- बसपा शासनकाल में औने-पौने दामों पर बेची गई थीं सात चीनी मिलें

- सीबीआई भी कर रही है 1100 करोड़ रुपये के इस घोटाले की जांच

रुष्टयहृह्रङ्ख: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बसपा शासनकाल में हुए करीब 1100 करोड़ रुपये के चीनी मिल घोटाले में बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने बसपा के पूर्व एमएलसी व सहारनपुर निवासी मु। इकबाल की 1097 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को अटैच किया है। इनमें उनके व उनके कुनबे की कंपनियों के नाम ली गईं सात चीनी मिलें शामिल हैं। चीनी मिल घोटाले में जांच एजेंसी का शिकंजा जल्द अन्य आरोपितों पर भी कसेगा। इस घोटाले की सीबीआइ जांच भी चल रही है। घोटाले में पूर्व एमएलसी इकबाल के दो बेटे मु। जावेद व वाजिद भी नामजद हैं।

सात चीन मिल अटैच

ईडी ने मु। इकबाल व उनके परिवारीजन की बोगस कंपनियों के जरिये कुशीनगर, बरेली, हरदोई, देवरिया व बाराबंकी में खरीदी गईं सात चीनी मिलों को अटैच किया है। इन मिलों की जमीनों का वर्तमान बाजार मूल्य 1097 करोड़ रुपये से अधिक है। जबकि ये मिलें मु.इकबाल व उनके परिवारीजन को महज 60.28 करोड़ रुपये में बेची गई थीं। मु.इकबाल व उनके परिवारीजन ने नम्रता मार्के¨टग प्राइवेट लिमिटेड व गिरियाशो कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के जरिये इन्हें खरीदा था। कई अन्य बोगस कंपनियों के जरिये हेराफेरी की गई थी। नम्रता व गिरियाशो कंपनी ने सेल डीड के लिए सात बोगस कंपनियां खरीदी थीं। इनमें शामिल अल्बेज सुगर मिल प्राइवेट लिमिटेड, अदरशा सुगर सोल्यूसंस प्राइवेट लिमिटेड, एजिले सुगर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, इकॉन सुगर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड, मैजेस्टी सुगर सोल्यूसंस प्राइवेट प्राइवेट लिमिटेड, मस्तिफ सुगर सोल्यूसंस प्राइवेट लिमिटेड व ओकरा सुगर प्राइवेट लिमिटेड का रजिस्ट्रेशन वर्ष 2011 में एक ही तारीख में हुआ था।

- चीनी मिल घोटाले में सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने 25 अप्रैल 2019 को केस दर्ज किया था।

- सीबीआई ने गोमतीनगर थाने में 2017 में दर्ज कराई गई एफआईआर में को बनाया था आधार।

- ईडी के लखनऊ स्थित जोनल कार्यालय में मनी लांडि्रंग एक्ट में केस दर्ज किया गया था।

- पूर्व एमएलसी मु। इकबाल व अन्य आरोपितों की भूमिका की छानबीन की जा रही थी।

पांच ठिकानों पर की थी छापेमारी

ईडी ने बीते दिनों मु। इकबाल के सहारनपुर से लेकर दिल्ली तक के पांच ठिकानों पर छापेमारी की थी और कई अहम दस्तावेज कब्जे में लिए थे। ईडी की जांच में मु.इकबाल व उनके परिवार के सदस्यों की कई बोगस कंपनियों की जानकारियां सामने आई थीं। ईडी ने बैंकों, जिला प्रशासन, राजस्व व इनकम टैक्स समेत अन्य विभागों से अहम साक्ष्य जुटाए थे। चीनी निगम की 21 चीनी मिलों को वर्ष 2010-11 में बेचा गया था। नम्रता मार्के¨टग प्राइवेट लिमिटेड ने देवरिया, बरेली, कुशीनगर, बाराबंकी व हरदोई इकाई की मिलें खरीदी थीं। नियमों को दरकिनार कर दोनों कंपनियों को नीलामी प्रक्रिया के लिए योग्य घोषित कर दिया गया था।

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एसएफआईर्अो ने भी की थी जांच

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अप्रैल 2018 में चीनी मिल घोटाले की सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की थी। राज्य सरकार ने सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन आर्गनाईजेशन (एसएफआइओ) से भी मामले की जांच कराई थी। इसके बाद राज्य चीनी निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक की ओर से गोमतीनगर थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया था।

इनके विरुद्ध दर्ज हुआ था केस

सीबीआइ ने फर्जी दस्तावेजों के जरिये देवरिया, बरेली, कुशीनगर, हरदोई व बाराबंकी स्थित सात चीनी मिलें खरीदने के मामले में दिल्ली निवासी राकेश शर्मा, उनकी पत्नी सुमन शर्मा, गाजियाबाद निवासी धर्मेंद्र गुप्ता, सहारनपुर निवासी सौरभ मुकुंद, मु। जावेद, मु। वाजिद अली व मु। नसीम अहमद के खिलाफ नामजद केस दर्ज किया था।

Posted By: Inextlive