दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से सोमवार को सेंट जोजफ स्कूल की राजाजीपुरम कैंपस में राजनी-टी का आयोजन किया गया जहां टीचर्स ने पढ़ाई रोजगार महिला सुरक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर और हेल्थ जैसे मुद्दों पर आने वाली सरकार को क्या करना चाहिए इस पर अपनी बात संजीदगी से रखी। ज्यादातर टीचर्स एकमत थे कि इस बार चुनाव में महिला सुरक्षा महंगाई और रोजगार का मुद्दा अहम है। सरकार ने स्किल डेवलपमेंट के लिए जितनी योजनाएं बनाई हैं उसका कुछ हद तक फायदा तो मिला है लेकिन अभी बहुत कुछ होना बाकी है। इस दौरान टीचर्स ने कहा कि चुनाव के दौरान सपने को बहुत दिखाए जाते हैं लेकिन चुनाव खत्म होते ही ऐसे वादे दरकिनार कर दिए जाते हैं।

लखनऊ (ब्यूरो)। राजनी-टी कैंपेन में शिक्षिकाओं ने महिला सुरक्षा, महंगाई और हेल्थ को अहम मुद्दा माना। उनका कहना है कि कोरोना काल के बाद आई मंदी के बाद लोगों का गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। रोजमर्रा की चीजें दोगुने से अधिक महंगी हो गई हैं। इसके साथ ही मौजूदा सरकार ने रोजगार के क्षेत्र में काम किया। शिक्षा, बेरोजगारी और गरीबी यह तीनों आपस में जुड़े हैं। कहीं भी चले जाएं, बेरोजगारों की फौज नजर आ जाएगी। इसके लिए किसी पर दोष देना उचित नहीं है, लेकिन पहली जिम्मेवारी सत्ताधारी पार्टी की बनती है कि वह इस उधेड़बुन से युवाओं को बाहर निकालें। पढ़ाई के बाद भी युवाओं को काम नहीं मिलना एक बड़ा चुनावी मुद्दा है। हां, जो साक्षर नहीं हैं, उनके रोजगार का मसला अलग है, लेकिन जिन्हें सरकार स्किल्ड कर रही है, उन्हें भी अपने हुनर से रोजगार न मिले, तो सवाल उठना लाजमी है।

शिक्षा के क्षेत्र में हो विशेष फोकस
सेंट जोजफ ग्रुप ऑफ स्कूल के निदेशक अनिल अग्रवाल ने बताया कि किसी भी राष्ट्र का विकास शिक्षा के बिना संभव नहीं है। सरकार को चाहिए कि सर्वाधिक निवेश शिक्षा के क्षेत्र में करें, वह भी प्रारंभिक शिक्षा एवं माध्यमिक शिक्षा में। सरकार की तमाम योजनाएं जैसे मिड डे मील आदि चल रही हैं और बहुत सारी चीजें मुफ्त में दी जाती हैं। मेरा मानना है कि भले कुछ मूल्य या फीस ली जाए,लेकिन वह आवश्यक है क्योंकि फ्री में प्राप्त हुई चीज की कोई कीमत या उसको कोई वैल्यू नहीं देता है। शिक्षा के क्षेत्र में जिन शिक्षकों को शिक्षण कार्य के लिए नियुक्त किया जाता है उनको गुणवत्ता परक रिजल्ट देने और अपने छात्र छात्राओं को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी होनी चाहिए और यदि वह ऐसा कर पाने में सक्षम नहीं हैं तो उन्हें तत्काल हटा देना चाहिए, जब तक प्रत्येक शिक्षक अपनी इस जिम्मेदारी को नहीं समझेगा तब तक विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में सुधार संभव नहीं है।

मुद्दे
प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। सूबे में चुनावी सरगर्मियां तेज हैं। राजनीतिक दल कई प्रकार की घोषणाएं कर रहे हैं। इस सबके बीच युवाओं के अपने चुनावी मुद्दे हैं। जिन्हें राजनीतिक दलों को अपने मैनीफेस्टो में शामिल करना चाहिए।

पहला मुद्दा- महिला सुरक्षा

महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जिम्मेदारों को मजबूत पॉलिसी बनाने की जरूरत है, जिससे कि महिलाएं भयमुक्त होकर घर के बाहर आ और जा सकें। कुछ योजनाएं बनी हैं लेकिन अभी वह पूरी तरह से काफी नहीं हैं। महिलाओं की ओर बुरी नजर से देखने वाले और उनके साथ कुकृत्य करने वाले लोगों के लिए कठोर कानून बनने चाहिए, जिससे कि कोई भी महिलाओं के साथ कुछ बुरा करने से पहले चार बार सोचे। अभी भी शहर के कई हिस्से ऐसे हैं। जहां पर महिलाओं का आवागमन सुरक्षित नहीं है। वहां पुलिस गश्त बढ़ाई जानी चाहिए।
- अंचला

दूसरा मुद्दा- इंफ्रास्ट्रक्चर
शहर में जलभराव की समस्या एक बड़ा मुद्दा है। जब भी बारिश होती है तो शहर में पानी भर जाता है। इसके कारण शहरवासियों को काफी समस्या होती है। हर जगह प्रॉपर ड्रेनेज हो इसके लिए भी काम होना चाहिए। सड़कों को केवल चुनाव के वक्त ही ठीक न कराया जाए। आज भी सड़कों में काफी गड्ढे मिलते हैं। जो दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। सड़कों को बनाने में अच्छा मैटेरियल यूज करना चाहिए। जिससे सड़कें लंबे समय तक चल सकें। एक्सप्रेस वे और हाईवे के अलावा प्रमुख मार्गांे की सड़कें, सर्विस रोड, फ्लाईओवर भी बनाए जाने चाहिए।- अपूर्वा

