार का रोगी है तो उसे बिना मच्छरदानी के न रहने दें। या ऐसे कमरे में रहें जिसकी खिड़की, दरवाजे पर जालियां लगी हों।

3. चिकित्सीय परामर्श एवं जांच के बिना दवा का प्रयोग न करें।

5. संभावित डेंगू से ग्रसित रोगी एस्प्रीन, ब्रूफेन, कार्टिस्ट्रायेड, निमोसुलाइड आदि दवाओं का प्रयोग कतई न करें।

विराज खंड में डेंगू का प्रकोप

गोमती नगर के विराज खंड दो स्थित आश्रय हीन कालोनी में पिछले कई दिनों से मच्छरों का प्रकोप है। जिसके कारण कई दर्ज लोग बुखार की चपेट में है। कॉलोनी वासियों के अनुसार दो लोगों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है और एक की मौत भी हो गई है। लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से साफ सफाई व फॉगिंग के लिए कोई मदद नहीं मिली है। जिसके कारण लोग डेंगू व अन्य बीमारियों से डरे हुए हैं।

एक और की गई जान

डेंगू कम होने का नाम नहीं ले रहा। शनिवार को फिर महानगर स्थित एक प्राइवेट नर्सिग होम में 19 वर्षीय आसिफ की डेंगू के इलाज के दौरान मौत हो गई। जबकि सिविल में 12, बलरामपुर में 7 लोहिया में 9, केजीएमयू में 8 और पीजीआई में 6 मरीजों की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।

Posted By: Inextlive