- 13 जुलाई 2019 में जन्म के बाद गोसाईगंज जंगल में फेंका गया था

- डीएनए के आधार पर पिता की पहचान, सीपी की पहल पर आरोपी अरेस्ट

LUCKNOW : मेरा इतना कसूर था कि मैं बेटी थी, बीमार थी और गरीब घर में पैदा हुई। तो क्या मुझे आवारा जानवरों का निवाला बनने के लिए मेरे जन्मदाता ही झाडि़यों में फेंक गये। यह दर्द शायद उस चार दिन की मासूम के दिल में जरूर उठा होगा। उसकी जान बीमारी व आवारा जानवरों ने नहीं बल्कि खुद उसके पिता ने ली थी। मासूम की मौत को इंसाफ दो साल बाद मिला। यूं तो लावारिस बच्चे का मिलना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बच्ची की मौत ने पुलिस विभाग को भी रूला दिया था। इसका नतीजा यह रहा कि इस केस को आम केस मान कर पुलिस ने फाइलों में बंद नहीं किया बल्कि दो साल तक लगातार बच्ची के हत्यारे पिता की तलाश करती रही। पुलिस ने न केवल शहर छोड़ चुके हत्यारे पिता को पकड़ा बल्कि उस अस्पताल के वार्ड ब्वॉय को भी पकड़ा, जहां बच्ची का जन्म हुआ था और उसकी मदद से पिता ने उसे झाडि़यों में फेंका था।

नहीं बंद की फाइल

पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर कुछ समय पहले मोहनलालगंज थाना में लंबित मामलों की समीक्षा कर रहे थे। 13 जुलाई 2019 को दर्ज एक केस की फाइल को देख कर उन्होंने मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी। साथ ही एसीपी और एसएचओ मोहनलालगंज को मामले के खुलासे के साथ आरोपियों की गिरफ्तारी के निर्देश दिये। पहले से इस केस की जांच कर रही मोहनलालगंज पुलिस ने कमिश्नर के निर्देश के बाद अपनी पूरी ताकत लगा दी।

13 जुलाई 2019 में मिली थी झाडि़यों में

इंस्पेक्टर मोहनलालगंज दीनानाथ मिश्रा ने बताया कि 13 जुलाई 2019 को कुछ मॉर्निंग वाकर्स ने देखा कि कई आवारा जानवर घने जंगल में कंबल में लिपटे किसी चीज को खींच रहे हैं। उन्हें कुछ अजीब होने का शक हुआ और जैसे ही वह पहुंचे तो देखा नवजात का शव कंबल से ढका मिला। स्थानीय लोगों की मदद से गौरा गांव के चौकीदार राम सागर ने मोहनलालगंज पुलिस को सूचना दी। पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची और चाइल्ड लाइन को सूचना दी गई। लड़की को बचा लिया और उसके इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, लेकिन उसने करीब चार दिन बाद दम तोड़ दिया। पुलिस ने आस-पास के अस्पतालों का पता लगाया, लेकिन सब व्यर्थ रहा। न तो कंबल में पुलिस को कोई ऐसा क्लू मिला और न ही उसके शरीर पर प्वाइंट मिला, जिससे पता चल सके कि आखिर बच्ची का जन्म किस हॉस्पिटल में हुआ था।

जून में दोबारा शुरू कराई जांच

जून 2021 में, पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर पुलिस ने जांच शुरू की और एक प्राइवेट अस्पताल तक पुलिस की जांच आकर रुक गई। जांच में पता चला कि बच्ची ने इसी अस्पातल में जन्म लिया था। अस्पताल के प्रसूति वार्ड से बच्चे को पिता राजकुमार को सौंपा था। बच्ची की मौत के बाद पोस्टमार्टम के दौरान उसका डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल ले लिया गया था। उस सैंपल के जरिए पुलिस ने पकड़े गए एक शख्स से मिलान कराया था वहीं उसका बायोलॉजिकल पिता निकला। पुलिस ने दो दिन पहले पिता राजकुमार को गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ में बच्ची को फेंकने में मदद करने वाले अस्पताल के वार्ड ब्वॉय अरविंद को भी गिरफ्तार कर लिया।

मां को नहीं था मालूम

पुलिस ने अथक प्रयास कर पता लगाया कि बच्ची के माता पिता मूलरुप से उन्नाव के रहने वाले हैं। पिता राजकुमार ईंट भट्ठे पर काम करता था। हादसे के बाद वह पत्नी के साथ हरियाणा काम करने चला गया। डेढ़ साल तक वह वहीं रहा, लेकिन कुछ दिन पहले ही वह वापस लौटा था। राजकुमार ने अपनी पत्नी को बताया था कि उसकी बच्ची जन्म लेते ही मर गई थी। पत्नी को नहीं मालूम था कि उसकी जिंदा बच्ची को उसके पति ने फेंक दिया था।

इलाज व पालने को नहीं थे पैसे

आरोपी पिता राजकुमार ने बताया कि नवजात बच्चे को इसलिए फेंक दिया क्योंकि उसके पास उसे खिलाने के लिए पैसे नहीं थे। डॉक्टरों ने बताया था कि वह जन्म से ही ठीक नहीं थी और उसके इलाज की लागत कई लाख होगी, इसके चलते उसने यह कदम उठाया था। राज कुमार यादव के खिलाफ पुलिस ने 12 साल से कम उम्र के बच्चे को जन्म के बाद मरने, छोड़ने या छोड़ने के इरादे से किए गए कृत्य के आरोप में मामला दर्ज किया गया।

Posted By: Inextlive