LUCKNOW : पीजीआई पुलिस लाल नीली बत्ती लगाकर धूम रहे दो जालसाजों को गिरफ्तार किया। पकड़े गए एक आरोपी खुद को जीएसटी विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर बताता था। उसकी आड़ में वह कोरोना की जीवनरक्षक दवाईयों की कालाबाजारी करते थे। इन दोनों के पास से एक स्विफ्ट डिजायर गाड़ी भी बरामद हुई है।

जीएसटी विभाग के फर्जी आईडी कार्ड भी मिले

इंस्पेक्टर पीजीआई ने बताया कि लगातार थाना क्षेत्र से सूचनाएं मिल रही थी कि इस कोरोना महामारी में लोगों की जरूरतों का फायदा उठाकर कालाबाजारी करने वाला एक गिरोह सक्रिय है। बुधवार शाम सूचना मिली एक सफेद रंग की स्विफ्ट डिजायर कार जिसमे नीले रंग की बत्ती है उसमें सवार युवक खुद को जीएसटी का असिस्टेंट कमिश्नर बता रहे हैं। लेकिन वे किसी से कोरोना की दवाई के बारे में चर्चा भी कर रहे है उन पर संदेह है कि यह वही गिरोह हो सकता है जिसकी तलाश पुलिस को है। पीजीआई पुलिस ने डिजायर कार समेत दोनों को गिरफ्तार कर लिया। इन दोनों शातिरों की पहचान रितेश उपाध्याय व अखंड प्रताप सिंह के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि इनके पास से जीएसटी विभाग का फर्जी आई कार्ड भी बरामद हुआ है।

नीली बत्ती का उठाते थे फायदा

पीजीआई पुलिस ने बताया कि रितेश व अखंड दोनो ही शातिर किस्म के हैं। वह शहर भर में घूम घूमकर जीवन रक्षक दवाईयों की कालाबाजारी में लगा हुआ है। रितेश व अखंड डिजायर नीली बत्ती से चलते थे और लोगों में उनकी पहचान जीएसटी विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर के रूप में थी इसलिए ये आसानी से शहर भर में कालाबाजारी कर रहे थे, लेकिन इन पर कोई शक नही कर सकता था। वह आसानी से अपने गिरोह में जुड़े अन्य सदस्यों को इंजेक्शन देते थे। जिसके बाद ये इंजेक्शन अन्य सदस्यों द्वारा जरूरतमंदों को महंगे दामो पर बेचे जाते थे।

गैंग के चार सदस्य पहले पकड़े गए

गाजीपुर थाना क्षेत्र में दो दिन पहले जीवन रक्षक रेमडिसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले अबास अली, धमर्ेंद्र यादव,लक्ष्य पांडेय व अवनींद्र तिवारी को गिरफ्तार किया था। इनके पास से 22 इंजेक्शन्स बरामद हुए थे। वहीं गाजीपुर पुलिस की गिरफ्त में आये आरोपियों में से दो आरोपी पीजीआई इलाके के ही थे जबकि एक मोहनलालगंज का था। गुरुवार को पीजीआई पुलिस ने जिन फर्जी जीएसटी अधिकारियों को पकड़ा उनके तार गाजीपुर में पकड़े गए आरोपियों से जुड़े हैं इस बात का खुलासा पीजीआई पुलिस ने किया है। उन्होंने बताया कि रितेश व अखंड द्वारा ही उन लोगो को इंजेक्शन दिए जाते थे ताकि वो इसे महंगे दामों पर बेच सके।

Posted By: Inextlive