ब्लैक फंगस इंजेक्शन की कालाबाजारी में लिप्त डॉक्टर को संस्थान ने निकाला

LUCKNOW:

कोरोना और ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की कालाबाजारी में शामिल लोहिया संस्थान के रेजीडेंट डाक्टर को नौकरी से निकाल दिया है। पुलिस की कार्रवाई के बाद संस्थान प्रशासन हरकत में आया जिसके बाद आरोपित रेजिडेंट डॉक्टर पर कार्रवाई की गई है। साथ ही महंगी दवाओं की निगरानी बढ़ा दी गई है। इंजेक्शन की दलाली में डॉक्टर से मिलीभगत करने वाले केजीएमयू के दो संविदा कर्मचारियों की नौकरी भी खतरे में पड़ गई है। केजीएमयू प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर कड़ी कार्रवाई करने को कहा है।

मिलीभगत उजागर

ब्लैक फंगस के इलाज में लाइपोसोमल एम्फोटेरेसन-बी इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इंजेक्शन की किल्लत है। सरकारी मेडिकल संस्थान में चिकित्सा शिक्षा विभाग व प्राइवेट अस्पतालों में रेडक्रास सोसाइटी के माध्यम से इंजेक्शन मुहैया कराए जा रहे हैं। मरीजों की संख्या के मुताबिक इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं। तीमारदार अपनों की जान बचाने के लिए भटक रहे हैं। उनकी मजबूरी का फायदा दलाल उठा रहे हैं। इंजेक्शन की कालाबाजारी में लोहिया व केजीएमयू के डॉक्टर-कर्मचारी की मिलीभगत उजागर हो चुकी है।

डेढ़ साल से था तैनात

गुरुवार को लोहिया संस्थान प्रशासन ने पुलिस के चंगुल में फंसे डॉक्टर को नौकरी से हटा दिया गया है। यह डॉक्टर इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में जूनियर रेजीडेंट के पद पर करीब डेढ़ साल से तैनात था। संस्थान के प्रवक्ता डा। श्रीकेश सिंह के मुताबिक आरोपित जूनियर रेजीडेंट डॉ.वामिक हुसैन को नौकरी से हटा दिया गया है। डा.श्रीकेश ने संस्थान से इंजेक्शन चोरी की बात को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने बताया कि भर्ती व ओपीडी मरीज के सीआर नम्बर के आधार पर दवाएं जारी होती हैं। बिना सीआर नम्बर दवाएं स्टोर से बाहर नहीं आ सकती हैं।

केजीएमयू के दो संविदा कर्मचारी पर कार्रवाई का कोई फैसला नहीं हुआ है। केजीएमयू प्रवक्ता डॉ। सुधीर सिंह के मुताबिक पुलिस की तरफ से अभी कोई पत्र नहीं आया है। जैसे पत्र आएगा नियमानुसार कड़ी कार्रवाई होगी। डॉ। सुधीर का कहना है कि मरीजों की दवा चोरी होने कठिन है।

Posted By: Inextlive