- हाईकोर्ट ने चालान के तीन दिन बाद कोर्ट भेजने का दे रखा है आदेश

- जुर्माना जमा कराने के लिये और वक्त देने को पुनर्विचार याचिका की तैयारी में ट्रैफिक पुलिस

LUCKNOW अगर आपका मैन्युअल या ई-चालान हुआ है और जुर्माना ऑनलाइन सा फिर सक्षम अधिकारी के दफ्तर में जमा करना चाहते हैं तो तीन दिन के भीतर कर दीजिए, वरना वह चालान कोर्ट पहुंच जाएगा। जिसके बाद कोर्ट में ही उसका शमन शुल्क जमा होगा। हाईकोर्ट द्वारा पिछले साल जारी किया आदेश एमवी एक्ट के तहत होने वाले ई-चालान पर भी लागू हो रहा है। जिसमें चालान होने के तीन दिन बाद चालान को कोर्ट भेजने का निर्देश है। हालांकि, एमवी एक्ट में ऑनलाइन चालान जमा करने के लिये 15 दिनों का प्रावधान है। जुर्माना जमा करने में आ रही व्यवहारिक दिक्कतों को देखते हुए अब यूपी पुलिस हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की तैयारी में है।

ई-चालान पर भी आदेश लागू

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आलोक कुमार यादव बनाम यूपी राज्य व चार अन्य मामलों की सुनवाई करते हुए बीती 12 सितंबर 2019 को आदेश पारित किया था। इस आदेश में कहा गया कि मोटर व्हीकल एक्ट के तहत होने वाले सभी तरह के चालान को तीन दिन के बाद संबंधित कोर्ट भेज दिये जाएं। जिसके बाद कोर्ट उन चालान पर सुनवाई कर उनका निस्तारण कर सके। आदेश के वक्त एमवी एक्ट के तहत मैन्युअल चालान ही होते थे। जिनका शमन शुल्क 15 दिनों तक संबंधित सर्किल अफसर के दफ्तर में जमा कर चालान के वक्त जब्त किये गए वाहन के दस्तावेज या फिर ड्राइविंग लाइसेंस को वापस लिया जा सकता था। कोर्ट के आदेश पर जुर्माना जमा करने की मियाद 15 दिन से घटाकर 3 दिन हो गयी। वहीं, ई-चालान लागू होने के बाद इसमें ऑनलाइन जुर्माना जमा करने की सुविधा दी गयी। लेकिन, एमवी एक्ट के तहत होने वाले ई-चालान भी हाईकोर्ट के आदेशानुसार संबंधित कोर्ट में भेजे जाने लगे।

पेश आ रही व्यवहारिक दिक्कतें

- एमवी एक्ट में वाहन चालक को 15 दिनों तक अपने दस्तावेज दिखाने और उनका जुर्माना जमा करने का प्रावधान है।

- हाईकोर्ट के इस आदेश की वजह से एमवी एक्ट के प्रावधानों का पालन नहीं हो पा रहा।

- इसके अलावा कोर्ट में सीमित स्टाफ होने की वजह से इतनी भारी तादाद में चालान भेजने से प्रत्येक चालान को केस नंबर दिया जाना संभव नहीं हो पा रहा।

- धारा 200 में प्राप्त अधिकारों के चलते राज्य सरकार द्वारा शमन किये जाने योग्य अपराधों में जुर्माना प्राप्त कर जनता को न्यायिक प्रक्रिया की जटिलता से बचाने की कोशिश की जाती है।

- साथ ही राज्य सरकार को भी तमाम सड़क सुरक्षा व यातायात सुविधाओं के सुधार के लिये सड़क सुरक्षा निधि के राजस्व की प्राप्ति होती है।

- इस आदेश का अनुपालन करने से अगर कोई भी शख्स तीन दिन के भीतर सक्षम अधिकारी के पास जुर्माना नहीं जमा कर पाएगा तो राज्य सरकार को भारी आर्थिक क्षति भी हो रही है।

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पुनर्विचार याचिका दायर करने की गुजारिश

सूत्रों के मुताबिक, चालान को लेकर सामने आ रही व्यवहारिक दिक्कतों को देखते हुए लखनऊ ट्रैफिक पुलिस ने ट्रैफिक निदेशालय से 12 सितंबर 2019 के आदेश पर पुनर्विचार करने के लिये याचिका दायर करने की गुजारिश की है। बताया जाता है कि पूरे प्रदेश में पेश आ रही दिक्कत को देखते हुए ट्रैफिक निदेशालय जल्द हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा।

Posted By: Inextlive