सर्दी का सीजन शुरू होते ही राजधानी में जंगली जानवरों ने दस्तक देना शुरू कर दिया है। हाल में ही बंथरा और इकाना स्टेडियम इलाके में तेंदुआ दिखने के बाद हड़कंप मच गया था। वहीं अब गुडंबा संग आसपास के एरिया के लोग तेंदुआ के डर के साए में जीने को मजबूर हैं। हर बार की तरह इस बार भी तेंदुआ को पकडऩे में वन विभाग की लापरवाही सामने आ रही है। इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि तेंदुआ जाल में फंसते ही जैसे ही दहाड़ा वन विभाग के कर्मचारी जाल छोड़कर भाग निकले

लखनऊ (ब्यूरो)। अगस्त माह में बंथरा और इकाना स्टेडियम के आस-पास एक-एक तेंदुआ देखा गया था। इन इलाकों में तेंदुआ ने हमला कर मवेशी व स्ट्रीट डॉग को मारा था लेकिन वन विभाग की टीम उसे नहीं पकड़ सकी थी। बाद में बताया गया कि तेंदुए गोमती नदी के किनारे-किनारे चलते हुए दूसरे जिले निकल गए हैं।


साधारण जाल से पकडऩे की कोशिश
गुडंबा के कल्याणपुर के कन्हैया नगर इलाके में जिस खाली प्लाट में तेंदुआ की मौजूदगी की जानकारी हुई थी। वहां वन विभाग व पुलिस ने न कोई बैरीकेडिंग की और न ही ट्रंक्यूलाइजिंग गन का यूज किया। मामूली जाल लगाकर तेंदुआ को पकडऩे का प्रयास किया गया। जिसका नतीजा यह हुआ कि जाल में फंसने के बाद भी तेंदुआ भाग निकला। वन विभाग के कर्मचारी तेंदुआ की दहाड़ सुनते ही जाल छोड़कर भाग गए।

जंगलों में नहीं मिल रहा है खाना
वाइल्ड लाइफ एक्सपट्र्स का मानना है कि जंगलों में जानवर तो हैं लेकिन अब वहां उन्हें पर्याप्त खाना नहीं मिल पा रहा है। खाने की तलाश में ही जंगली जानवर रिहायशी इलाकों में पहुंच रहे हैं। जंगलों में जानवरों की संख्या भी बढ़ रही है। अभी तक रिहायशी एरिया में पहुंचे जितने भी जंगली जानवर पकड़े गए हैं, सभी पूरी तरह से हेल्दी मिले हैं।

तेंदुआ का फेवरेट भोजन है डॉग्स
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट आरके सिंह ने कहा कि तेंदुआ का पकड़ा जाना तो बहुत बड़ी बात नहीं है। तेंदुए का मुख्य शिकार ही कुत्ते होते हैं। शहर में स्ट्रीट डॉग की संख्या काफी अधिक होती है। यहां तेंदुआ उन्हें आसानी से अपना शिकार बना लेता है। वहीं जंगलों में टाइगर की संख्या बढ़ी है। टाइगर के डर के कारण भी तेंदुआ जंगल से बाहर निकल रहे हैं।जोड़े बनाने का है समय
सर्दी के मौसम में तेंदुआ जोड़े में रहना पसंद करते हैं। ऐसे में ताकतवर तेंदुए कमजोर तेंदुओं को अपने एरिया से भागा देते हैं। ऐसे में कई तेंदुआ जंगल से बाहर तक आ जाते हैं और जब उन्हें छोटे शिकार आसानी से मिलते जाते हैं तो वे काफी दूर तक का सफर एक-दो दिन में ही तय कर लेते हैं।


डेंजर जोन में पहुंचे तो हमला
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट बताते हैं कि कोई भी जंगली जानवर बेवजह हमला नहीं करता है। जब लोग उसे देखकर शोर करते हैं, पत्थर मारते हैं या उसके निर्धारित डेंजर जोन में पहुंचते हैं, तभी ये हमला करते हैं। आप जंगली जानवरों से पर्याप्त दूरी बनाए रखें, ये कभी आप पर हमला नहीं करेंगे।
यूपी में हैं दो टाइगर रिजर्व
उत्तर प्रदेश में दो टाइगर रिजर्व पीलीभीत टाइगर रिजर्व और दुधवा टाइगर रिजर्व हैं। लखीमपुर में बना दुधवा टाइगर रिजर्स गोमती नदी के किनारे बना है। कई बार वहां से जंगली जानवर खाने की तलाश में जंगल से बाहर आ जाते हैं और रास्ता भटककर शाहजहांपुर, हरदोई, सीतापुर, लखनऊ, गोंडा और महाराजगंज पहुंच जाते हैं। तेंदुओं का तो जंगल से निकलना आम हो गया है, वहीं कई बार बाघ भी आबादी के बीच पहुंच चुके हैं।


आबादी में पहले भी पकड़े गए हैं तेंदुआ
वर्ष संख्या स्थान
2011 3 मलिहाबाद, गोरखपुर और मथुरा
2012 2 प्रतापगढ़, मलिहाबाद
2013 3 पीजीआई का रानी खेड़ां, माल, बलरामपुर
2015 2 सीतापुरऔर सिंधौली रेंज में


राजधानी में कई बार दी है तेंदुआ ने दस्तक
जनवरी 2018
- ठाकुरगंज के सेंट फ्रांसिस मूक बधिर स्कूल में तेंदुआ घुस गया। टीम ने ट्रंक्यूलाइजिंग गन से उसे बेहोश कर रेस्क्यू किया।
फरवरी 2018
- आशियाना केऔरंगाबाद में तेंदुआ के हमले में चार लोग घायल हुए। बाद में पुलिस की गोली से तेंदुआ की मौत हो गई।दिसंबर 2020
- मलिहाबाद के सहिलामऊ और रेहमानखेड़ा गांव के पास रेलवे ट्रैक पर तेंदुआ देखा गया, हालांकि वन विभाग ने इसकी पुष्टि नहीं की थी।
2021
- बंथरा इलाके में तेंदुआ कई दिन तक रहा लेकिन उसे पकड़ा नहीं जा सका।- इकाना स्टेडियम के आस-पास तेंदुआ देखा गया, लेनिक उसे पकड़ा नहीं जा सका।
सर्दी के दिनों में ही जंगली जानवर आबादी की ओर रुख करते हैं। इन्हें रेस्क्यू करने के लिए हमारे पास टीम मौजूद है। चिडिय़ाघर ने भी अपनी टीम उपलब्ध करा दी है। ट्रंक्यूलाइजिंग गन से लेकर जानवरों के रेस्क्यूल के लिए जरूरी सभी उपकरण उपलब्ध हैं।

आरके सिंह, डायरेक्टर, चिडिय़ाघर

वन विभाग की टीम ने कल्याणपुर एरिया का भ्रमण किया है और कुकरैल बंधा, खुर्रमनगर क्षेत्र का दौरा किया जा रहा है। पिकनिक स्पॉट के जंगली एरिया के पास टीम आग जलाकर बैठी है। अगर किसी को भी तेंदुआ दिखे तो वह इसकी सूचना तुरंत दे। स्थानीय लोगों को मोबाइल नंबर उपलब्ध करा दिया गया है।

डॉ रवि सिंह, डीएफओ वन विभाग

Posted By: Inextlive