250-300 करोड़ करीब पटाखे का कारोबार राजधानी में

60 के करीब थोक पटाखा विक्रेता राजधानी में

1 हजार से अधिक प्वाइंट्स पर सजती हैं पटाखा दुकानें

- पिछले साल सिर्फ दो घंटे जले थे पटाखे तो पॉल्यूशन लेवल में आई थी भारी गिरावट

- इस साल एक्यूआई लेवल दिवाली से पहले ही ज्यादा था, पटाखे जलते तो हालात होते विस्फोटक

LUCKNOWएनजीटी की ओर से लखनऊ समेत यूपी के कई शहरों में पटाखों की बिक्री व प्रयोग पर लगाई गई रोक कहीं न कहीं पर्यावरण और हम सबकी बेहतर सेहत के लिए जरूरी थी। भले ही हर साल पटाखा कारोबार करीब 250 करोड़ का होता है लेकिन यह राशि आम जनता की सेहत से बढ़कर नहीं है। वर्तमान समय में जिस रफ्तार से राजधानी की हवा जहरीली हो रही है, अगर इस स्थिति में पटाखे जलते हैं तो दीपावली के बाद एक्यूआई 500 के पार जा सकता था। जिससे राजधानी गैस चेंबर बन सकती थी।

400 के ऊपर एक्यूआई

पिछले एक सप्ताह से राजधानी का एक्यूआई लेवल 350 से 400 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर के आसपास चल रहा है। जबकि राजधानी के तालकटोरा और लालबाग एरिया में तो एक्यूआई 450 के पार तक गया। लगातार तापमान में आ रही गिरावट से साफ था कि आने वाले दिनों में एक्यूआई में और बढ़ोत्तरी दर्ज की जाती।

करीब 250 करोड़ की बिक्री

राजधानी में पटाखा कारोबार की जड़े खासी गहरी हैं। शहर के लगभग हर इलाके में पटाखे की दुकानें सजती हैं। अगर ओवरऑल पटाखा कारोबार की बात की जाए तो करीब 250-300 करोड़ रुपये के पटाखों की बिक्री होती है। जिससे खुद अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर अब 250-300 करोड़ के पटाखे जलते तो पहले से ही प्रदूषित राजधानी की हवा किस हद तक जहरीली हो सकती थी।

राजधानी का एक्यूआई (पिछले 10 दिन)

दिनांक एक्यूआई

10 नवंबर 344

9 नवंबर 388

8 नवंबर 392

7 नवंबर 395

6 नवंबर 447

5 नवंबर 349

4 नवंबर 317

3 नवंबर 343

2 नवंबर 312

1 नवंबर 318

लगातार बढ़ता गया एक्यूआई

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों से साफ है कि एक नवंबर से राजधानी का एक्यूआई लेवल लगातार बढ़ता जा रहा है। 6 नवंबर को तो एक्यूआई 447 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक पहुंच गया था। जिसकी वजह से लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने तक में समस्या हुई थी।

दो घंटे जले थे पटाखे

वर्ष 2018 के मुकाबले वर्ष 2019 में दिवाली पर पटाखों में कमी से एयर पॉल्यूशन के लेवल में गिरावट दर्ज की गई थी। हालांकि आईआईटीआर द्वारा उस दौरान जारी आंकड़ों में चारबाग सबसे ज्यादा प्रदूषित क्षेत्र रहा था, जबकि दूसरे नंबर पर विकास नगर रहा था। चारबाग में में दिवाली की रात में पीएम 10 और पीएम 2.5 का लेवल सबसे अधिक दर्ज किया गया। यहां पर पीएम 10 की मात्रा 656.11 और पीएम 2.5 की मात्रा 486.98 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया था। यह एनएएक्यू के स्टैंडर्ड मानक से छह से आठ गुना अधिक था। इसके बाद दूसरे नंबर विकास नगर, तीसरे पर चौक, चौथे पर अमीनाबाद, पांचवे पर अलीगंज और छठे नंबर पर इंदिरानगर रहा था। यहां पर पीएम 10 का लेवल स्टैंडर्ड मानक से पांच गुना अधिक रहा था। यहां पर एक्यूआई क्रमश: 586.75, 553.75, 549.92, 528.66 और 517.18 पाया गया था, वहीं गोमती नगर, आलमबाग और अमौसी में पीएम 10 की मात्रा 500 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर से कम दर्ज किया गया था। इन इलाकों में क्रमश: 498.66, 489.73 और 447.48 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया था।

बॉक्स

साउंड पॉल्यूशन भी बढ़ता

पिछले साल जब सिर्फ दो घंटे के लिए पटाखे जले थे तो एयर पॉल्यूशन तो ठीक रहा था लेकिन साउंड पॉल्यूशन का ग्राफ बढ़ा ही था। पिछले साल आईआईटीआर द्वारा राजधानी के चौक, विकसनगर, इंदिरानगर, अलीगंज, चारबाग और अमीनाबाद इलाकों में ध्वनि प्रदूषण की जांच की गई थी। जिसके अंतर्गत इंदिरानगर में सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण दर्ज किया गया था। यहां पर दिवाली की रात सबसे ज्यादा 82.1 डेसीबल रिकॉर्ड किया गया था। हालांकि वर्ष 2018 के मुकाबले पिछले साल साउंड पॉल्यूशन के स्तर में तीन यूनिट की गिरावट दर्ज की गई थी। वहीं दूसरे नंबर पर चारबाग रहा था, यहां पर साउंड पॉल्यूशन स्तर 80.2 डेसीबल था। इसके 78.5 डेसीबल के साथ चौक रहा था। अब अगर इस साल पटाखे जलते तो निश्चित रूप से साउंड पॉल्यूशन की स्थिति भी भयावह हो सकती थी।

ध्वनि प्रदूषण का स्तर (2019)

क्षेत्र दिवाली से पहले दिवाली के बाद

चारबाग 10 से 10:30 बजे 68.6 80.2

चौक 11 से 11:30 बजे 70.2 78.5

अलीगंज 09 से 9:30 बजे 64.2 78.9

विकासनगर 07 से 08 बजे 64.6 76.8

इंदिरनगर 09 से 09:30 बजे 63.3 82.1

अमीनाबाद 10 से 11 बजे 65.6 71.3

गोमतीनगर 8:30 से 09 बजे 64.8 75.7

व्यापारी वर्ग ने की मांग

उप्र आदर्श व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष संजय गुप्ता ने कहाकि यदि यह प्रतिबंध लगाना था तो एक माह पहले लगाना चाहिए था। प्रदेश में हजारों पटाखा व्यापारियों ने अपनी छोटी-छोटी पूंजी लगाकर माल खरीद लिया है। ऐसे में अचानक लगाये गये प्रतिबंध से उन आतिशबाजी व्यापारियों के सामने पूंजी डूबने का संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने मांग की है कि सरकार को कुछ नियमों के साथ पटाखा बिक्री में छूट देनी चाहिए।

Posted By: Inextlive