- गुजरात व महाराष्ट्र के बैंक से फर्जी नाम पते से फाइनेंस कराई जाती थी गाडि़यां

- गाजीपुर पुलिस को मिली सफलता, दो जालसाज फरार, 7 कार बरामद

LUCKNOW : गुजरात और महाराष्ट्र के विभिन्न बैंकों से फर्जी नाम पता से वाहनों को फाइनेंस कराकर फिर कागजों में हेरफेरी कर वाहनों को बेचने वाले गिरोह का एक सदस्य गाजीपुर पुलिस के हत्थे चढ़ा। पुलिस ने उसके कब्जे से सात कार बरामद की है। पुलिस का कहना है कि पकड़े गए आरोपी के दो साथी फरार हैं। उनकी गिरफ्तारी का भी प्रयास किया जा रहा है।

कार की सौदेबाजी के दौरान पकड़ा

डीसीपी उत्तरी रईस अख्तर ने बताया कि गाजीपुर थाने के क्राइम टीम इंचार्ज विजय शंकर सिंह ने महाराष्ट्र नंबर की एक अर्टिगा कार को चेकिंग के दौरान रोका था। ड्राइवर से कार के कागज मांगने पर वह नहीं दिखा सका। पुलिस से इधर उधर की बातें करके बरगलाने की कोशिश करता रहा। शक होने पर आरोपी से कड़ाई से पूछताछ की गई। इस पर उसने बताया कि वह इस कार को बेचने के लिए ग्राहक की तलाश में लखनऊ आया था।

महाराष्ट्र से गुजरात तक फैला है जाल

एडीसीपी उत्तरी राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि पकड़े गए आरोपी की पहचान देवरिया निवासी धर्मेद्र पासवान के रूप में हुई। पूछताछ पर आरोपी ने बताया कि उसने बैतालपुर बाजार, देवरिया में रुद्राक्ष एंटरप्राइजेज के नाम से कार्यालय खोल रखा है। जहां वह गाडि़यों को खरीदने और बेचने का कारोबार करता है। उसका भतीजा जितेंद्र पासवान सूरत में रहता है। वह अपने रिश्तेदार महराजगंज निवासी दुर्गेश के साथ मिलकर महाराष्ट्र और गुजरात में फर्जी नाम पर विभिन्न बैंकों से कारों को फाइनेंस कराता है। इसके बाद यह लोग साठ गांठ कर ऑनलाइन फाइनेंस संबंधी डिटेल हटवा देते थे, जिससे ऑनलाइन वाहन रजिस्ट्रेशन का विवरण देखने में फाइनेंस संबंधी डिटेल नहीं दिखती थी। इसके बाद यह लोग इन वाहनों को ट्रैवेल्स में चलाते हैं। इसके बाद ग्राहकों को बेच देते हैं। इसके अलावा यह लोग चोरी के भी वाहन बेचते थे।

मिलीभगत की होगी जांच

डीसीपी ने बताया कि आरोपी ने जिस तरीके से इतनी गाडि़यों के फाइनेंस में धोखाधड़ी की है, उससे फाइनेंस कर्मचारियों की भी मिलीभगत की आशंका है। लिहाजा पुलिस इस बिंदु पर भी जांच कर रही है।

Posted By: Inextlive