रामलीला में सबने देखी श्रीराम-केवट की दोस्ती
लखनऊ (ब्यूरो)। रामलीला के पूर्व पर्णिका और वंशिका ने हर घर में मनेगी दिवाली पर आकर्षक नृत्य के जरिए रामचंद के अयोध्या प्रस्थान की खुशी को प्रकट किया। रीना श्रीवास्तव ने स्तुति नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। इसके बाद रामलीला की शुरूआत राम वनवास और प्रजा विद्रोह लीला से हुई। इस प्रसंग में राम, दशरथ का आशीर्वाद लेकर वनवास के लिए प्रस्थान करते हैं तो उनके साथ सीता और लक्ष्मण भी निकलते है। राज्य की प्रजा विद्रोह करती है। जिसपर श्रीराम उनको समझाते है। राजा दशरथ का देहांत
इसके बाद निषादराज का सारा वृतांत पूछना, केवट का नौका चढ़ाने से पहले उनके चरण पखार कर प्रसाद रूप में ग्रहण करना, गंगा नदी के दूसरे छोर पर ले जाने का मंचन किया गया। अन्य प्रसंगों में राजा दशरथ का राम के मोह में अपने प्राण त्यागना, भरत का ननिहाल से वापस आना, भरत द्वारा कैकेई त्याग और भरत कौशल्या संवाद के बाद भरत का स्वयं वन में कुटी बनाकर रहने जाना दर्शाया गया। इन्हीं लीलाओं के साथ रविवार की रामलीला का समापन हुआ।कवयित्री सम्मेलन का आयोजन
ऑनलाइन रामलीला के बाद कवियत्री सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें शोभा दीक्षित भावना, ज्योति राय जीवन ज्योति, रेनू द्विवेदी, वर्षा श्रीवास्तव, नीलम रावत और प्रतिभा गुप्ता ने अपनी भक्तिपूर्ण कविताओं से श्रोताओं को भाव विभोर किया। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष हरीशचंद्र अग्रवाल, सचिव प। आदित्य द्विवेदी व मयंक रंजन आदि मौजूद रहे।
राम-केवट प्रसंग ने किया भावुकश्री मौसमगंज रामलीला डालीगंज में रविवार को राम-केवट संवाद, सूर्पणखा अंगभंग, सीताहरण, जटायु बलिदान की लीला मंचित की गई। इस लीला में राम और केवट के संवाद ने लोगों को भावुक कर दिया। प्रभु श्रीराम गंगा पार होने के लिए केवट से कहते हैं कि सुनो तुम नाव चलावनहार हमें जाना है गंगा पार। तब केवट कहता है कि न ऐसे काज चली सरकार हमें बहकाना है बेकार।। गाया तो खूब तालियां बजी। इसके बाद सूर्पणखा अंगभंग और सीताहरण की लीला हुई।