यूपी बोर्ड 10 वीं एग्जाम

- 40 हजार स्टूडेंट शहर में

- 500 रुपये प्रति स्टूडेंट्स से ली गई एग्जाम फीस

- 1 अरब 35 करोड़ फीस वसूली गई

सीबीएसई बोर्ड 10वीं एग्जाम

- 25 हजार स्टूडेंट्स शहर में

- 1650 रुपये प्रति स्टूडेंट्स से ली गई फीस

- 282 करोड़ 77 लाख से अधिक ली फीस

आईसीएसई बोर्ड

- 14 हजार स्टूडेंट्स शहर में

- 15 सौ रुपये प्रति स्टूडेंट्स से ली फीस

- 45 करोड़ रुपये फीस ली गई

- बोर्ड एग्जाम के बचे पैसों को दूसरे मदों में किया जाए खर्च

- बोर्ड एग्जाम न होने से स्टूडेंट्स की नहीं हो पाएगा वास्तविक वैल्यूवेशन

LUCKNOW: कोरोना महामारी का सबसे बुरा असर एजुकेशन सेक्टर पर पड़ा है। पिछले वर्ष लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई कराई गई, जिसमें स्कूल स्टाफ से लेकर स्टूडेंट और पैरेंट्स को नए सिरे से नए अनुभवों से गुजरना पड़ा। इस दौरान कुछ बोर्ड अपने बोर्ड एग्जाम करा चुके थे जबकि आईसीएसई बोर्ड के एग्जाम ऑनलाइन हुए थे। वहीं कोरोना की दूसरी वेव की वजह से एक बार फिर से पढ़ाई और एग्जाम प्रभावित हुए हैं। यूपी, सीबीएसई बोर्ड ने 10वीं और आईसीएसई बोर्ड ने भले ही बोर्ड एग्जाम के नाम पर लाखों स्टूडेंट्स से अरबों रुपये वसूल लिये हों, लेकिन इस बार सभी स्टूडेंट्स को इंटरनल मा‌र्क्स के आधार पर मार्कशीट जारी कर दी जाएगी। ऐसे में स्कूल स्टाफ से लेकर पैरेंट्स तक इतनी बड़ी रकम को लेकर सवाल उठा रहे हैं।

नहीं हो पाएगा वास्तविक वैल्यूएशन

कोरोना महामारी को देखते हुए यूपी बोर्ड समेत अन्य बोर्ड ने निर्णय लिया है कि वह 10 वीं के स्टूडेंट्स के इंटरनल एग्जाम के आधार पर मार्कशीट जारी करेगा। ऐसे में सभी स्कूल से इंटरनल एग्जाम के मा‌र्क्स जल्द से जल्द बोर्ड को भेजने के निर्देश दिये गये हैं। जानकारों की मानें तो कोई भी स्कूल यह नहीं चाहेगा कि उनका रिजल्ट खराब हो। ऐसे में वह अपने स्कूल के बच्चों के इंटरनल नंबर अधिक से अधिक देंगे। इससे स्टूडेंट्स का वास्तविक वैल्यूएशन नहीं हो पाएगा।

बॉक्स

पैरेंट्स का कहना है कि बोर्ड एग्जाम न होने से बोर्ड के अरबों रुपये बच जाएंगे। बोर्ड एग्जाम न होने से क्वेश्चन पेपर सेट नहीं करना होगा, उन्हे सेंटर तक पहुंचाने का झंझट नहीं होगा, कॉपी चेक नहीं करानी पड़ेगी, कंप्यूटर वर्क और टीचर्स को पेमेंट देने आदि मद का पैसा बच जाएगा। ऐसे में बोर्ड को चाहिये कि वह यह रकम स्कूल प्रबंधन, टीचर की फीस, स्टूडेंट्स लैपटॉप आदि में खर्च करे।

कोट

स्कूल प्रबंधक और अध्यापक सभी परेशान हैं। ऐसे में बोर्ड को चाहिए कि इस पैसे से स्टूडेंट का डाटा फ्री कर दिया जाए। इसके अलावा जिन बच्चों के पास टेबलेट फोन या लैपटॉप नहीं है उनको दिया जाए। स्कूलों की बकाया रकम, ईएमआई आदि को माफ किया जाए। वहीं टीचर्स की सैलरी रेग्युलर की जाए। प्राइवेट स्कूल भी बहुत परेशान हैं उनकी भी मदद की जानी चाहिए।

विनोद रात्रा, महासचिव, उत्तर प्रदेश विद्यालय प्रबंधक समिति समिति

Posted By: Inextlive