पानी की बर्बादी रोकने और लोगों को जागरूक करने के लिए कई बार योजनाएं भी बनीं लेकिन आज तक उनको धरातल पर उतारा नहीं जा सका है। पिछले साल नगर निगम ने योजना बनाई थी कि सभी आठ जोन में 'जल बचाओ कल बचाओ' संबंधी अभियान चलाया जाएगा।


लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ जहां गुजरते वक्त के साथ राजधानी के लगभग सभी इलाकों में अंडरग्राउंड वॉटर लेवल डाउन हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ लगभग हर घर में रोजाना 30 से 35 लीटर या उससे अधिक पानी बर्बाद हो रहा है। अब अगर इस आंकड़े को महीन के हिसाब से देखें तो लगभग हर घर में हर महीने एक हजार लीटर तक पानी बर्बाद हो रहा है। निश्चित रूप से ये आंकड़े चौंकाने वाले हैैं और अगर यह पानी की बर्बादी रुक जाए तो राजधानी में बने छह लाख घरों के हिसाब से हर महीने 60 करोड़ लीटर पानी की बचत की जा सकती है। जिससे कहीं न कहीं लगातार गहरा रहे पानी संकट के खतरे को टाला जा सकता है।योजनाएं बनीं, नतीजा सिफर


पानी की बर्बादी रोकने और लोगों को जागरूक करने के लिए कई बार योजनाएं भी बनीं, लेकिन आज तक उनको धरातल पर उतारा नहीं जा सका है। पिछले साल नगर निगम ने योजना बनाई थी कि सभी आठ जोन में 'जल बचाओ, कल बचाओ' संबंधी अभियान चलाया जाएगा। कुछ वार्डों में तो यह अभियान चला लेकिन सभी वार्डों की जनता को इससे जोड़ा नहीं जा सका। इतना ही नहीं, यह भी योजना बनाई गई थी कि पानी की खुलेआम बर्बादी करने वालों के खिलाफ चालान संबंधी कार्रवाई की जाएगी, लेकिन इसका भी कोई खास असर देखने को नहीं मिला।हर एरिया में वॉटर लेवल डाउनराजधानी में कुल 110 वार्ड हैैं और सभी में अंडरग्राउंड वॉटर लेवल डाउन होता जा रहा है। पिछले दो साल में आए अंडरग्राउंड वॉटर लेवल गैप की बात करें तो किसी वार्ड में 12 से 13 फुट पानी लेवल डाउन हुआ है तो किसी में 6 से 7 फुट। यह आंकड़ा तेजी से डाउन ही जा रहा है। गर्मी के दिनों में पुराने लखनऊ के वार्डों और आउटर एरिया में पानी संकट सामने आता है, जिसकी वजह से उक्त इलाकों में टैैंकर्स के माध्यम से जलापूर्ति की जाती है। वार्डों में अब हैैंडपंप का कांसेप्ट लगभग समाप्त हो चुका है और उनके स्थान पर सबमर्सिबल लगाए जा रहे हैैं। ऐसे में, सबमर्सिबल के लिए 250 से 300 फुट पर पानी मिल रहा है।इस तरह समझें बोरिंग की तस्वीरएरिया-सरदार पटेल नगर वार्डपहले-120 फुट पर होती थी हैैंडपंप के लिए बोरिंगअब- 200 से 220 फुट के आसपास मिल रहा पानीएरिया-इस्माइलगंज सेकंडपहले-55 से 60 फुट पर मिल जाता था पानीअब-100 से 125 फुट पर मिल रहा है पानीएरिया-महात्मा गांधी वार्ड

पहले-65 से 70 फुट पर मिलता था पानीअब-100 से 110 फुट के आसपास मिल रहा पानीएरिया-मालवीय नगर वार्डपहले-80 से 90 फुट पर मिल जाता था पानीअब-अभी भी इतने ही फुट पर मिल रहा पानीकारण-वार्ड में झील होने से वॉटर लेवल ठीकइंप्लीमेंट नहीं हो सकी योजनानगर निगम, एलडीए की ओर से कई बार अंडरग्राउंड वॉटर लेवल मेनटेन रखने के लिए योजना तो बनाई गई, लेकिन अभी तक एक भी योजना को इंप्लीमेंट नहीं किया जा सका। आलम यह है कि 80 फीसदी बिल्डिंग्स में अभी तक रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तक नहीं लगा है। जिसकी वजह से वर्षा जल संचयन का कांसेप्ट सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गया है। जिम्मेदारों की ओर से इस तरफ ध्यान भी नहीं दिया जा रहा।कैसे मिलेगा साफ पानी

