Lucknow: दीपा सुधा मनोरमा सोनी....... इलाके के साथ नाम बदल जाते हैं. मर्दों के धंधे में मर्दों से सीधा पंगा. न पुलिस का खौफ और न गैंगस के बीच होने वाले टकराव की फिक्र. शातिराना अंदाज ऐसा कि बड़े से बड़ा अपराधी भी पनाह मांग जाए. राजधानी में जरायम की दुनिया का यह नया चेहरा है. स्मैक की पुडिय़ा पकड़ाने से लेकर रिवॉल्वर के ट्रिगर दबाने तक. क्राइम में महिलाओं के अचानक बढ़े इस दखल से राजधानी पुलिस के साथ अपराध की दुनिया पर एकक्षत्र राज करने वाले भी खौफजदा हैं. अमूमन शराब बनाने या फिर नशीले पदार्थों की कैरियर बनने वाली लेडी क्रिमिनल्स अब बड़े अपराधों में भी अपने हाथ आजमाने से बाज नहीं आ रहीं. पुलिस के रोजनामचे खुद इसकी तस्दीक कर रहे हैं.


नाम-दीपा उर्फ दीपशिखा खन्नाउम्र-32 सालमॉडस ऑपरेंडी-आशिक मिजाज मर्दों को झांसा देकर लूटपाटवारदात-उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के जेई वासिफउद्दीन से इंदिरानगर स्थित बीकानेर वाला रेस्टोरेंट के सामने मिली। फ्रेंडशिप के झांसे में आये वासिफउद्दीन ने उसे अपनी बीएमडब्ल्यू कार से कई घंटे घुमाया। हजरतगंज के एक रेस्टोरेंट में बर्गर खाने के बाद पीजीआई एरिया में उसे बीयर पिलाई। देर रात अपनी फ्रेंड के घर चलने के बहाने वासिफउद्दीन को दीपा लक्ष्मणपुरी ले गई। उसने पहले ही कार में ही पैंट उतरवाकर बरमुडा पहना दिया। डैशबोर्ड पर रखी उनकी रिवाल्वर से ही उन्हें धमकाकर वासिफउद्दीन को नीचे उतार दिया और उनकी बीएमडब्ल्यू कार, रिवाल्वर, पैंट में रखा कैश, चार मोबाइल फोन, डेबिट और क्रेडिट कार्ड लेकर फरार हो गई। करीब दो महीनों तक फरार रहने वाली दीपा आखिरकार मोबाइल सर्विलांस की जद में आ गई और कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया।


नाम-
सुधा

उम्र-35 सालमॉडस ऑपरेंडी-झोपड़पट्टी में स्मैक का शोरूम

करतूत-आलमबाग एरिया में नशे के आदी युवकों को आसानी से स्मैक मुहैया कराने वाली सुधा ने मवैया रेलवे क्रासिंग के करीब झोपड़पट्टी में बाकायदे शोरूम खोल रखा था। भारी संख्या में कस्टमर्स होने के कारण उसके शोरूम में हर वक्त स्मैक उपलब्ध रहती थी। झोपड़पट्टी से स्मैक सप्लाई की भनक पुलिस को लंबे समय तक न लग सकी। इसी का फायदा उठाकर उसका धंधा बेरोकटोक चलता रहा। आखिरकार एक स्मैकिये के कबूलनामे से सुधा सलाखों के पीछे पहुंच गई। पुलिस ने जब उसके अड्डे पर छापेमारी की तो उसके कब्जे से पांच लाख रुपये कीमत की स्मैक बरामद हुई। नाम-मनोरमाउम्र-35 सालमॉडस ऑपरेंडी-श्रम विहार कालोनी में स्मैक के  अड््डे की संचालककरतूत-नई उम्र के लड़कों को स्मैक के नशे का आदी बनाने वाली मनोरमा ने मामूली समय में ही नशे की दुनिया में अपनी धाक जमा ली। लेडी होने के कारण पुलिस को उसकी करतूत की भनक न मिल सकी। इसके चलते धंधा संचालित करने में उसको कोई परेशानी सामने न आई।
उसके बेधड़क होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके अड्डे पर दिनभर नशेड़ी युवकों का जमावड़ा लगा रहता था और वह उन्हें स्मैक पीने के लिये सुरक्षित स्थान भी उपलब्ध कराती थी। पर, बुरे का अंजाम बुरा वाली कहावत आखिरकार सच साबित हुई और वह भी सलाखों के पीछे पहुंच गई। लेडी क्रिमिनल्स की यह तीनों प्रोफाइल्स तो केवल एग्जाम्पल भर हैं, हकीकत में क्राइम की दुनिया में अब कई लेडीज अपनी धाक जमाने को आतुर हैं। धोखाधड़ी, चेन स्नेचिंग, लूट, स्मैक और शराब के अवैध धंधे में इन 'गॉड मदर्सÓ ने खासा मुकाम हासिल कर लिया है। आलम यह है कि इन लेडी क्रिमिनल्स की करतूतें इनके लेडीज होने के कारण पुलिस के रडार पर नहीं आ पातीं।महिला पुलिसकर्मियों की कमी से मिलता है फायदासुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के मुताबिक, किसी भी लेडी क्रिमिनल को अरेस्ट करने के लिये पुलिस टीम में लेडी पुलिसकर्मी का होना आवश्यक है। इसके अलावा गिरफ्त में आई लेडी क्रिमिनल को पुलिस थाने में रात में रोके जाने की भी सख्त मनाही है। इन्टेरोगेशन के लिये भी लेडी पुलिसकर्मी का होना जरूरी है। इन्हीं रूल्स के कारण पुलिस को इनकी अरेस्टिंग में भारी व्यवाहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दरअसल, राजधानी में वर्तमान में केवल एक लेडी इंस्पेक्टर, 14 सब इंस्पेक्टर्स, आठ हेडकान्सटेबल और 134 कॉन्सटेबल अवलेबल हैं। अगर इन्हें राजधानी के 44 थानों में बांट दिया जाये तो इनकी संख्या प्रत्येक थाने में करीब तीन की बनती है। आठ घंटे की ड्यूटी के हिसाब से हर थाने में एक वक्त में केवल एक कॉन्सटेबल ही मौजूद रहेगी।
इसी व्यवहारिक दिक्कत के कारण लेडी को अरेस्ट करने से पहले थानों में लेडी कॉन्सटेबल्स और सब इंस्पेक्टर्स को ऑन कॉल बुलाया जाता है। इसमें लगने वाली देरी से यह भी खतरा रहता है कि इनके आने तक वह लेडी क्रिमिनल पुलिस की पकड़ से दूर भी जा सकती है। बदला है क्राइम ट्रेंडलेडी क्रिमिनल्स की बढ़ती तादाद के बारे में एसपी क्राइम उमेश कुमार सिंह कहते हैं कि, पहले महिलायें सिर्फ शराब बनाने या फिर नशीले पदार्थों के कैरियर के रूप में सामने आती थीं। लेकिन, अब क्राइम के ट्रेंड में कुछ बदलाव जरूर देखा जा रहा है। इसकी वजह जो भी हो लेकिन यह है चिंता की बात। वहीं, एक पुलिस ऑफिसर नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि लेडीज के जरायम की दुनिया में उतरने की एक वजह यह भी है कि सामान्य तौर पर पुलिस लेडीज की ओर शक की निगाह से नहीं देखती। पुलिस की इसी नर्मी के कारण लेडीज अंडरवल्र्ड में अपनी पैठ बनाने में कामयाब रहती हैं।Report by : Pankaj Awasthi

Posted By: Inextlive