एक प्राथमिक अस्पताल से रेफर कर नवजात को लखनऊ के कमांड अस्पताल भेजा गया था। इस नवजात बच्चे को सांस लेने में दिक्कत थी।


लखनऊ (ब्यूरो)। कमांड अस्पताल लखनऊ के डॉक्टरों की टीम द्वारा पियरे रॉबिन सीक्वेंस-पीआरएस जैसे दुर्लभ विकार से ग्रसित मरीज नवजात बच्चे का जटिल और सफल ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के बाद बच्चा पूरी तरह स्वस्थ और सुरक्षित है।जटिल सर्जरी की गई


एक प्राथमिक अस्पताल से रेफर कर नवजात को लखनऊ के कमांड अस्पताल भेजा गया था। इस नवजात बच्चे को सांस लेने में दिक्कत थी। इस दौरान सैन्य डॉक्टर ब्रि। एमके रथ, सलाहकार मैक्सिलोफेशियल सर्जरी और कर्नल आशुतोष निओनेटोलॉजिस्ट, कर्नल बादल पारिख एनेस्थिसियोलॉजिस्ट और ले। कर्नल विशाल कुलकर्णी मैक्सिलोफेशियल सर्जरी के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम ने संयुक्त रूप से बच्चे का मूल्यांकन किया। चूंकि बच्चे का वजन अपेक्षाकृत कम था और निचला जबड़ा अविकसित था, होंठ-जीभ की सर्जरी की गई। नियोनेटल डिस्ट्रैक्शन हिस्टोजेनेसिस नामक नवीनतम सर्जिकल तकनीक का उपयोग करके बच्चे के छोटे निचले जबड़े को 10 मिमी से अधिक लंबा कर दिया गया। निचले जबड़े के लंबे होने से जीभ आगे बढ़ गई और ऊपरी दबा हुआ वायुमार्ग खुल गया, जिससे बच्चे को सामान्य रूप से सांस लेने में मदद मिली। अस्पताल में रहने के 61 दिनों के बाद बच्चे को छुट्टी दे दी गई।60 हजार में से एक को होती है

डॉक्टरों के मुताबिक, पीआरएस में निचला जबड़ा बहुत छोटा होने के साथ-साथ तालु के फटने से बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होती है। समय रहते इलाज न होने से बच्चे की मौत तक हो जाती है। यह समस्या 60 हजार जीवित जन्मों में से एक को प्रभावित करती है। वे निमोनिया और अन्य श्वसन स्थितियों का विकास करते हैं, जिससे जीवित रहना मुश्किल हो जाता है।

Posted By: Inextlive