स्मार्ट शहर लखनऊ के कई ऐसे वार्ड हैं, जहां अभी तक सालों पुरानी पेयजल लाइनों के माध्यम से जनता तक पानी पहुंचाया जा रहा है। आलम यह है कि किसी वार्ड में 50 साल तो किसी वार्ड में 40 साल पुरानी पेयजल लाइन बिछी हुई है। घनी आबादी वाले लालकुआं वार्ड, महात्मा गांधी वार्ड, सरदार पटेल नगर वार्ड और बाबू बनारसी दास वार्ड की बात की जाए तो उक्त सभी वार्ड पुराने हैं। इन सभी वार्डो में 30 से 50 साल पुरानी पेयजल लाइन पड़ी हुई हैं। जिसमें आए दिन लीकेज की समस्या सामने आती है।ये हैैं पानी के स्त्रोत675 नलकूप सभी वार्ड मिलाकर141 ओवरहेड टैैंक से होती है पानी सप्लाई38 जोनल पंपिंग स्टेशनइस तरह दूर होना था पेयजल संकटवार्डों में पेयजल संकट दूर करने के लिए कई बिंदुओं पर बजट की व्यवस्था की गई थी और इसको लेकर कई कदम भी उठाए गए।- 6 करोड़ खर्च नए मोटर पंपों पर- 9.5 करोड़ खर्च मिनी नलकूप पर- 2 करोड़ से सबमर्सिबल रिपेयरिंग- 4 करोड़ से पेयजल लाइन रिपेयरिंगऐसे होती है पानी की बर्बादी
1-घरों में लगे आरओ-अमूमन 70 फीसदी घरों में शुद्ध पानी के लिए आरओ सिस्टम लगाया जाता है। उदाहरण के लिए अगर आप उक्त सिस्टम से एक गिलास शुद्ध पानी निकालते हैैं तो दो गिलास पानी फिल्टरेशन की प्रक्रिया में बर्बाद हो जाता है। अगर आपके घर के एक सदस्य ने दिन भर में 10 गिलास पानी निकाला तो 20 गिलास पानी बर्बाद हुआ। अगर एक गिलास में 200 एमएल पानी आता है तो 20 गिलास को जोड़ें तो 4000 एमएल यानि चार लीटर पानी बर्बाद हुआ। अगर घर में दो या तीन सदस्य हैैं तो करीब आठ लीटर पानी बर्बाद हुआ।2-फ्लशिंग सिस्टम-वर्तमान समय में ज्यादातर घरों के वॉशरूम में फ्लशिंग सिस्टम एडॉप्ट किया जा चुका है। फ्लशिंग सिस्टम एक वॉटर टैैंक से कनेक्ट होता है। जब आप फ्लश करते हैैं तो उसी टैैंक से पानी निकलता है। अमूमन इस टैैंक में 8 से 10 लीटर पानी आता है। एक बार फ्लश करने पर इतना ही पानी बर्बाद होता है, जबकि इस पानी की बर्बादी को रोका जा सकता है। अगर घर में दो सदस्य हैैं तो 16 लीटर पानी की बर्बादी प्रतिदिन होती है।3-प्री बॉथ वेस्टेज-अमूमन लोग नहाने जाने से पहले शेविंग करते हैैं और इसके बाद ब्रश। इस दौरान भी 20 फीसदी लोग नल ऑन रखते हैैं। जिसकी वजह से एक से दो लीटर पानी बर्बाद हो जाता है।4-बाथ शॉवर-हर किसी को शॉवर ऑन करके नहाना बेहद पसंद होता है। जबकि हम यह नहीं जानते हैैं कि बाल्टी में पानी भरकर नहाने के मुकाबले शॉवर से नहाने में पानी अधिक बर्बाद होता है। शॉवर बाथ लेने वाले तीन से चार लीटर तक पानी की बर्बादी करते हैैं। जबकि इस बर्बादी को रोका जा सकता है।5-बर्तन, कपड़े धोने में-बर्तन और कपड़े धोने में भी पानी बर्बाद किया जाता है। जब बर्तनों या कपड़ों को नल के नीचे तेज धार में धोया जाता है तो 10 से 15 मिनट के अंदर तीन से चार लीटर तक पानी बर्बाद हो जाता है।यहां भी खुलकर पानी की बर्बादी1-इस समय राजधानी में जगह-जगह व्हीकल वाशिंग सेंटर्स खुले हुए हैैं। इन वाशिंग सेंटर्स में पानी की खूब बर्बादी होती है। स्पष्ट आंकड़ा तो नहीं है, लेकिन इतना साफ है कि एक कार धोने में दो से तीन लीटर पानी की बर्बादी हो जाती है।2-हम अगर किसी रेस्टोरेंट या होटल में फैमिली के साथ या अकेले लंच या डिनर करने जाते हैैं तो अक्सर एक गिलास पानी में आधा गिलास पानी छोड़ देते हैैं, इसे भी पानी बर्बादी माना जाता है। मतलब हम रेस्टोरेंट या होटल में टाइम स्पेंड करने के दौरान 200 से 250 एमएल पानी बर्बाद कर देते हैैं।3-लगभग हर महीने किसी न किसी वार्ड में वॉटर लाइन लीकेज में समस्या सामने आती है। ये समस्या पुराने वार्डों में ज्यादा देखने को मिलती है। अगर एक वॉटर लाइन में लीकेज होता है और उसे सुधारा जाता है तो इस समयावधि में हजारों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। ऐसे में नई वॉटर लाइन तत्काल बिछाए जाने की जरूरत है।मैैं पिछले 22 वर्षों से जल संरक्षण की दिशा में काम कर रहा हूं। मैैंने पानी बर्बादी के लिए जिम्मेदार कारणों पर गहनता से मंथन किया और डेटा जुटाया। जिससे यह साफ है कि घरों में रोजाना 35 लीटर तक पानी की बर्बादी होती है और लोग इससे अंजान रहते हैैं। समय रहते चेतने की जरूरत है, वरना पानी संकट के हालात बेहद भयावह होंगे।-रिद्धि किशोर गौड़, महामंत्री, शुभ संस्कार समिति

Posted By: Inextlive