- सूदखोर बिना कागजी कार्रवाई के यंगस्टर्स से वसूल रहे पैसा

- भारी सूद पर दिया जाता है पैसा, फंसते हैं यंगस्टर्स

- लखनऊ में तेजी से बढ़ रहा है ऐसे सूदखोरों का रैकेट

LUCKNOW: एक प्राइवेट मैनेजमेंट कॉलेज से एमबीए कर रहे आनन्द (बदला नाम) इन दिनों टेंशन में है। अपनी गर्लफ्रेंड को गिफ्ट देने के लिए आनन्द ने एक सूदखोर से पांच हजार रुपया उधार लिया था, पांच टका ब्याज पर। सूद का पैसा समय से नहीं चुका पाया तो सूदखोर के गुर्गे उसको धमकाने पहुंच गए। उसने अपनी मम्मी को पूरी बात बताई और किसी तरह उधार का पैसा चुकाया।

बजट गड़बड़ा रहा था तो

नरही में रहने वाला एक युवक इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा है। फैमिली बैक ग्राउंड भी कोई खास मजबूत नहीं है। बढ़ती महंगाई की वजह से उनका बजट फेल हो गया। परेशान होकर एक सूदखोर से कर्ज लिया, लेकिन ब्याज दर दस प्रतिशत होने की वजह से वह लोन के चक्कर में इस कदर फंस गया कि अब पशोपेश में है।

दोस्तों पर इम्प्रेशन डालना था

शहर के एक नामी स्कूल में क्ख्वीं क्लास का स्टूडेंट भी सूदखोरों के चंगुल में इतनी बुरी तरह से फंस चुका था कि वह बेहद उलझन में है। दोस्तों पर इम्प्रेशन डालने के लिए उसने महंगा मोबाइल खरीद लिया और अब हालत यह है कि उधार चुकाने के लिए उसके पास पैसा ही नहीं है।

अब स्टूडेंट्स पर निशाना

लखनऊ में इन दिनों सूदखोर गवर्नमेंट इम्प्लाई या बाबुओं को नहीं बल्कि स्टूडेंट्स को शिकार बना रहे हैं। लखनऊ शहर में इन सूदखोरों का रैकेट काम कर रहा है। काउंसलर देवेन्द्र त्रिपाठी के मुताबिक, स्टूडेंट के खर्चे ज्यादा हैं और पॉकेट मनी कम। ऐसे में मोबाइल, पिक्चर और रेस्टोरेन्ट आदि में मौज मस्ती के लिए स्टूडेंट अनजाने में उधारी के भंवर में फंस रहे हैं। शुरुआत में तो इधर-उधर से मैनेज हो जाता है, लेकिन बाद में मुश्किलें आना शुरू होती हैं। उनके अनुसार ज्यादातर स्टूडेंट अपने मोबाइल खर्चो को पूरा करने के लिए छोटे से अमाउंट से पैसा लेने की शुरुआत करते हैं और देखते ही देखते एक बड़ा अमाउंट उनके सिर पर कर्ज के रूप में चढ़ जाता है। यह उधारी उनकी जिंदगी के अलावा पढ़ाई को भी डिस्टर्ब करती है।

घूम-घूम कर वसूलता है पैसा

गोरा चिट्टा अधेड़ उम्र के इस शख्स की ब्ल्यू कलर की कावासाकी बाइक पुराने लखनऊ में सुबह से पैसे वसूलने के लिए दौड़ने लगती है। यह व्यक्ति पिछले कई वर्षो से सूद पर पैसा चला रहा है। इसने अपने धंधे की शुरुआत व्यापारियों से की थी, लेकिन अब सिर्फ स्टूडेंट को सूद पर पैसा दे रहा है।

कानून हो गया बौना

महाजनों के आगे कानून बौना हो गया है। ब्याज पर रुपया उठाने के नियम ताक पर रख दिए गए हैं। उत्तर प्रदेश साहूकारी विनियमन अधिनियम क्97म् की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। बगैर साहूकारी लाइसेन्स लिए ही कथित साहूकार ऊंची ब्याज दरों पर लोन बांट रहे हैं। जितना जरूरतमंद आदमी उतना ज्यादा सूद। निर्धारित कागजी कार्यवाही की खानापूर्ति भी नहीं की जा रही है।

कार्रवाई हो नहीं रही है

एक्ट के तहत नियम है कि पैसा लेने वाले को उधार देते समय प्रपत्र आठ भरकर दो साक्षी और पैसा लेने वाले के साइन कराए जाने चाहिए। इसके अलावा पैसा देने वाले द्वारा पेमेंट की गई धनराशि के लिए प्रपत्र संख्या सात के विवरण को भरकर ऋणी को कार्बन कापी उपलब्ध करानी चाहिए। साथ ही पंजीकृत साहूकार को प्रपत्र दस में साल भर की ऋण व जमा धनराशि के लेखे-जोखे को साहूकारी रजिस्ट्रार के समक्ष प्रस्तुत करना होता है। पर ऐसा नहीं हो रहा है। इन्हीं कारगुजारियों से साहूकार सरकार की आंख में मिर्च झोंकने के साथ ही राजस्व का चूना भी लगा रहे हैं। साथ ही स्टूडेन्ट का शोषण हो रहा है।

चोरी छिपे यह धंधा चल रहा है, लेकिन लेन-देन करने वालों के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं कराता है। यदि कोई ऐसे सूदखोरों की शिकायत करे तो उनके खिलाफ साहूकारी विनियमन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।

- राजशेखर

डीएम

पैरेंट्स के पास बच्चों के लिए टाइम ही नहीं है। वह अपनी लाइफ में बिजी है। बच्चों पर कोई क्रॉस चेक भी नहीं है। यही वजह है कि वह भटक रहे हैं। अपने महंगे शौक को पूरा करने के लिए वह सूदखोरों के चंगुल में फंस रहे हैं।

- सृष्टि श्रीवास्तव

मनोविज्ञानी

Posted By: Inextlive