- विभूतिखंड एरिया में चल रहा था फर्जीवाड़ा

- दो लैपटॉप, मोबाइल फोन व अन्य सामान बरामद

- अब तक एक युवक को ही बना सके थे शिकार, डेढ़ लाख ठगे

-एक आरोपी मेट्रो हाउस कीपिंग का कर्मचारी, दूसरे की टैक्सी मेट्रो में अटैच

LUCKNOW :

राजधानी में अभी मेट्रो को हरी झंडी भी नहीं दिखाई गई और उसके नाम पर जालसाजों ने फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया है। बुधवार को विभूतिखण्ड पुलिस ने पांच जालसाजों को गिरफ्तार किया है जो फर्जी फॉर्म छपवाकर और दफ्तर खोलकर बेरोजगारों को लखनऊ मेट्रो में नौकरी दिलाने का दावा कर रहे थे। हालांकि, जालसाजों ने अब तक सिर्फ एक युवक को ही अपना शिकार बना सके थे, अभी वे कुछ और बेरोजगारों को अपना शिकार बना पाते इससे पहले ही सर्विलांस सेल और विभूतिखंड पुलिस की संयुक्त टीम ने उन्हें दबोच लिया। गिरफ्त में आया एक आरोपी मेट्रो में हाउस कीपिंग का कर्मचारी है, जबकि एक आरोपी की टैक्सी मेट्रो में अटैच है।

मिली थी शिकायत

एसएसपी दीपक कुमार के मुताबिक, आशियाना निवासी निधि ने कुछ समय पहले शिकायत की थी कि नीरज नाम के शख्स ने उसके चचेरे भाई राजेश पाल को लखनऊ मेट्रो में सुपरवाइजर की नौकरी दिलाने के नाम पर 1.50 लाख रुपये ऐंठ लिये और अब नौकरी दिलाने में ना-नुकुर कर रहा है। इस शिकायत पर सर्विलांस सेल प्रभारी सब इंस्पेक्टर अमरेश त्रिपाठी को छानबीन में लगाया गया। जांच में पता चला कि जालसाजों ने विभूतिखंड एरिया में सॉफ्ट टेक फैसेलटीज नाम से दफ्तर खोल रखा है। वहीं, से मेट्रो में नौकरी दिलाने का फर्जीवाड़ा चल रहा है।

छापेमारी में दबोचे गए

शिकायत की पुष्टि होने पर सर्विलांस सेल और विभूतिखंड पुलिस की संयुक्त टीम ने सॉफ्ट टेक फैसेलटीज दफ्तर में छापा मारा। अचानक हुई छापेमारी से दफ्तर में हड़कंप मच गया। पुलिस ने मौके से पांच आरोपियों गाजीपुर निवासी जितेंद्र सिंह, चिनहट निवासी सुनील प्रताप सिंह, इंदिरानगर निवासी हिमांशु सिंह, ऋषभ सिंह और नीरज कुमार चौहान को अरेस्ट कर लिया। पुलिस ने मौके से दो लैपटॉप, एक कंप्यूटर मॉनीटर, मेट्रो के फर्जी सादे फॉर्म, 18 सेट अलग-अलग लोगों के बायोडाटा, छह मोबाइल फोन बरामद किये। पड़ताल में पता चला कि गिरफ्त में आया जितेंद्र सिंह मेट्रो में हाउस कीपिंग का काम करता है। वह आउटसोर्सिग कंपनी के जरिए मेट्रो में काम कर रहा है। जबकि, ऋषभ सिंह की टैक्सी मेट्रो में अटैच है।

तय किया था पांच करोड़ का टारगेट

पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि उन्होंने बेरोजगारों को लखनऊ मेट्रो में इंजीनियर से लेकर सुपरवाइजर के पद पर नौकरी दिलाने का दावा कर रहे थे। आरोपियों ने बताया कि उन लोगों ने हर शिकार से 4-4 लाख रुपये ऐंठने का प्लान बनाया था। इसके लिये पांच करोड़ रुपये वसूलने का टारगेट रखा गया था। यह रकम इकट्ठा होते ही उन लोगों ने दफ्तर बंद कर भागने की योजना बनाई थी। हालांकि, वे अन्य बेरोजगारों को अपना शिकार बना पाते इससे पहले ही पुलिस ने उन्हें दबोच लिया।

Posted By: Inextlive