- अपर महाधिवक्ता ने कहा-'राज्य सरकार की नीयत साफ'

- पीडि़त परिवार ने कहा कि उन्हें अंतिम संस्कार में नहीं शामिल किया गया

रुष्टयहृह्रङ्ख: हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीन कुमार लक्षकार ने सोमवार को हाईकोर्ट में कहा कि रात्रि में ही मृतका के अंतिम संस्कार का फैसला जिला प्रशासन का था। कानून व्यवस्था के मद्देनजर यह फैसला लिया गया था। राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में कोई निर्देश नहीं दिए गए थे। दूसरी ओर राज्य सरकार ने पक्ष रखा कि इस मामले में कोई भी दुर्भावनापूर्ण निर्णय नहीं लिया गया। कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद चैंबर में आदेश लिखाने का फैसला किया और अगली सुनवाई के लिए दो नवंबर की तारीख मुकर्रर की है।

रात 12:30 बजे गांव पहुंचा था शव

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया है और इसे 'गरिमापूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार के अधिकार' टाइटिल के तहत सूचीबद्ध किया गया है। न्यायमूर्ति पंकज मित्थल और न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ ने दोपहर दो बजकर बीस मिनट पर सुनवाई शुरू की। कोर्ट में पीडि़त परिवार के साथ ही राज्य सरकार की ओर से अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी, पुलिस महानिदेशक व हाथरस के जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक पेश हुए। परिवार की बिना मर्जी के अंतिम संस्कार के सवाल पर हाथरस के जिलाधिकारी ने पक्ष रखा कि 29 सितंबर को रात्रि 12.30 बजे शव गांव पहुंचा। उस समय तक गांव के बाहर बड़ी संख्या में असामाजिक तत्व पहुंच चुके थे और हिंसा पर उतारू थे। शव की हालत भी लगातार बिगड़ती जा रही थी। स्थानीय स्तर की परिस्थितियों के कारण ही अंतिम संस्कार रात में ही कराने का फैसला लेना पड़ा।

सरकार की थी साफ नीयत

हाईकोर्ट की ओर से इस मामले में नियुक्त न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता जेएन माथुर ने कहा कि परिवार की मर्जी के बिना और परंपराओं के विपरीत दाह संस्कार संविधान के अनुच्छेद-25 का उल्लंघन है। हाथरस जैसी घटना फिर न हो, इसके लिए कुछ गाइडलाइन फ्रेम करने की कोर्ट की मंशा है। अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही ने इस पर बचाव किया कि सरकार की नीयत साफ थी। इससे पहले अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और पुलिस महानिदेशक हितेश चंद्र अवस्थी ने पक्ष रखा।

मामले को प्रदेश के बाहर किया जाए ट्रांसफर

खुद को पीडि़त परिवार का वकील बताते हुए अधिवक्ता सीमा कुश्वाहा ने बताया कि कोर्ट से मांग की गई है कि इस मामले को उत्तर प्रदेश के बाहर के किसी राज्य में ट्रांसफर किया जाए, जांच होने तक सीबीआई सभी तथ्य गोपनीय रखे और परिवार को सुरक्षा मिले। परिजनों ने यह भी कहा कि अंतिम संस्कार में उन्हें शामिल नहीं किया गया। इससे पहले पूर्वाह्न लगभग साढ़े ग्यारह बजे कड़ी सुरक्षा में मृतका के माता-पिता, भाई समेत पांच सदस्यों को हाईकोर्ट लाया गया।

Posted By: Inextlive