- वेंटीलेटर तक पहुंच गए, लेकिन परिवार ने नहीं छोड़ा साथ और हराया कोरोना को

- कोरोना को हराने वाले बोले, कठिन समय में ईश्वर और अपनों का करते रहें स्मरण

LUCKNOW:

कोरोना से पीडि़त हुए और दो-तीन दिन में हालत इतनी क्रिटिकल हो गई कि तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा। जब हेल्थ और गिरी तो वेंटीलेटर पर कर दिया गया। हालत चिंताजनक थी लेकिन न तो परिवार ने हिम्मत हारी और न ही कोरोना पीडि़त पेशेंट ने। बेहद कठिन समय में मिले परिवार के सपोर्ट और आत्मविश्वास से कोरोना पीडि़तों ने मौत को मात दे दी। अब ये लोग पूरी तरह ठीक हैं और दूसरों को भी कोरोना से उनकी जंग में मोटिवेट कर रहे हैं। पेश है दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की रिपोर्ट

ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहे लेकिन हिम्मत नहीं हारी

एल्डिको निवासी उत्कर्ष मिश्रा की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई लेकिन दो दिन बाद सांस लेने में तकलीफ होने लगी। घरवालों ने एक निजी अस्पताल में एडमिट कराया। वहां सीटी स्कैन में फेफड़ों में संक्रमण की बात पता चली। उन्हें वेंटिलेटर पर करीब सात दिन रखा गया। उन्हें लगने लगा था कि अब वे शायद नहीं बचेंगे लेकिन घर वालों और डॉक्टर ने उनकी हिम्मत नहीं टूटने दी। थोड़ी तबियत सही होने लगी तो उत्कर्ष ने ठाना कि उन्हें और बेहतर होना है और घर लौटना है। माइंड डायवर्ट करने के लिए उन्होंने गाने सुने, कॉमेडी वेब सीरिज देखी अैार दोस्तों से बातें कीं। इसका असर दिखा और धीरे-धीरे उनका संक्रमण काफी कम हो गया। अपने आत्मविश्वास और घरवालों के प्रयास से वह कोरोना से ठीक होकर घर आ गए हैं। अब वे कमजोरी दूर करने के लिए काढ़ा, पौष्टिक आहार, जूस आदि ले रहे हैं।

मां और पिता ने बढ़ाई हिम्मत

गायत्रीपुरम निवासी 46 वर्षीय नीरज श्रीवास्तव की 13 अप्रैल को कोविड पॉजीटिव रिपोर्ट आई। हालत बिगड़ने पर 17 अप्रैल को लोहिया अस्पताल में एडमिट कराया गया। उनकी पत्‍‌नी अर्चना भी पॉजीटिव थीं और वह भी हॉस्पिटलाइज्ड थीं। बेटे की क्रिटिकल कंडीशन होने के बाद पिता विश्वनाथ और मां अन्नपूर्णा श्रीवास्तव ने लगातार बेटे का हौंसला बढ़ाया। इसके साथ ही वेंटीलेटर से बाहर आने के बाद नीरज ने भी ठान लिया कि उन्हें जल्द ठीक होना है और मजबूत आत्मविश्वास से उन्होंने ऐसा करके दिखाया। अब पूरा परिवारस्वस्थ है। नीरज का कहना है कि कोविड को अगर मात देनी है तो दवाओं के साथ अपना मनोबल मजबूत रखें। इस दौरान परिवार का साथ बेहद जरूरी है।

विश्वास रखिए, जीत आपकी होगी

जानकीपुरम सेक्टर जे निवासी पं। योगेश शास्त्री पिछले माह कोरोना पॉजिटिव हुए थे। उनकी हालत काफी खराब थी। वह एडमिट होने के लिए अस्पतालों के चक्कर काटते रहे। बाद में उनके एक मित्र ने उन्हें एक निजी अस्पताल में एडमिट कराया। वह करीब दस दिन तक ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहे लेकिन उन्होंने व उनके परिवार ने हिम्मत नहीं हारी। अब वे स्वस्थ होकर घर लौट आए हैं। उनका कहना है कि जब उनकी हालत गंभीर थी, उस दौरान भी वह लगातार ईश्वर का ध्यान करते रहे और अपने आत्मविश्वास को खत्म नहीं होने दिया। इसी कारण वे कोरोना को मात देने में सफल हुए। उनका कहना है कि कोरोना को हराना असंभव नहीं है, बस आपको अपने पर विश्वास रखना होगा और तय करना होगा कि आप फिर ठीक होकर घर-परिवार के बीच लौटेंगे।

जीत ली जिंदगी की जंग

ऐशबाग तिलक कॉलोनी निवासी वरुण दीक्षित की ऐशबाग एरिया में लैब है। फैमिली में पत्‍‌नी वर्षा और बेटा वरदान है। अप्रैल में उन्हें कोरोना संक्रमण हुआ और ऐरा हॉस्पिटल में उन्हें भर्ती कराया गया। वहां वे वेंटिलेटर पर रहे लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। परिवार को भी पूरा सपोर्ट मिलता रहा। अब वे पूरी तरह ठीक हैं और उनका बेटा और परिवार भी इस बीमारी से उबर गया है। उनका कहना है कि मुश्किल वक्त में अगर परिवार का साथ मिल जाए तो मुश्किल आसान हो जाती है।

Posted By: Inextlive