तीसरा मुद्दा- हेल्थ
कोरोना वायरस आने के बाद भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था के चेहरे का हकीकत रूप सभी ने देख लिया। अब सरकार इसे ठीक करने में जुटी हुई है। कोरोना काल में लोगों को उपचार के लिए बेड तक नहीं मिल सकें, मरीजों को सांसों के लिए जूझना पड़ा था। ऑक्सीजन भी लोगों को नहीं मिल पाई। जिस कारण मरीजों और उनके परिजनों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। सरकार को इस ओर अब ध्यान देने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसे किसी समस्या से लोगों को दो चार न होना पड़े।
- रूची सक्सेना

चौथा मुद्दा- रोजगार
रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है। पिछले कई वर्षों से यूपी में नौकरियों को लेकर विवाद हो रहा है। अभी भी कई कैंडीडेट्स शिक्षक नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे हंै। चुनाव में बेरोजगारी के मुद्दे पर बहुत से लोग मतदान करेंगे। बीते कुछ सालों से सरकार के दावों के अनुरूप नौकरियां नहीं आई हैं, जिससे युवाओं में खासा रोष है।
- श्यामली त्रिपाठी


पांचवा मुद्दा- महंगाई
जिस तरह से पेट्रोल और डीजल के दामों में सरकार ने इजाफा किया है। उसमें महंगाई आसमान पर पहुंच गई है। सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दामों में पांच से दस रुपए कम कर जनता को राहत देने की कोशिश तो की, लेकिन बाजार में महंगाई पर इसका ज्यादा असर नहीं दिख रहा है। महंगाई इस चुनाव में एक बड़ा मुद्दा होगी। मिडिल और लोवर क्लास इससे बुरी तरह प्रभावित है।
- चारू टंडन


किसी भी चुनाव में धार्मिक और जातीय मुद्दे उठाना पूरी तरह से गलत है। मैं यह बात साफ तौर पर कहना चाहती हूं कि जिस तरह के मुद्दे राजनैतिक पार्टियों द्वारा चुनाव में लाए जा रहे हैं वह ध्यान भटकाने के लिए हैं।-

अंचला, टीचर

महिलाओं को अभी तक उनकी जनसंख्या और योग्यता के अनुसार राजनीतिक दायित्व नहीं मिला है। यदि कोई महिला आवाज उठाती है या कोई चुनाव जीत भी जाती है तो भी उसे सहज स्वीकार नहीं किया जाता है। इसे बदलना होगा।

- अपूर्वा, टीचर

महिला सशक्तिकरण एक बड़ा मुद्दा है। महिला सशक्तिकरण के नाम पर लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष कर देने से महिला सशक्तिकरण नहीं होने वाला है। महिलाओं के लिए अच्छा माहौल बने।
- अलका, टीचर

हमें विचारधारा के साथ विकास चाहिए। वादे करो और उसे निभाओ। ईमानदारी से काम करो, यह नहीं कि चुनाव जीतने के लिए बड़ी-बड़ी बातें पार्टियों के नेताओं द्वारा की जाती हैं और लोगों की परेशानियां दूर करने की बात कम होती है।
- ईशा मिश्रा, टीचर

चुनाव में धार्मिक और जातीय मुद्दे उठाने वालों को सबसे पहले देश का संविधान उठाकर देखना चाहिए। हम एक पंथनिरपेक्ष देश हैं। धर्म और जाति के नाम पर आज किसी को भी बरगलाया नहीं जा सकता है। विकास की बातें चुनाव के समय ज्यादा होती हैं।
- तहजीम फरीदी, टीचर

पेरेंट्स किसी तरह से बच्चों को पढ़ा-लिखा रहे हैं, लेकिन उसके बाद क्या करेंगे। नौकरियां नहीं निकलती हंै। निकलती हैं तो परीक्षा टल जाती है। परीक्षा होती है तो रिजल्ट टल जाते हैं और रिजल्ट आ जाए तो नियुक्तियां नहीं होती हंै।
- श्यामली त्रिपाठी, टीचर

पांच साल में क्राइम कम हुआ है। महिलाओं के लिए सुरक्षा का भी माहौल बना है। हालांकि अब भी महिलाएं रात में घरों से निकलने से डरती हैं। रात में महिला सुरक्षा को लेकर विशेष व्यवस्था करने की जरूरत है।
- आकृति श्रीवास्तव, टीचर

काम मिलना तो ठीक है, लेकिन काम की क्वॉलिटी भी होनी चाहिए। एक इंजीनियर की योग्यता रखने वाले युवा को फोर्थ ग्रेड की नौकरी दी जाएगी तो उसका आउटपुट क्या होगा। इसे समझना होगा, तभी हम अपने भविष्य को बेहतर बना सकेंगे।

- रूची सक्सेना, टीचर

युवाओं के सामने इस समय बेरोजगारी का मसला सबसे बड़ा है फिर भी उन्हें भावनात्मक मुद्दों के आधार पर बांटकर वोट बटोरने की कोशिश की जाती है। इसे खत्म करना है तो युवाओं को अपनी सोच को भी बदलना होगा।-

नैन्सी मिश्रा, टीचर

Posted By: Inextlive